अमेरिका चाहता है कि वह भारतीय रक्षा उद्योग के साथ मिलकर और काम करे. इसलिए अमेरिकी सरकार ने भारत को स्ट्राइकर (Stryker) इंफैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल का ऑफर दिया है. इस बख्तरबंद गाड़ी में हवाई हमले से सुरक्षा के हथियार भी लगे हैं. (फोटोः विकिपीडिया)
अमेरिका के साथ नवंबर के दूसरे महीने में हुई टू-प्लस-टू मीटिंग में यह ऑफर आया. अमेरिकी पक्ष ने कहा कि भारतीय एक्सपर्ट हमारी गाड़ियों की जांच-पड़ताल कर लें. यह भी देख लें कि भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार यह 8 पहियों वाली बख्तरबंद गाड़ी काम की है या नहीं. (फोटोः विकिपीडिया)
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका स्ट्राइकर सिस्टम को भारत में बेंचना न चाहा हो. भारतीय पक्ष के उच्च-स्तरीय अधिकारियों से बातचीत के बाद एक बार फिर अमेरिका ने यही प्रोडक्ट फिर बेंचने की फरमाइश की है. हालांकि अभी तक भारत सरकार या रक्षा एक्सपर्ट्स ने इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है. सिर्फ विचार कर रहे हैं. (फोटोः विकिपीडिया)
यह जानते हैं कि स्ट्राइकर फाइटिंग व्हीकल्स की खासियत क्या है? Stryker असल में बख्तरबंद पर्सनल कैरियर-इंफैन्ट्री फाइटिंग व्हीकल है. इसे कनाडा और अमेरिका ने मिलकर बनाया है. इसके दो वैरिएंट आते हैं. पहला 16.47 टन का है. दूसरा 18.77 टन का है. एक व्हीकल की कीमत 40 करोड़ रुपए से अधिक होती है. (फोटोः विकिपीडिया)
स्ट्राइकर फाइटिंग व्हीकल 22.10 फीट लंबी होती है. चौड़ाई 8.11 फीट और ऊंचाई 8.8 फीट की है. इसे चलाने के लिए दो सैनिकों की जरूरत होती है. लेकिन इसमें अधिकतम 9 लोग सवार हो सकते हैं. इसका कवच यानी बख्तरबंद बोल्ट ऑन सिरेमिक ऑर्मर है. यानी 14.5 x 114 मिलिमीटर प्रोटेक्शन वाली मोटी परत. (फोटोः विकिपीडिया)
इसके ऊपर M2 Machine Gun या 40 mm के एमके 19 ग्रैनेड लॉन्चर लगा होता है. इसे प्रोटेक्टेड रिमोट वेपन स्टेशन से चलाया जाता है. या फिर 30 मिलिमीटर की एमके 44 बुशमास्टर या 105 मिलिमीटर की M68A2 गन लगी होती है. ये सभी गन हैवी मशीन गन या छोटे ऑटोकैनन के फॉर्मेट में आती है. (फोटोः विकिपीडिया)
इसके अलावा 12.7 मिलिमीटर की M2 और 7.62 मिलिमीटर की M240 मशीन गन भी लगी होती है. इसका इंजन 350 हॉर्सपावर का होता है. इसमें 8x8 सस्पेंशन पहिए होते हैं. यानी किसी भी तरह की भौगोलिक स्थिति में चलने के लायक होती हैं ये बख्तरबंद गाड़ियां. यह अधिकतम 97 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है. (फोटोः विकिपीडिया)