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साइंस न्यूज़

हिमालय में हुआ HELINA मिसाइल का टेस्ट, 24 घंटे में दूसरे परीक्षण की ये है वजह

Helina Missile Second Flight Test
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भारतीय सेना (Indian Army), भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) और डीआरडीओ ने 24 घंटे के अंदर दूसरी बार एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना (Anti-Tank Guided Missile HELINA) का परीक्षण किया. इस बार परीक्षण भारतीय सीमा के हिमालयी इलाकों में किया गया, जहां पर मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा करते हुए सिमुलेटेड टैंक को ध्वस्त कर दिया. मिसाइल को एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (Advanced Light Helicopter- ALH) से लॉन्च किया गया था. (फोटोः DRDO)

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24 घंटे में हुए दूसरे परीक्षण में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना (Anti-Tank Guided Missile HELINA) को ज्यादा ऊंचाई और रेंज के साथ टेस्ट किया गया. जिसे देखने के लिए सेना के वरिष्ठ अधिकारी और डीआरडीओ के वैज्ञानिक मौजूद थे. टेस्ट में मिसाइल ने बेहद सटीकता के साथ टारगेट को हिट किया. इससे ठीक पहले 11 अप्रैल 2022 को राजस्थान के पोकरण में इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. (फोटोः रक्षा मंत्रालय)

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इस मिसाइल को इसमें लगी इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर (IIR) तकनीक गाइड करती है. जो मिसाइल के लॉन्च होने के साथ ही सक्रिय हो जाता है. यह दुनिया के बेहतरीन और अत्याधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है. यह परीक्षण इसलिए हो रहे हैं ताकि इन्हें स्थाई तौर पर ALH में लगाया जा सके. (फोटोः रक्षा मंत्रालय)

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पिछली साल फरवरी में भी इस मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ था. दागो और भूल जाओ के मंत्र पर चलने वाली इस मिसाइल से दुश्मन के टैंक बच नहीं सकते. इस मिसाइल को भारतीय सेना और वायुसेना के हेलिकॉप्टरों पर तैनात करने की तैयारी चल रही है. वैसे तो इसका नाम हेलिना (HELINA) है, लेकिन इसे ध्रुवास्त्र (Dhruvastra) भी कहते हैं. इससे पहले इसका नाम नाग मिसाइल (Nag Missile) था. (फोटोः भारतीय वायुसेना)

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भारत में बनी हेलिना (HELINA) यानी ध्रुवास्त्र मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलती है. यानी 828 किलोमीटर प्रति घंटा. इस गति से आती किसी भी मिसाइल से बचने के लिए दुश्मन के टैंक को मौका नहीं मिलेगा. यह स्पीड इतनी है कि पलक झपकते ही दुश्मन के भारी से भारी टैंक को बर्बाद कर सकती है. ध्रुवास्त्र (Dhruvastra) की रेंज 500 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर तक है. (फोटोः DRDO)

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DRDO के अनुसार ध्रुवास्त्र एक तीसरी पीढ़ी की 'दागो और भूल जाओ' टैंक रोधी मिसाइल (ATGM) प्रणाली है, जिसे आधुनिक हल्के हेलिकॉप्टर पर स्थापित किया गया है. ध्रुवास्त्र मिसाइल हर मौसम में हमला करने में सक्षम है. साथ ही इसे दिन या रात में भी दाग सकते हैं.  ध्रुवास्त्र मिसाइल का वजन करीब 45 किलोग्राम है. यह 6 फीट एक इंच लंबी है. इसका व्यास 7.9 इंच है. इसमें 8 किलो विस्फोटक लगाकर इसे बेहतरीन मारक मिसाइल बनाया जा सकता है. (फोटोः DRDO)

Helina Missile Second Flight Test
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सेना इस ध्रुवास्त्र मिसाइल को ध्रुव हेलिकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर समेत अन्य लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में लगा सकती है. इस मिसाइल से लैस होने के बाद ध्रुव मिसाइल अटैक हेलिकॉप्टर बन जाएगा.  ताकि जरूरत पड़ने पर दुश्मन को नाको चने चबाने पर मजबूर किया जा सके. हेलिना के सफल परीक्षण के बाद DRDO और सेना के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. अब एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के लिए भारत को दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. (फोटोः DRDO) 

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हेलिना नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह हेलिकॉप्टर से दागी जाती है. इसमें 8 किलोग्राम वॉरहेड लगाकर बड़े से बड़े और खतरनाक टैंक, बंकर या बख्तरबंद वाहन को उड़ाया जा सकता है. इस मिसाइल के गिरते ही दुश्मन का टैंक कंकाल में बदल जाएगा. इसमें सॉलिड प्रॉपेलेंट रॉकेट बूस्टर लगा है, जो इसे उड़ने में मदद करता है. (फोटोः DRDO)

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