लाल सागर (Red Sea) के गर्भ में एक खतरनाक आपदा जन्म ले रही है. अगर यहां पर किसी भी तरह भूगर्भीय गतिविधि होती है तो मिस्र (Egypt) और सऊदी अरब (Saudi Arabia) के तटों पर भयानक सुनामी आ सकती है. इसके पीछे वजह है लाल सागर में मिला एक 500 साल पुराना भूस्खलन (500 Years Old Landslide). (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी)
यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी के जियोसाइंटिस्ट सैम पुर्किस ने बताया कि उन्होंने लाल सागर में मौजूद तिरान की खाड़ी (Tiran Strait) में करीब 3000 फीट नीचे एक जमीन की परत उठी हुई देखी. सैम और उनकी टीम एक पनडुब्बी से समुद्र के भूगर्भ की जांच कर रहे थे. यह एक ऊंची चट्टान जैसा है, जो करीब 10 फीट चौड़ा और 26 फीट ऊंचा है. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी)
सैम पुर्किस ने बताया कि यानी अब अगर यह चट्टान टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने या किसी अन्य भूगर्भीय गतिविधि की वजह से हिलती या खिसकती है, तो यह बड़ी सुनामी की लहर पैदा कर सकती है. अगर यहां पर बड़ी सुनामी की लहर उठती है तो सबसे ज्यादा नुकसान मिस्र और सऊदी अरब के तटों को होगा. सुनामी की लहर भारत के पश्चिमी तटों तक भी आ सकती हैं. यह समुद्र के अंदर हुए लैंडस्लाइड की वजह से बनी हुई आकृति है. इस आकृति के बनने की वजह से मिस्र के तट पर 500 साल पहले भयानक आपदा आई थी. तब 10 मीटर ऊंची सुनामी की लहरें उठी थीं. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी)
आज भी यह जमीन के अंदर का टुकड़ा बेहद बारीकी से टिका है. अगर यह सरका तो पिछली बार से ज्यादा बड़ी सुनामी पैदा कर सकता है. सैम ने बताया कि इस इलाके में अगर कोई भूकंप भी आया तो यह लैंडस्लाइड से बना टुकड़ा खतरनाक साबित हो सकता है. हल्का सा झटका भी इसे हिला देगा. यह स्लिप हुआ तो अरब प्रायद्वीप, मिस्र और भारत के पश्चिमी तट तक ऊंची लहरें आ सकती हैं. यह स्टडी हाल ही में जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी)
सैम पुर्किस ने बताया कि मिस्र और सऊदी अरब के तटों के आसपास शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है. अगर इस जगह किसी भी तरह का प्राकृतिक बदलाव होता है, तो सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं देशों का होगा. भविष्य में यहां आने वाली आपदा से बचने का कोई उपाय भी नहीं है. सिवाय इसके की तटों के आसपास अलर्ट करने की व्यवस्था की जा सके. इतना समय मिले कि लोग सुनामी का अलार्म बजने पर सुरक्षित स्थानों पर जा सकें. (फोटोः गेटी)
सैम ने बताया कि लाल सागर (Red Sea) असल में एक समुद्री दरार है. जो दो टेक्टोनिक प्लेट्स के खिसकने की वजह से बनी है. यह दोनों प्लेट्स आज भी खिसक रही है. दूर होती जा रही हैं. यानी भविष्य में यहां किसी भी समय खतरा पैदा हो सकता है. पनडुब्बी से स्टडी करते समय सैम को पता चला कि सुनामी के लिए सिर्फ भूकंप ही वजह नहीं होते. समुद्र के अंदर इस तरह की आकृतियां भी सुनामी ला सकती हैं. (फोटोः गेटी)
लाल सागर (Red Sea) एक पतली सी दरार है. यहां पर अगर समुद्र के अंदर कोई भयावह गतिविधि होती है, तो यहां से उठने वाली लहरें दो दिशाओं में तेजी से जाएंगी. पहली तो सऊदी अरब की तरफ ऊपर और दूसरी लाल सागर से होते हुए अरब सागर तक दक्षिण दिशा में. इसका कुछ प्रभाव स्वेज के खाड़ी (Gulf of Suez) पर भी पड़ सकता है. सैम पुर्किस कहते हैं कि अगर यह भूगर्भीय आकृति खिसकती है तो यहां पर 20 मीटर यानी 65 फीट ऊंची सुनामी की लहर आ सकती है. यानी यह मिस्र और सऊदी अरब के तटों को तो पूरी तरह से खत्म कर देंगी. साथ ही इसके रास्ते में पड़ने वाले मिस्र के रिजॉर्ट शहर तो बर्बाद हो जाएंगे. (फोटोः गेटी)
इस खतरनाक भूगर्भीय खोज के पीछे एक निजी कंपनी है, जो सऊदी अरब के तटों का विकास कार्य कर रही है. कार्य से पहले कंपनी ने सोचा कि क्यों ने एक बार सुनामी जैसी आपदाओं को लेकर रिस्क एसेसमेंट कर लिया जाए. अगर यह आकृति 100 फीट खिसकती है, तो सऊदी अरब के तटों तक सुनामी की लहरें कुछ ही मिनटों में पहुंचा देगी. (फोटोः गेटी)
अगर यह आकृति 164 फीट खिसकती है तो इसे पैदा होने वाली सुनामी की लहरें मिस्र के रिजॉर्ट शहर शर्म-अल-शेख को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगी. यहां तक लहर पहुंचने में 30 सेकेंड से एक मिनट ही लगेगा. वहीं मूसा की खाड़ी तक सुनामी की लहरों को पहुंचने में तीन मिनट से भी कम समय लगेगा. इसके कुछ ही मिनट बाद सुनामी की लहरें सऊदी अरब तक पहुंच जाएंगी. (फोटोः गेटी)