हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह ऊर्जा के संकट से जूझ रहा है. बृहस्पति ग्रह (Jupiter) पर ऊर्जा की भारी कमी देखी जा रही है. जो लगातार 50 सालों से वैज्ञानिक रिकॉर्ड कर रहे हैं. दिक्कत ये थी कि अब तक इस कमी की वजह नहीं पता चल रही थी, जो अब वैज्ञानिकों ने खोज लिया है. नई स्टडी के मुताबिक बृहस्पति ग्रह के उत्तरी ध्रुव यानी नॉर्थ पोल पर बने अरोरा (Aurora) की वजह से पूरे ग्रह पर ऊर्जा की कमी हो गई है. (फोटोः NASA)
बृहस्पति हमारे सौर मंडल का गर्म ग्रह माना जाता है. यह सूरज से करीब 75.25 करोड़ किलोमीटर दूर है. यानी सूरज की रोशनी और गर्मी बृहस्पति तक थोड़ी कम पहुंचती है. नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बृहस्पति पर न्यूनतम तापमान माइनस 73 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 426 डिग्री सेल्सियस तक जाता है. यानी बुध ग्रह की सतह की तरह गर्म. जो कि सूरज के बहुत पास है. (फोटोः NASA)
लेकिन दशकों से इस बात पर चर्चा हो रही है कि बृहस्पति ग्रह पर ऊर्जा का संकट क्यों है? अब एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि बृहस्पति ग्रह के उत्तरी ध्रुव पर बने नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा की वजह से ऐसा होता है. यहां पर अरोरा बृहस्पति ग्रह के उच्च चुंबकीय शक्ति की वजह से बनता है. इसकी वजह से ही इस विशालकाय ग्रह पर तापमान इतना ज्यादा होता है. (फोटोः गेटी)
अरोरा (Aurora) ग्रह के ध्रुवीय इलाकों में बनने वाली रोशनी का घेरा. यह धरती के दोनों ध्रुवों पर देखा जाता है. यह तब बनता है जब सूरज की किरणें या यूं कहें उससे आने वाली लहरें ग्रह के वायुमंडल से टकराती हैं, तब वो इस तरह का चमकदार रसायनिक प्रक्रिया करती है, जिससे ये रोशनी के घेरे बनते-बिगड़ते दिखाई देते हैं. मंगल और बुध ग्रह के अपने अलग प्रकार के अरोरा हैं. लेकिन इनकी चुंबकीय शक्ति अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग है, इसलिए रोशनी भी अलग-अलग दिशाओं में बनती दिखाई पड़ती है. (फोटोः गेटी)
Jupiter 'energy crisis' caused by auroras, scientists find in new study https://t.co/7Px8PHw5Y3 pic.twitter.com/PNZHYGNbW5
— SPACE.com (@SPACEdotcom) August 9, 2021
धरती और बृहस्पति जैसे उच्च चुंबकीय शक्ति वाले ग्रहों के ऊपर अरोरा का निर्माण अक्सर होता रहता है. यह चुंबकीय बहाव की वजह से बनता है. बृहस्पति ग्रह के ऊर्जा संकट का खुलासा नासा के जूनो स्पेसक्राफ्ट (Juno Spacecraft) से मिले डेटा से किया गया है. जूनो ने बृहस्पति पर उच्च श्रेणी के रेडिएशन को कम और ज्यादा होते दर्ज किया है. जूनो बृहस्पति के चारों तरफ इतनी दूरी से रिकॉर्डिंग करता है, जिससे वैज्ञानिकों को उसके वायुमंडल में होने वाले बदलावों की सही जानकारी मिलती है. (फोटोः गेटी)
केक ऑब्जरवेटरी में जूनो स्पेसक्राफ्ट के डेटा की स्टडी कर रहे साइंटिस्ट जेम्स ओडोनोघ ने कहा कि आप इसे ऐसे समझिए...गर्म वायुमंडल समुद्री पानी है, चुंबकीय क्षेत्र तट है और अरोरा समुद्र है. अब समुद्र का पानी या गर्म वायुमंडल समुद्र यानी अरोरा को छोड़कर जमीन पर आ गया है. यानी चुंबकीय क्षेत्र में गर्म वायुमंडल की बाढ़ आ गई है. इससे पूरे ग्रह पर ऊर्जा का संतुलन बिगड़ गया है. (फोटोः गेटी)
इस काम में नासा ने जापानी स्पेस एजेंसी (JAXA) के हिसाकी सैटेलाइट की भी मदद ली है. ये सैटेलाइट भी बृहस्पति ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. इसके अलावा केक ऑब्जरेवेटरी के केक-2 टेलिस्कोप से भी बृहस्पति ग्रह पर नजर रखी जा रही है. इन सबके डेटा का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि अरोरा लगातार बृहस्पति ग्रह के भूमध्य रेखा यानी इक्वेटर लाइन तक गर्मी की लहर फेंकता है. यानी उसके अंदर जो गर्म वायुमंडल की बाढ़ आई है, उसमें से लहरें फेंकता है. (फोटोः गेटी)
जेम्स कहते हैं कि यह गर्मी हटाने का सबसे बेहतरीन तरीका है. अगर हम बृहस्पति ग्रह को रात में देखें और उस समय सूरज की रोशनी का असर कम हो तो यह नजारा देखने को कभी नहीं मिलेगा. लेकिन जिस दिन सौर लहरें ज्यादा तेज होती हैं, उस दिन अरोरा ये काम बहुत तेजी से करता है. हमने बृहस्पति ग्रह पर ऊर्जा के असंतुलन और संकट को अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 तक रिकॉर्ड किया. उसके बाद अगले पांच सालों तक इनका अध्ययन करते रहे. साथ ही बीच-बीच में बृहस्पति ग्रह से औचक डेटा भी जमा करते रहे. (फोटोः गेटी)
बृहस्पति ग्रह की चुंबकीय शक्ति धरती से ज्यादा और ताकतवर है. इसका ज्वालामुखी से भरा हुआ चांद लो (Lo) ग्रह के चारों तरफ अपने ज्वालामुखीय विस्फोटों से कई तरह के चार्ज्ड पार्टिकल्स यानी आवेशित कणों को फेंकता रहता है. जिसकी वजह से बृहस्पति ग्रह के वायुमंडल में गर्मी बरकरार रहती है. ग्रह पर चलने वाली तूफानी हवाओं की गति कई बार 800 किलोमीटर प्रतिघंटा तक हो जाती हैं, जिससे किसी भी तरह की गर्म ऊर्जा अरोरा से लेकर निचले हिस्सों तक चली जाती है. इसकी वजह से ऊर्जा का संकट बन रहा है. (फोटोः गेटी)
इससे पहले इस तरह के खुलासे किए गए थे कि अरोरा किसी भी तरह की ऊर्जा को इतने बड़े ग्रह के भूमध्य रेखा तक नहीं पहुंचा सकता. लेकिन ये बात गलत साबित हो चुकी है. जेम्स ने बताया कि हमारे पास इस गतिविधि की तस्वीरें और डेटा मौजूद हैं. अरोरा ही ऐसी शक्ति है, जो बृहस्पति ग्रह पर ऊर्जा का संतुलन बिगाड़ रहा है. यह स्टडी हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)