जापान के वैज्ञानिकों को एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) पर बेहद प्राचीन मौलिक तत्व मिले हैं. इन तत्वों के मिलने से सौर मंडल और ग्रहों की उत्पत्ति से संबंधित रहस्यों का खुलासा हो सकता है. ये तत्व रीयुगू की मिट्टी के बीच मिले हैं, जिन्हें जापानी स्पेस एजेंसी JAXA के स्पेसक्राफ्ट हायाबूसा-2 (Hayabusa-2) ने कलेक्ट करके धरती पर पिछले साल लौटा था. (फोटोः NASA)
एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) 800 मीटर व्यास का पत्थर है, जिसकी स्टडी के लिए जापान ने हायाबूसा अंतरिक्षयान को भेजा था. इस पत्थर से जो सैंपल धरती पर वापस आए हैं, वो बेहद गहरे रंग के हैं. इनके बीच एक हरे रंग का पदार्थ मिला है, जो कि कार्बनिक है. ये पदार्थ काफी पोरस (Porus) यानी छिद्रों से भरा हुआ है. इसका मतलब ये है कि 450 करोड़ साल पहले एस्टेरॉयड रीयुगू पर जीवन के संकेत थे. आज भी ये संकेत संभव हैं. (फोटोः NASA)
ऑस्ट्रेलिया की क्वीसलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी इस सैंपल का अध्ययन किया है. उन्होंने बताया कि सैंपल की मिट्टी इतनी काली है कि ये सूरज की रोशनी का सिर्फ दो फीसदी हिस्सा ही परावर्तित करती है. यह कार्बन का एक विशिष्ट रूप है. एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) धरती और मंगल के बीच की कक्षा में धरती के चारों तरफ चक्कर लगाता है. (फोटोः गेटी)
एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) के सैंपल्स को लेकर जर्नल Nature Astronomy में दो स्टडीज प्रकाशित हुई हैं. जिसमें बताया गया है कि 0.19 आउंस सैंपल दिसंबर 2020 में धरती पर वापस आया था. पहली स्टडी में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट तोरू यादा ने यह खुलासा किया है कि ये दुनिया के सबसे गहरे रंग के पदार्थ हैं. इसमें से सिर्फ दो फीसदी रोशनी ही परावर्तित होती है. (फोटोः गेटी)
इसमें मौजूद छिद्रों से पता चलता है कि इसके अंदर से पानी या गैस का बहाव होता रहा होगा. दूसरी स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस मौलिक पदार्थ का निर्माण क्ले जैसे पदार्थ से हुआ है. यानी कार्बनिक उत्पत्ति वाला पदार्थ. जिसका मतलब होता है कि इस मिट्टी में जीवन की उत्पत्ति की संभावना है. दूसरी स्टडी पेरिस-सैकले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सेडरिक पिलोरगेट और उनके साथियों ने की थी. (फोटोः NASA)
सेडरिक और उनकी टीम को इस पदार्थ में कार्बोनेट्स और ज्वलनशील मिश्रण भी मिला है. सैंपल में से कुछ कार्बन कोन्ड्राइट्स हैं. अब इन दोनों स्टडीज पर ध्यान दिया जाए तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) की सतह छिद्रों से भरी पड़ी है. इनकी छिद्रता 70 फीसदी से भी ज्यादा है. यानी शुरुआती प्रोटो-प्लैनेट्स का हिस्सा रहा होगा. यानी हमारे सौर मंडल के निर्माण के समय के शुरुआती पत्थरों या ग्रहों का भाग. (फोटोः गेटी)
एस्टेरॉयड रीयुगू (Asteroid Ryugu) कार्बन से भरपूर कोन्ड्राइट है. यह बेहद गहरे रंग का है. ज्यादा छिद्र हैं. ज्यादा नाजुक है. दोनों ही स्टडीज के वैज्ञानिकों ने कहा है कि हमें अभी और स्टडी करने की जरूरत है. क्योंकि सैंपल्स के शुरुआती स्टडीज में ये बातें सामने आई हैं लेकिन और स्टडी करने पता चलेगा कि सौर मंडल कैसे बना. कौन सा ग्रह कहां से पैदा हुआ आदि. (फोटोः NASA)