उत्तराखंड के चारधाम यात्रा में सबसे सुदूर स्थित है केदारनाथ धाम. रुद्रप्रयाग जिले का नगर पंचायत है. गौरीकुंड से करीब 19 किलोमीटर की चढ़ाई है. जो रामबाड़ा के बाद ज्यादा कठिन हो जाती है. लेकिन इस घाटी में आपको हर तरह की खूबसूरती देखने लायक है. (सभी फोटोः अंकित कुमार कटियार)
दिन हो या रात, केदारनाथ मंदिर के आसपास का नजारा बेहद खूबसूरत होता है. बर्फ से ढंकी चोटियां. आसपास बहते झरने. ढलानों पर लटके हुए ग्लेशियर आपको आकर्षित करते हैं.
11,755 फीट की ऊंचाई पर बसे केदारनाथ मंदिर का जिक्र 7-8वीं सदी से होता आया है. केदारनाथ घाटी का पूरा क्षेत्रफल 2.75 वर्ग किलोमीटर है. ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 223 किलोमीटर है. यहीं से मंदाकिनी नदी का उद्गम होता है.
हिमालय के सुंदर बर्फीले और हरे-भरे पहाड़ आपको यहां कि ट्रैकिंग करते समय थकान से राहत दिलाते हैं. अगर आप चलते-चलते थक जाएं तो थोड़ी देर रुककर सिर्फ नजारों को देखिए. थकान मिट जाएगी.
केदारनाथ मंदिर और कस्बा सर्दियों में बंद कर दिया जाता है. क्योंकि वहां पर कई फीट ऊंची बर्फ जमी रहती है. तापमान माइनस में चला जाता है. कस्बे के सभी लोग नीचे की तरफ के इलाकों में उतर आते हैं.
नवंबर से अप्रैल तक मंदिर बंद रहता है. व्यवसाय भी बंद हो जाता है. मंदिर से उत्सव मूर्ति को गुप्तकाशी के पास मौजूद उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में रख दिया जाता है.
केदारनाथ कस्बे के पीछे केदारनाथ पर्वत है. इसकी ऊंचाई 22,769 फीट है. इसके अलावा 22,411 फीट पर केदार डोम है. साथ ही कुछ और भी ऊंचे पहाड़ हैं.
ये पर्वत गंगोत्री समूह के पर्वत हैं. जो कि पश्चिमी गढ़वाल हिमालय बेल्ट में आता है. ये दोनों पर्वत गौमुख से 15 किलोमीटर दूर हैं. गौमुख में पानी गंगोत्री ग्लेशियर से जाता है, जो इसी पर्वत के दूसरे हिस्से में बना है.
केदारनाथ पर्वत और डोम पर पहली 1947 में स्विट्जरलैंड के पर्वतारोहियों ने चढ़ाई की थी. केदारनाथ डोम के पूर्वी छोर की तरफ से चढ़ाई हंगरी के पर्वतारोहियों ने की थी.