धरती पर सब बेखबर थे. खतरा सिर के ऊपर से गुजर गया. वह भी छोटा-मोटा नहीं...भयानक स्तर का. किस्मत थी कि अंतरिक्ष से आई ये आफत पृथ्वी पर कहीं गिरा नहीं. हैरानी की बात ये है कि इस आफत के आने की जानकारी किसी वैज्ञानिक या साइंटिफिक संस्थानों को नहीं मिली. अब जब इसके गुजर जाने की खबर मिली तो वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली क्योंकि किसी ने यह नहीं सोचा था कि ये धरती इतने करीब से गुजरेगा. (फोटोः गेटी)
पिछले हफ्ते यानी 24 अक्टूबर को रेफ्रिजरेटर यानी अपने घरों के अंदर मौजूद फ्रिज के आकार का एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरा. इसके बारे में वैज्ञानिकों को तब पता चला जब यह धरती को पार करके सुदूर अंतरिक्ष की ओर चला गया. अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर की दूरी बहुत नहीं होती, लेकिन ये आफत तो धरती से सिर्फ 3000 किलोमीटर की ऊंचाई से निकल गया. अगर यह किसी शहर पर गिरता तो भारी तबाही होती. (फोटोः गेटी)
CNET नाम के मीडिया संस्थान ने इसकी खबर 28 अक्टूबर को प्रकाशित की. जिसमें बताया गया कि इस एस्टेरॉयड का नाम Asteroid 2021 UA1 है. यह धरती के सबसे नजदीक गुजरने वाला तीसरा एस्टेरॉयड था. ये जिस दूरी से निकला है, उस दूरी पर कई देशों के सैटेलाइट्स चक्कर भी लगाते हैं. यह एस्टेरॉयड अंटार्कटिका के ऊपर से गुजरा था. अगर यह उस इलाके में गिरता तो बर्फ के ग्लेशियर पिघलते या फिर कोई बहुत बड़ा बर्फ का टुकड़ा टूट जाता है. (फोटोः गेटी)
अंटार्कटिका में एस्टेरॉयड गिरने का मतलब है तेज सुनामी की लहरों के साथ बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े जमीन की तरफ आते. आप सोचिए जब सुनामी की लहरें तमिलनाडु और जापान में इतनी तबाही मचा सकती है तो अगर उसमें बर्फ के बड़े टुकड़े होते तो क्या हालत होती. वैज्ञानिक यह दलील दे रहे हैं कि उन्हें इसके आने की खबर इसलिए नहीं मिली क्योंकि यह दिन के समय धरती के बगल से गुजरा. यह सूरज की दिशा से आया था. (फोटोः गेटी)
सूरज की दिशा से आने वाले एस्टेरॉयड को देखना मुश्किल होता है. इस वजह से इसका पता नहीं चला. धरती को पार करने के चार घंटे बाद इसके आने की सूचना वैज्ञानिकों को मिली. Asteroid 2021 UA1 का आकार 6.6 फीट था. वैज्ञानिक ये भी दावा कर रहे हैं कि अगर धरती के वायुमंडल में आता तो खत्म हो जाता, लेकिन अगर इसका छोटा सा भी हिस्सा बचता तो भारी तबाही मचा सकता था. (फोटोः गेटी)
धरती से 19.45 करोड़ किलोमीटर की दूरी के अंदर से निकलने वाले एस्टेरॉयड्स और धूमकेतुओं (Comets) को नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (Near Earth Objects) कहते हैं. 24 अक्टूबर को निकलने वाला एस्टेरॉयड तो सिर्फ 3000 किलोमीटर की दूरी से निकला था. NASA समेत दुनिया भर की कई स्पेस और वैज्ञानिक एजेंसियां धरती पर आने वाले इन खतरों पर नजर रखने के लिए रेडियो एंटिना और टेलिस्कोप की मदद लेते हैं, लेकिन इस वाले ने तो सबको धोखा दे दिया. (फोटोः गेटी)
धरती की तरफ आने वाले या उसके बगल से गुजरने वाले एस्टेरॉयड की गति, आकार और किस चीज से बना है, उसका अध्ययन करके वैज्ञानिक उसके खतरे का अंदाजा लगाते हैं. अगर कोई एस्टेरॉयड या अंतरिक्ष से आने वाला पत्थर 460 फीट यानी 140 मीटर व्यास का होता है, तो साइंटिस्ट उसे धरती के लिए खतरा मानते हैं. Asteroid 2021 UA1 आकार में बड़ा नहीं था लेकिन अगर सूरज की दिशा से कोई बड़ा एस्टेरॉयड आया तो क्या करेंगे. (फोटोः गेटी)
ऐसे एस्टेरॉयड्स की टक्कर से बचने के लिए फिलहाल इंसानों के पास कोई टेक्नीक नहीं है. सिवाय इसके कि अगर उसकी गति और दिशा पता हो तो मिसाइल से हमला करके उसे बर्बाद कर दिया जाए. लेकिन यह काम उसके वायुमंडल में आने से पहले करना होगा. नहीं तो धरती के किसी भी शहर की बर्बादी या समुद्री सुनामी का खतरा बना रहेगा. (फोटोः गेटी)
