धरती पर पानी कहां से आया? ये सवाल अक्सर उठता है. वैज्ञानिक इस पर कई सिद्धांत दिए गए. जांच किए गए. अब जापानी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पृथ्वी पर पानी एस्टेरॉयड लेकर आया है. यह दावा उन्होंने एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) के धूल की स्टडी करने के बाद किया है. जापान ने इस एस्टेरॉयड की स्टडी के लिए स्पेसक्राफ्ट हायाबूसा-2 (Hayabusa-2) भेजा था. (फोटोः NASA)
हायाबूसा-2 (Hayabusa-2) स्पेसक्राफ्ट साल 2020 में एस्टेरॉयड रीयुगू से मिट्टी का सैंपल लेकर लौटा था. तब से वैज्ञानिक इसकी स्टडी कर रहे हैं. पिछली साल भी यह दावा किया गया था कि रीयुगू पर बेहद प्राचीन मौलिक तत्व मिले थे. यानी इनसे न सिर्फ ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता चलेगा बल्कि पृथ्वी पर पानी के आने की सही जानकारी भी मिलेगी. (फोटोः NASA)
हायाबूसा-2 एस्टेरॉयड रीयुगू से 5.4 ग्राम सैंपल लेकर आया था. इस सैंपल की स्टडी दुनिया भर के कई वैज्ञानिक कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने इस मिट्टी में ऑर्गेनिक मैटेरियल मिले थे, जो धरती पर जीवन की उत्पत्ति की स्रोत हो सकते हैं. इस स्टडी से पता चला कि अमीनो एसिड्स का निर्माण अंतरिक्ष में कहीं हुआ था. यह स्टडी हाल ही में जर्नल Nature Astronomy में प्रकाशित हुई है. जिसमें ब्रह्मांड, सौर मंडल, ग्रह और धरती के बनने की कहानी बताई गई है. (फोटोः NASA)
इसमें बताया गया है कि ऑर्गेनिक रिच-सी टाइप एस्टेरॉयड के जरिए धरती पर पानी आया होगा. जापान के वैज्ञानिकों को एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) पर बेहद प्राचीन मौलिक तत्व मिले हैं. एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) 800 मीटर व्यास का पत्थर है, जिसकी स्टडी के लिए जापान ने हायाबूसा अंतरिक्षयान को भेजा था. इस पत्थर से जो सैंपल धरती पर वापस आए हैं, वो बेहद गहरे रंग के हैं. इनके बीच एक हरे रंग का पदार्थ मिला है, जो कि कार्बनिक है. ये पदार्थ काफी पोरस (Porus) यानी छिद्रों से भरा हुआ है. इसका मतलब ये है कि 450 करोड़ साल पहले एस्टेरॉयड रीयुगू पर जीवन के संकेत थे. आज भी ये संकेत संभव हैं. (फोटोः NASA)
ऑस्ट्रेलिया की क्वीसलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी इस सैंपल का अध्ययन किया है. उन्होंने बताया कि सैंपल की मिट्टी इतनी काली है कि ये सूरज की रोशनी का सिर्फ 2% हिस्सा ही परावर्तित करती है. यह कार्बन का एक विशिष्ट रूप है. एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) धरती और मंगल के बीच की कक्षा में धरती के चारों तरफ चक्कर लगाता है. (फोटोः NASA)
Space mission shows Earth's water may be from asteroids: study @NatureAstronomy https://t.co/Pwu2TdGHJr https://t.co/Qx6lBsU683
— Phys.org (@physorg_com) August 16, 2022
इसमें मौजूद छिद्रों से पता चलता है कि इसके अंदर से पानी या गैस का बहाव होता रहा होगा. दूसरी स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस मौलिक पदार्थ का निर्माण क्ले जैसे पदार्थ से हुआ है. यानी कार्बनिक उत्पत्ति वाला पदार्थ. जिसका मतलब होता है कि इस मिट्टी में जीवन की उत्पत्ति की संभावना है. दूसरी स्टडी पेरिस-सैकले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सेडरिक पिलोरगेट और उनके साथियों ने की थी. (फोटोः गेटी)
सेडरिक और उनकी टीम को इस पदार्थ में कार्बोनेट्स और ज्वलनशील मिश्रण भी मिला है. सैंपल में से कुछ कार्बन कोन्ड्राइट्स हैं. अब इन दोनों स्टडीज पर ध्यान दिया जाए तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) की सतह छिद्रों से भरी पड़ी है. इनकी छिद्रता 70 फीसदी से भी ज्यादा है. यानी शुरुआती प्रोटो-प्लैनेट्स का हिस्सा रहा होगा. यानी हमारे सौर मंडल के निर्माण के समय के शुरुआती पत्थरों या ग्रहों का भाग. (फोटोः गेटी)
एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) कार्बन से भरपूर कोन्ड्राइट है. यह बेहद गहरे रंग का है. ज्यादा छिद्र हैं. ज्यादा नाजुक है. दोनों ही स्टडीज के वैज्ञानिकों ने कहा है कि हमें अभी और स्टडी करने की जरूरत है. क्योंकि सैंपल्स के शुरुआती स्टडीज में ये बातें सामने आई हैं लेकिन और स्टडी करने पता चलेगा कि सौर मंडल कैसे बना. कौन सा ग्रह कहां से पैदा हुआ आदि. (फोटोः गेटी)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंतरिक्षयान ऐसी ही एक स्टडी के लिए एस्टेरॉयड बेनू (Asteroid Bennu) के लिए रवाना हुआ है. उसके सैंपल्स की जांच करने के लिए भी कई वैज्ञानिक संस्थाएं कतार में लगी हैं. ताकि सौर मंडल से संबंधित जानकारियां हासिल कर सकें. (फोटोः गेटी)