जब आप पानी में पत्थर मारते हैं तो एक लहर उठती है. ठीक उसी तरह करोड़ों साल पहले जब धरती से एस्टेरॉयड टकराया था, तब उससे बड़ी भयानक लहर बनी थी. ये लहर थी जमीन की. जिसकी वजह से धरती पर सारे डायनासोर मारे गए थे. वैज्ञानिकों ने इसी लहर को खोज लिया है. यह प्राचीन लहर अमेरिका के एक प्रांत के नीचे जमीन की गहराइयों में छिपी है. वैज्ञानिक इसे महालहर (Megaripples) कह रहे हैं. यह खुलासा हुआ है एक नई स्टडी में. (फोटोःगेटी)
अमेरिका के लुइसियाना (Louisiana) प्रांत के नीचे करीब पांच मंजिला इमारत के आकार की यह लहर आज भी मौजूद है. इस नई खोज के मुताबिक जब एस्टेरॉयड के हमले से डायनासोरों की मौत हुई थी, उसी समय यह महालहर (Megaripples) बनी थी. वैज्ञानिकों ने जब इसकी भौगोलिक स्थिति की जांच की तो पता चला कि इस लहर की ऊंचाई करीब 52 फीट है. (फोटोःगेटी)
उत्तर-मध्य लुइसियाना में मौजूद लट्ट लेक (Latt Lake) इलाके में जमीन से 5000 फीट नीचे यह लहर खोजी गई है. इसकी जांच करने पर पता चला कि यह लहर करीब 6.60 करोड़ साल पुरानी है. जिसे वैज्ञानिक क्रेटासियस काल (Cretaceous Period) कहते हैं. जब एस्टेरॉयड इस जगह पर टकराया था, तब इस राज्य का काफी बड़ा हिस्सा समुद्र के अंदर था. आइए अब जानते हैं कि आखिरकार ये लहर बनी कैसे? (फोटोःगेटी)
एस्टेरॉयड की टक्कर से पूरी धरती पर पानी की लहरें दौड़ी थीं. हम जिस घटना की बात कर रहे हैं, उसे चिक्सुलूब एस्टेरॉयड (Chicxulub Asteroid) ने अंजाम दिया था. यह एस्टेरॉयड यूकाटन प्रायद्वीप (Yucatan Peninsula) पर टकराया था. जिसकी वजह से बनी लहरें पूरी दुनिया में फैली थीं. इसकी वजह से जमीन में लहरे बनीं थीं. पानी के नीचे पत्थरों की बड़ी लहरें बन गई थीं. समुद्र की तलहटी में इसके प्रमाण भी देखने को मिलते हैं. (फोटोःगेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ लुइसियाना में स्कूल ऑफ जियोसाइंसेस के प्रोफेसर और इस स्टडी को करने वाले प्रमुख शोधकर्ता गैरी किन्सलैंड ने कहा कि इस महालहर (Megaripples) का आकार देख कर पता चलता है कि यूकाटन में चिक्सुलूब एस्टेरॉयड ने कितनी बड़ी तबाही मचाई होगी. किस्मत अच्छी थी कि लहरों का बनना और बिगड़ना क्रेटासियस काल में ही खत्म हो गया था. उसके बाद इसके ऊपर देश बन गया. (फोटोःगेटी)
52-foot-tall 'megaripples' from dinosaur-killing asteroid are hiding under Louisiana https://t.co/BId8d6aAyj
— Live Science (@LiveScience) July 20, 2021
यह स्टडी तब शुरु की गई जब एनर्जी कॉर्पोरेशन डेवॉन एनर्जी ने लट्ट लेक का थ्रीडी भूकंपीय सर्वे कराया. भूकंपीय सर्वे कराते समय तेज आवाज की लहरें जमीन के अंदर भेजी जाती हैं. आवाज की जो लहरें वापस आती है, उनसे पता चलता है कि किस स्थान पर खाली जगह है, कहां पत्थर हैं, कहां घाटी है, कहां ज्वालामुखी है या समुद्र है. इसी के जरिए जमीन के अंदर का थ्रीडी नक्शा बनाया जाता है. लेकिन यहां एक बड़ी लहर देखकर डेवॉन एनर्जी के लोग घबरा गए. (फोटोःगेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ लुइसियाना में जियोलॉजी के पोस्ट ग्रैजुएट स्टूडेंट और इस स्टडी के दूसरे लेखक कारे एजडल ने कहा कि हमने डेवॉन एनर्जी के डेटा को चेक किया. हमने जब भूकंपीय तस्वीर बनाई तो दंग रह गया. इसके बाद मैंने इस तस्वीर को प्रोफेसर गैरी किन्सलैंड को दिखाया. मैं इस चित्र को देखकर हैरान रह गया. क्योंकि जमीन के भीतर इतनी ऊंची-ऊंची लहरें होना बेहद दुर्लभ बात है. आमतौर पर ऐसे नजारे देखने को नहीं मिलते. (फोटोः गैरी किन्सलैंड/कारे एजडल)
गैरी किन्सलैंड ने पहले भी चिक्सुलूब इम्पैक्ट क्रेटर की स्टडी की थी. जब उन्होंने भूंकपीय तस्वीर का अध्ययन किया तो पता चला कि ये कोई आम लहरें नहीं हैं. ये काफी दूर से आई शॉकवेव और पानी के तेज बहाव का नतीजा हैं. इसके बाद लहरों के आकार और दिशा के आधार पर उनकी उत्पत्ति के स्थान का पता किया गया तो वो चिक्सुलूब इम्पैक्ट क्रेटर के पास जाकर खत्म हो गईं. (फोटोःगेटी)
गैरी ने तभी यह घोषणा की कि यह उस एस्टेरॉयड की टक्कर की वजह से बनी लहर है, जिसने पृथ्वी पर से सभी डायनासोरों को खत्म कर दिया था. इन महालहरों की औसत वेवलेंथ 600 मीटर यानी 1968 फीट है. हर लहर की औसत ऊंचाई 52 फीट है. यानी ये धरती पर मौजूद सबसे ऊंची महालहरें हैं. ऐसी लहरें न तो आजतक धरती पर देखी गईं, न ही समुद्र में. यह स्टडी हाल ही में अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित हुई है. (फोटोःगेटी)
गैरी किन्सलैंड ने बताया कि इस महालहर (Megaripples) को देखकर लगता है कि चिक्सुलूब एस्टेरॉयड के टकराने से मेक्सिको की खाड़ी का पानी खाली हुआ होगा. सुनामी की बड़ी लहर उठकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में गई होगी. और जमीन पर उठी लहर की वजह से समुद्र के नीचे मौजूद लुइसियाना अमेरिका के नक्शे में ऊपर आ गया होगा. धीरे-धीरे इसके ऊपर मिट्टी और पत्थरों की लेयर बनती रही. महालहर (Megaripples) जमीन के नीचे चली गई. (फोटोःगेटी)