चीन के अनियंत्रित रॉकेट ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है. चीन द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए इस रॉकेट से खुद चीन का ही नियंत्रण नहीं रहा और अब यह किसी भी दिन वापस धरती पर गिर सकता है. इसी बीच अमेरिका ने इस रॉकेट और मलबे को लेकर बयान दिया है.
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दरअसल, रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि शनिवार को धरती के वातावरण में यह रॉकेट फिर से प्रवेश कर सकता है. रॉकेट को ट्रैक किया जा चुका है, इसके बारे में लगातार जानकारी दी जाएगी. सैटलाइट ट्रैकरों के अनुसार यह 100 फीट लंबा और 16 फीट चौड़ा है.
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हॉवर्ड स्थित खगोलविद जोनाथन मैकडोवेल ने रॉयटर्स को बताया कि अभी इस सैटलाइट का रास्ता न्यूयॉर्क, मैड्रिड, पेइचिंग से उत्तर की ओर और दक्षिण में चिली तथा न्यूजीलैंड की ओर है. इस दायरे में यह चीनी रॉकेट कहीं भी टकरा सकता है. यह समुद्र या आम जनसंख्या वाले इलाके में गिर सकता है.
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मैकडोवेल ने यह भी कहा कि धरती के नजदीक आने पर इस चीनी रॉकेट का काफी हिस्सा जल भी जाएगा, लेकिन इसका कुछ मलबा धरती पर कहीं भी गिर सकता है. सैटलाइट ट्रैकर ने पता लगाया है कि यह चीनी रॉकेट 4 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है.
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मालूम हो कि चीन के इस रॉकेट का नाम लॉन्ग मार्च 5बी वाई2 है. फिलहाल यह रॉकेट धरती के चारों तरफ लो-अर्थ ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है. चीन ने 28 अप्रैल को अपने तियानहे स्पेस स्टेशन को बनाने के लिए अपना सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी छोड़ा था.
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रिपोर्ट मुताबिक, यह रॉकेट एक मॉड्यूल लेकर स्पेस स्टेशन तक गया था. मॉड्यूल को तय कक्षा में छोड़ने के बाद इसे नियंत्रित तरीके से धरती पर लौटना था. लेकिन अब चीन की स्पेस एजेंसी का इस पर से नियंत्रण खत्म हो चुका है. इसके बाद से ही दुनियाभर के स्पेस विज्ञानी इस विचित्र घटना पर नजर बनाए हुए हैं.
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इसके अलावा अलग-अलग देशों के राडार इस रॉकेट पर नजर बनाए हुए हैं. इसकी गति और लगातार बदल रही ऊंचाई की वजह से यह पता करना मुश्किल हो रहा है कि यह अभी कहां है.
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इससे पहले यूरोपियन स्पेस एजेंसी के स्पेस सेफ्टी प्रोग्राम ऑफिस के प्रमुख होल्गर क्राग ने भी बताया था कि इस समय यह बता पाना मुश्किल है कि इस रॉकेट का कितना हिस्सा बचकर धरती पर आएगा. क्योंकि हम इसकी डिजाइन के बारे में नहीं जानते.
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ही विशेषज्ञ ने यह भी बताया था कि पिछले तीन दशकों में अब तक इतनी भारी वस्तु अंतरिक्ष से धरती पर नहीं गिरी है. इससे पहले 1991 में 43 टन का सोवियत स्पेस स्टेशन का सल्यूट-7 धरती पर अनियंत्रित तरीके से गिरा था. इसने अर्जेंटीना में तबाही मचाई थी.
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मई 2020 में भी चीन ने ऐसा ही रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा था. उसने भी इसी तरह से धरती पर अनियंत्रित प्रवेश किया था. और यह पश्चिमी अफ्रीका के गांव कोटे डि इवॉयर में गिरा था. लेकिन यहां किसी के मारे जाने की कोई खबर नहीं आई थी. इसके बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के चीफ ने इस पर चीन की स्पेस एजेंसी को काफी लताड़ा था.
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