scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

500 साल पहले भी था 'Bitcoin', इस तरह किया जाता था उपयोग

500 year old Bitcoin
  • 1/10

आजकल लोग बिटक्वॉइन में निवेश कर रहे हैं. कुछ लोगों को बहुत ज्यादा फायदा भी हुआ है. वहीं, कुछ को उतना ही नुकसान. लेकिन दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहां पर 500 साल पहले असली बिटक्वॉइन चलता था. यह उनके धन की संपन्नता को दर्शाने का तरीका था. ये उस देश का करेंसी सिस्टम था. इन गोलाकार छेद वाले पत्थरों के बदले में इस देश के लोगों को खाना, रसद ये सबकुछ मिलता था. शादियों में इनका लेन-देन होता था. संघर्ष, राजनीतिक समझौते या वंशानुगत संपत्ति में इन्हें दिया जाता था. आइए जानते हैं इस 500 साल पुराने बिटक्वॉइन के बारे में...(फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 2/10

डोनट की तरह दिखने वाली यह धनराशि यानी गोल छेद वाले गोल पत्थर पश्चिमी माइक्रोनेसिया के याप द्वीप (island of Yap) पर चलते हैं. इन्हें राई स्टोन सर्किल (Rai Stone Circle) कहते हैं. इन्हें चूना पत्थर (Limestone) से काचकर बनाया जाता है. एक पत्थर 12 फीट की ऊंचाई तक हो सकता है. हालांकि ये हर आकार में आते हैं. छोटे बिस्किट से लेकर बैलगाड़ी के पहियों के आकार तक. (फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 3/10

ऐसा कहा जाता है कि याप द्वीप पर धातु या ऐसे पत्थर नहीं है. यहां से करीब 640 किलोमीटर दूर एक द्वीप है जिसे अनागुमांग (Anagumang) कहते हैं.  जब याप द्वीप के लोग अनागुमांग द्वीप पर करीब 500 साल पहले गए, तो वहां पर चूना पत्थरों की भरमार देखकर हैरान रह गए. अनागुमांग द्वीप के लोगों ने याप द्वीप के लोगों को इन पत्थरों के खनन और परिवहन की अनुमति दी. लेकिन साथ ही कहा कि याप द्वीप के लोग अनागुमांग द्वीप के लोगों के लिए सामान लाएंगे और सेवाएं देंगे. इसके बाद याप द्वीप के लोग इन पत्थरों को अपने आइलैंड पर लेते आए. (फोटोःगेटी)

Advertisement
500 year old Bitcoin
  • 4/10

ये पत्थर सिर्फ धनराशि के उपयोग के लिए नहीं था ये एक सामाजिक मूल्य के तौर पर देखा जाता था. बड़े पत्थरों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बतौर तोहफा दिया जाता था. जैसे-शादी, या वंशानुगत संपत्ति. झगड़े खत्म करने के लिए इनका आदान-प्रदान होता था. या फिर राजनीतिक उपयोग के लिए. इन राई पत्थरों का अब सिर्फ बड़े मौकों पर ही उपयोग होता है. इसलिए आपको इस द्वीप पर मौजूद हर घर, पार्क, सड़क के किनारे ऐसे गोल पत्थर मिल जाएंगे. इनके छोटे पत्थरों का उपयोग कैश के रूप में किया जाता था. (फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 5/10

इन पत्थरों के वजन और आकार की वजह से इन्हें पर्स में रखकर घूम नहीं सकते थे. ये आमतौर पर किसी प्रसिद्ध या जानी-पहचानी जगहों पर या घरों में रखा जाता था. इनका मालिक कौन है, इसके लिए पूरे समुदाय के जुबानी बताया जाता था. लोग इसे हमेशा याद रखते थे कि कौन सा राई पत्थर किस व्यक्ति या संस्था का है. ताकि किसी पत्थर पर कोई दूसरा दावा न करे. अगर कभी ऐसा होता भी था तो इसके लिए मतदान कराकर संबंधित व्यक्ति को पत्थर का मालिकाना हक दे दिया जाता था. (फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 6/10

पत्थरों का आदान-प्रदान भी सार्वजिनक समारोहों में ही होता था ताकि पूरा समुदाय देख सके और किसी तरह का घपला न हो. साल 2019 में ओरेगॉन यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद और अर्थशास्त्रियों ने इसका अध्ययन किया था. तब उन लोगों ने इसे क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वॉइन से जोड़ा था. बिटक्वॉइन एक डिसेंट्रिलाइज्ड डिजिटल करेंसी है, जिसके लिए किसी सेंट्रल अथॉरिटी की जरूरत नहीं है. जैसे- बैंक जहां से इनका प्रोसेस होता हो. इनके ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड रखने के लिए पब्लिक ट्रांजेक्शन लेजर बनाया जाता है जिसमें इनकी कोडिंग होती है. इन्हें ब्लॉकचेन कहते हैं. (फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 7/10

इन राई पत्थरों के आदान-प्रदान को सार्वजिनक तौर पर ही किया जाता था, जिसे समुदाय के लोग प्रमाणित करते थे. ठीक वैसे ही जैसे बिटक्वॉइन के ट्रांजेक्शन को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सार्वजिनक तौर पर सबकी सहमति मिलती है. इस प्रक्रिया में सामुदायिकता और ज्ञान के आधार पर भरोसा किया जाता था. यह 21वीं सदी के क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम से मिलता-जुलता है. (फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 8/10

ओरेगॉन यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस के एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी में शामिल स्टीफेन मैक्कियोन कहते हैं कि राई पत्थरों और बिटक्वॉइन का प्रबंधन सार्वजनिक तौर पर सबके सामने होता है. यह एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था है जिसका कोई विरोध नहीं कर सकता, क्योंकि ये सबके सामने होता है. किसी तरह के थर्ड पार्टी फाइनेंशियल सिस्टम की जरूरत नहीं है. (फोटोःगेटी)

500 year old Bitcoin
  • 9/10

इस स्टडी को करने वाले प्रमुख पुरातत्वविद स्कॉट फिट्सपैट्रिक कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है. यह लगभग जीवन में होने वाली चीजों के साथ होता है. बिटक्वॉइन प्रणाली इसी यापीस मॉडल पर बनी हुई लगती है. बस अंतर इतना है कि बिटक्वॉइन डिजिटल है और यह फिजिकली ट्रांजेक्ट होने वाली राशि थी. सबसे बड़ा अंतर है सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का. यह आज भी याप द्वीप पर बरकरार है. आज भी लोग बड़े कार्यक्रमों में इनका उपयोग करते हैं.  (फोटोःगेटी)

Advertisement
500 year old Bitcoin
  • 10/10

सैद्धांतिक तौर पर राई पत्थर यह बताते हैं कि आज का करेंसी सिस्टम कैसे चलता है. करेंसी क्या है- यानी मुद्रा. एक ऐसा माध्यम जो किसी भी तरह के सामान या सेवा के बदले आदान-प्रदान किया जाए. 21वीं सदी में जिन तरह की करेंसीस का उपयोग हो रहा है उनमें कोई सांस्कृतिक मूल्य नहीं है. आप इन नोटों को न खा सकते हैं. न पहन सकते हैं. यह कोई कीमती कमोडिटी से जुड़े नहीं है. जैसे-सोना. ये कीमती सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि इन्हें सरकार का समर्थन मिला है. सरकार ने इन नोटों को एक अलग तरह का मूल्य दिया है. वैल्यू तय की गई है. असल में ये कुछ नहीं हैं. (फोटोःगेटी)

Advertisement
Advertisement