सौर तूफान यानी सूरज की तरफ से आने वाली रेडियोएक्टिव किरणों और चार्ज्ड पार्टिकल्स की लहर. ये खबर अक्सर आती है कि इसकी वजह से सैटेलाइट खराब हो सकते हैं. संचार व्यवस्था ठप हो सकती है. लेकिन सबसे पुराना सौर तूफान कब आया था. जवाब है- AD 993 में सौर तूफान आया था. जिसके सबूत हाल ही में वैज्ञानिकों को मिले हैं. इसे मानव इतिहास का सबसे पुराना सौर तूफान माना जा रहा है. (फोटोःगेटी)
वैज्ञानिकों को इसके सबूत प्राचीन पेड़ों के जीवाश्म में देखने को मिले हैं. ईस्वी 993 में आया सौर तूफान इतना भयानक था कि उसकी वजह से पेड़ों के अंदर रेडिएशन घुस गया था. ये रेडिएशन पेड़ों में हजारों सालों तक जमा रहा. ऐसा कहा जाता है कि रेडिएशन को बर्दाश्त करने वाले पेड़ पूरी दुनिया में हैं. ये जिस समय की बात है उस समय अमेरिका में वाइकिंग (Vikings) योद्धा रहते थे. (फोटोःगेटी)
इतिहासकारों की मानें तो कनाडा के न्यूफाउंडलैंड में स्थित एंस ऑक्स मीडोज (L'Anse aux Medadows) में वाइकिंग रहते थे. इनके रहने का समय ईस्वी 700 से लेकर 1100 तक रही है. यानी आज से करीब 1000 हजार साल पहले. ये पहले यूरोपियंस थे, जो अमेरिका पहुंचे थे. प्राचीन अवशेषों की स्टडी करने पर पता चला कि रेडिएशन का असर इस इलाके में ज्यादा था. (फोटोःगेटी)
वैज्ञानिक और इतिहासकार इस बात के शुक्रगुजार हैं कि सौर तूफान से आए रेडिएशन की वजह से वाइकिंग्स की मौजूदगी का सबूत मिला. यह स्टडी नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के जियोग्राफर उल्फ बंग्टजेन ने कहा कि सौर तूफान के सबूत हमें उन लकड़ियों के अवशेषों में मिले, जिनका उपयोग नाव बनाने के लिए होता था. वाइकिंग्स इन्हीं नावों से समुद्र के रास्ते अटलांटिक सागर पार करके अमेरिका तक पहुंचे थे. (फोटोःगेटी)
उल्फ बंग्टजेन ने कहा कि जब हमने लकड़ी को माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर उसकी जांच की तो हमें उसमें रेडिएशन का असर देखने को मिला. जो कि बड़े पैमाने पर मौजूद था. ऐसी एक स्टडी करीब 20 साल पहले भी आई थी, लेकिन हमारे पास इसके पुख्ता सबूत नहीं थे. अब हमारे पास दो तरह के सबूत जमा हो गए हैं, पहला वैज्ञानिक कि सौर तूफान उस समय भयानक स्तर पर आया था. दूसरा, वाइकिंग्स यूरोप से निकलकर अमेरिका तक गए थे. (फोटोःगेटी)
बेलोर यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद डेविड जोरी, जो इस स्टडी में शामिल नहीं है, उन्होंने कहा कि ये बड़ा सबूत है. इंसानी खोज की शुरुआत और सौर तूफान के आने का. यानी वाइकिंग्स से संबंधित डेटा और इतिहास सही है. डेविड ने बताया कि एंस ऑक्स मीडोज (L'Anse aux Medadows) में लकड़ी के अवशेष 1960 में मिले थे. जिनकी रेडियोकार्बन स्टडी करने के बाद यह पता चला कि ये 1000 साल पुराने हैं. लेकिन इसमें गलतियां होने की आंशका थी. पर सौर तूफान की वजह से लकड़ियों में मिले रेडिएशन की वजह से इतिहास पुख्ता हो गया. (फोटोःगेटी)
इस स्टडी की सह-लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रोनिन्जेन की पुरातत्वविद मार्गोट किटमेंस ने कहा कि इन लकड़ियों को देखकर लगता ही नहीं कि ये हजारों साल पुरानी है. ये आज भी बेहद ताजा दिखती हैं. ऐसे लगता है कि इन्हें हाल ही में काटकर सुखाया गया हो. ये किसी सोने के खजाने से कम नहीं हैं. इन्हें यूरोपियन वाइकिंग्स ने संभालकर बनाया था. यानी इन लकड़ियों से वो अपनी जहाज और नाव बनाते थे. (फोटोःगेटी)
मार्गोट किटमेंस ने बताया कि जिस तरीके से लकड़ियों के काटा गया है. उन्हें जिस तरह से तराशा गया था. उस समय यह तकनीक अमेरिका में मौजूद नहीं थी. हमारे पास चार लकड़ियों के सैंपल हैं. जिनमें से तीन सैंपल ईस्वी 993 में आए सौर तूफान के समय जीवित थे. बाद में जिन्हें काटकर नाव में लगाया गया था. क्योंकि सूरज से आई रेडिएशन लकड़ियों के अंदर घुमावदार गोले के आकार में जम चुका है. (फोटोःगेटी)
इसे वैज्ञानिक कॉस्मोजेनिक रेडियोकार्बन इवेंट (Cosmogenic Radiocarbon Event) कहते हैं. ये घटना पिछले 2000 साल में सिर्फ दो बार हुई है. क्योंकि ऐसे सौर तूफान की एक बड़ी घटना ईस्वी 775 में हुई थी. जिसने धरती पर मौजूद पेड़ों कांटेदार ढांचे बना दिए थे, जो सदियों तक पेड़ों में मिले थे. इसकी खोज 2012 में हुई थी. सौर तूफान का पेड़ों पर होने वाला असर पेड़ों के अंदर बने घुमावदार छल्लों के अध्ययन से होता है. (फोटोःगेटी)