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साइंस न्यूज़

800 साल पहले मौजूद था सबसे बड़ा Eagle, शरीर में सिर डालकर नोच लेता था अंगः स्टडी

Biggest Haast Eagle
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दुनिया का सबसे बड़ा ईगल (Eagle) 800 साल पहले तक न्यूजीलैंड में मौजूद था. इसकी मौजूदगी की बात से ज्यादा वैज्ञानिक इसके खाने के तरीके से हैरान हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में पता चला कि यह अपनी शिकार के शरीर में अपना पूरा सिर अंदर तक डाल देता था. फिर वहां से अंगों को चीर-फाड़ डालता था. उसके बाद मांस नोच-नोच कर खाता था. यानी इसके उड़ान और शिकार का तरीका तो आधुनिक ईगल जैसा ही था. लेकिन खाने का तरीका गिद्धों जैसा था. (फोटोः गेटी)

Biggest Haast Eagle
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इस विलुप्त हो चुके दुनिया के सबसे बड़े ईगल (Eagle) को हास्ट ईगल (Haast Eagle) कहते हैं. न्यूजीलैंड के माओरी लोग अपनी भाषा में इसे टे होकियोई (te hōkioi) या पोउअकाई (pouākai) कहते थे. जिसका मतलब ओल्ड ग्लूटॉन (Old Glutton) होता है. इसके खाने का तरीका ही इसे सबसे अलग बनाता था. यह वल्चर (Vulture) की तरह खाना खाता था. (फोटोः गेटी)

Biggest Haast Eagle
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हास्ट ईगल (Haast Eagle) का वैज्ञानिक नाम हीरेटस मूरेई (Hieraaetus moorei) है. वैज्ञानिक सालों तक इस बात को लेकर बहस करते रहे कि यह आधुनिक ईगल की तरह शिकारी था या फिर वल्चर की तरह स्केवेंजर था. इसके पैर और टेलोन्स ईगल से मिलते-जुलते थे. जबकि, इसकी खोपड़ी वल्चर जैसी थी. मजबूत और शरीर में एक ही वार में छेद करके अंदर तक घुस जाने लायक. (फोटोः कैटरीना केनी)

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Biggest Haast Eagle
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वैज्ञानिकों ने हाल ही डिजिटल मॉडल्स और सिमुलेशन बनाकर इस पहेली को हल कर लिया है. जिससे पता चला कि यह खाता जरूर वल्चर की तरह था लेकिन इसकी बाकी आदतें आधुनिक ईगल जैसी ही थीं. न्यूजीलैंड कंजरवेशन ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक हास्ट ईगल (Haast Eagle) का वजन करीब 15 किलोग्राम होता था. इसके टैलोन्स (Talons) 4 इंच लंबे होते थे. पंख की चौड़ाई फैलने के बाद 10 फीट हो जाती थी. (फोटोः गेटी)

Biggest Haast Eagle
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हास्ट ईगल (Haast Eagle) आमतौर पर मोआ (Moas) नामक पक्षी का शिकार करता था. मोआ पक्षी आकार में काफी बड़े होते थे और उनके पंख नहीं होते थे. ये भी करीब 800 साल पहले न्यूजीलैंड से खत्म हो गए. इनके खत्म होते ही सबसे बड़े ईगल्स की संख्या भी धीरे-धीरे खत्म हो गई. मोआ पक्षी इसलिए खत्म हुए क्योंकि यहां पर माओरी समुदाय के लोग आकर शिकार करने लगे थे. मोआ को मारकर खाने और उसकी खाल का उपयोग करने की वजह से इनकी प्रजाति तो खत्म हुई ही. हास्ट ईगल भी खत्म हो गए. (फोटोः इमरान रॉय/कोरा)

Biggest Haast Eagle
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वैज्ञानिकों के सामने दिक्कत ये थी कि 200 किलोग्राम वजनी मोआ को क्या 15 किलोग्राम वजनी हास्ट ईगल (Haast Eagle) मार सकता था. जब हास्ट ईगल के शारीरिक संरचान का अध्ययन किया गया तब पता चला कि उसकी चोंच, जबड़ा, सिर, पंजा, नाखून और टैलोन शिकारी पक्षी जैसे थे. उसमें यह क्षमता थी कि वह अपने से 14 गुना ज्यादा वजनी पक्षी को भी मार देता था. (फोटोः विकिमीडिया)

Biggest Haast Eagle
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म्यूनिख स्थित बावेरियन स्टेट कलेक्शन ऑफ जूलॉजी के प्रमुख एनीके वान हेटेरेन ने कहा कि इसका शिकार करने का तरीका तो ईगल जैसा था, लेकिन खाने का तरीका वल्चर जैसा. यानी दो बड़े शिकारियों का जालनेवा मिश्रण. जब इसके चोंच और सिर के हिस्से का थ्रीडी मॉडल बनाया गया तो पता चला कि ये तीन आधुनिक ईगल प्रजातियों और दो वल्चर प्रजातियों के जबड़ों से कई गुना ज्यादा ताकतवर था. यानी ये एक वार में चोंच मारकर शिकार के शरीर के अंदर सिर डाल देता था. (फोटोः एनीके वान हेटेरेन)

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एनीके वान हेटेरेन ने कहा कि जब आप किसी जीव की खोपड़ी देखते हैं तो आपको उसके खाने के तरीके का पूरा आइडिया लग जाता है. साथ ही यह पता चलता है कि इसकी चोंच और खोपड़ी हमला करते समय किस एंगल और कितनी ताकत लगाती होगी. यह मौत की खुराक लेने वाला पक्षी था. यानी एक ही वार में शिकार के शरीर में एक बड़ा छेद और अंदर के किसी महत्वपूर्ण अंग को चीर-फाड़ देता था. (फोटोः गेटी)

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हास्ट ईगल (Haast Eagle) ने अकेले मोआ पक्षियों को नहीं मारा. इंसानों ने भी मारा. लेकिन उस समय ज्यादातर मोआ पक्षी खुद-ब-खुद ज्यादा उम्र की वजह से मर रहे थे. लेकिन हास्ट ईगल जब इन्हें मारता था, तो ये उसके लिए किसी हाथी के शव से कम नहीं होते थे. यानी पूरा खाने का खजाना लेकिन शिकार करना भी मुश्किल. यह स्टडी हाल ही में प्रोसीडिग्ंस ऑफ रॉयल सोसाइटी बीः बायोलॉजिकल साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)

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