हमारी आकाशगंगा में नई एलियन दुनिया मिली है. यह हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से वजन में 14 से 16 गुना बड़ी है. बृहस्पति की रेडियस से 1.05 गुना ज्यादा इसका रेडियस है. यह अपने तारे यानी सूरज से 254 करोड़ किलोमीटर दूर है. हमारे सौर मंडल में बृहस्पति सूरज से करीब 49 करोड़ किलोमीटर है. (फोटोः सुबारू टेलिस्कोप)
इस एलियन दुनिया का नाम है HIP-99770b. इस एलियन दुनिया को खोजा है गाइया स्पेसक्राफ्ट (Gaia Spacecraft) ने. इसके तारे का नाम है HIP-99770. ऐसा पहली बार हुआ है जब वैज्ञानिकों ने किसी तारे के मूवमेंट को देखने के चक्कर में उसके ग्रह की खोज की हो. (फोटोः ESA)
इस एलियन वर्ल्ड की खोज करने वाली टीम की प्रमुख वैज्ञानिक थायने क्यूरी ने बताया कि हमने गाइया स्पेसक्राफ्ट से डेटा लिया. उसे क्रॉसचेक करने के लिए सुबारू टेलिस्कोप (Subaru Telescope) की मदद ली. इसके बाद इस एलियन दुनिया का खुलासा किया. हम फिलहाल इसके वायुमंडल के बारे में स्टडी करने का प्रयास कर रहे हैं.
सैन एंतोनियो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की एस्ट्रोफिजिसिस्ट थायने क्यूरी कहती हैं कि हमारा ये प्रयोग सफल रहा है. हमने नई तकनीक के जरिए इस एलियन दुनिया को खोजा है. ये तकनीक भविष्य में ऐसे अन्य ग्रहों को खोजने काम आएगा. हमने डायरेक्ट इमेजिंग की और एस्ट्रोमेट्री से इसके डेटा का एनालिसिस किया.
अब भी अपने सौर मंडल से बाहर किसी ग्रह को खोजना आसान नहीं होता. क्योंकि इनकी रोशनी बेहद कम होती है. ये बेहद छोटे दिखते हैं. यहां तक कि इनके तारे की रोशनी भी कम दिखती है. लेकिन अब दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में 5300 से ज्यादा एक्सोप्लैनेट्स यानी बाहरी ग्रह खोज निकाले हैं.
एलियन ग्रहों की खोज के लिए दो तरीके हैं. पहला ये पता करना कि ये किस तारे के आसपास हैं. उनकी दूरी कितनी है. इससे पता चलता है कि वहां जीवन संभव है या नहीं. दूसरा तरीका है रोशनी के कम-ज्यादा होने के वेवलेंथ को पढ़ना. या फिर रेडिएशन के कम ज्यादा होने को समझना. इसके लिए दोनों तरीके इस्तेमाल किए गए.
इस तारे और उसके एलियन ग्रह को खोजने के लिए थायने क्यूरी और उनके साथियों ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गाइया और हिप्पार्कोस स्पेसक्राफ्ट के डेटा की मदद ली. ये दोनों स्पेसक्राफ्ट हमारी आकाशगंगा मिल्की वे का नक्शा बना रहे हैं. इनके पास 25 साल का रिकॉर्ड है.
इसके अलावा हवाई द्वीप पर मौजूद सुबारू टेलिस्कोप और केक ऑब्जरवेटरी के डेटा का एनालिसिस किया गया. इससे पता चला कि नया एलियन ग्रह हमारे बृहस्पति ग्रह के बराबर ही रेडिएशन झेलता है. क्योंकि उसका सूरज बहुत बड़ा है. इसलिए दूरी मायने नहीं रखती. यह नया एलियन ग्रह गर्म है. इसमें बादल भी कम हैं.
नए एलियन ग्रह पर बर्फ का घेरा भी है. जो ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. यह बर्फ का घेरा तारे से 1750 करोड़ किलोमीटर दूर है. थायने क्यूरी ने कहा कि अब हमारे पास सुदूर स्थित ग्रहों की जांच-पड़ताल करने के लिए नया तरीका है.