An asteroid barely missed Earth last week, and no one knew it was coming https://t.co/taV30WYLI1
— Live Science (@LiveScience) November 2, 2021
नासा के प्रतिनिधि ने एक बयान में कहा है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 24 नवंबर को द डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (The Double Asteroid Redirection Test - DART) लॉन्च करने जा रही है. यह एक ऐसा स्पेसक्राफ्ट है जो तेज गति से जाकर एस्टेरॉयड से टकराएगा, ताकि उसकी दिशा बदली जा सके. हालांकि, अभी यह एक तरह का परीक्षण होगा. अगर यह सफल होता है तो कई देश अंतरिक्ष में इस तरह के स्पेसक्राफ्ट की तैनाती करेंगे. (फोटोः गेटी)
जिस एस्टेरॉयड पर नासा DART स्पेसक्राफ्ट के जरिए हमला करने के लिए मिशन लॉन्च करने वाला है, उसका नाम है डिडिमोस (Didymos). डिडिमोस एस्टेरॉयड 2600 फीट व्यास का है. इसके चारों तरफ चक्कर लगाता हुआ एक छोटा चंद्रमा जैसा पत्थर भी है. जिसका व्यास 525 फीट है. नासा इस छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर को निशाना बनाएगा. जो डिडिमोस से टकराएगा. इसके बाद दोनों की गति में होने वाले बदलाव का अध्ययन धरती पर मौजूद टेलिस्कोप से किया जाएगा. (फोटोःगेटी)
नासा की प्लैनेटरी डिफेंस ऑफिसर लिंडली जॉन्सन ने कहा कि हमें इस टक्कर से काइनेटिक इम्पैक्टर टेक्नीक की क्षमता का पता चलेगा. साथ ही यह भी पता चलेगा कि सिर्फ इतने से काम चल जाएगा या फिर धरती को ऐसे एस्टेरॉयड्स से बचाने के लिए कोई नई तकनीक ईजाद की जाए. DART स्पेसक्राफ्ट को कैलिफोर्निया स्थित वांडेनबर्ग एयरफोर्स बेस से स्पेसएक्स के फॉल्कन-9 रॉकेट के जरिए धरती के बाहर भेजा जाएगा. जैसे ही DART स्पेसक्राफ्ट रॉकेट से अलग होगा यह 1.10 करोड़ किलोमीटर की गति से आगे बढ़ेगा. (फोटोःगेटी)
लिंडली ने बताया कि डिडिमोस तक पहुंचने में यह तेज गति से जाएगा लेकिन उसके चंद्रमा से यह करीब 24 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टकराएगा. ज्यादा तेज गति से टकराने पर डिडिमोस से टक्कर होगी जो नियंत्रण के बाहर है. इसलिए DART स्पेसक्राफ्ट की गति धीमी करके उसे डिडिमोस के चंद्रमा से टकाराया जाएगा. अगर टक्कर से चंद्रमा की गति में थोड़ा भी बदलाव आता है तो वह उससे डिडिमोस से टकरा सकता है. जिससे दोनों की गति और दिशा में मामूली अंतर आ सकता है. अंतरिक्ष में एक डिग्री और एक किलोमीटर की गति की कमी भी बड़ा असर डाल सकती है. धरती से टकराव को रोक सकती है. (फोटोःगेटी)
DART स्पेसक्राफ्ट पर नजर रखने के लिए साथ में ही इटैलियन स्पेस एजेंसी का लाइट इटैलियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग एस्टेरॉयड्स (LICIACube) भेजा जा रहा है. यह टक्कर के समय डिडिमोस एस्टेरॉयड के पास से गुजरेगा ताकि टकराव की फोटो ले सके और उसकी तस्वीरें धरती पर भेज सके. (फोटोःगेटी)
नासा लगातार धरती के आसपास से गुजरने वाले पत्थरों यानी नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स पर नजर रखता है. अगर कोई पत्थर धरती 1.3 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट की दूरी यानी धरती और सूरज के बीच मौजूद दूरी से 1.3 गुना ज्यादा दूरी तक आता है तो वह नासा के राडार पर दिख जाता है. अब तक नासा ने धरती के आसपास 8000 से ज्यादा नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स को दर्ज किया है. (फोटोःगेटी)
नासा द्वारा दर्ज किए गए नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स में कुछ एस्टेरॉयड्स ऐसे हैं जो 460 फीट व्यास से ज्यादा के हैं. अगर इस आकार का कोई पत्थर अमेरिका पर गिरता है तो वह किसी भी एक राज्य को पूरी तरह से खत्म कर सकता है. अगर यह समुद्र में गिरता है तो बड़ी सुनामी ला सकता है. हालांकि, नासा ने भरोसा दिलाया है पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगा रहे 8000 पत्थरों में से एक भी अगले 100 सालों तक धरती से नहीं टकराएंगे. (फोटोःगेटी)