कोविड-19 के इलाज के लिए वैक्सीन का होना बहुत जरूरी है लेकिन यह एक कम स्तर की बात है. सिर्फ वैक्सीन से कुछ नहीं होगा. हमें अन्य तरह की दवाओं की जरूरत भी पड़ेगी. जैसे-स्प्रे, इनहेलर या फिर गोलियां. हालांकि अरबों रुपये ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत दवा कंपनियों को दिए गए हैं, ताकि कोरोना के मामलों को कम करने के लिए वो वैक्सीन बना सकें. लेकिन वैक्सीन से असली फायदा क्या है? सिर्फ इतना ही कि ये आपको कोरोना संक्रमण के बुरे असरे से बचाती है. इससे कोरोना ठीक नहीं होता. इसलिए अब वैज्ञानिक विकल्पों की तरफ जा रहे हैं. (फोटोःगेटी)
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) अब बेहतर एंटीवायरल ड्रग्स बनाने पर जोर दे रही है. सिर्फ कोविड-19 के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली महामारियों से बचाव और इलाज के लिए भी. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने 3 बिलियन डॉलर्स 22,243 करोड़ रुपयों का निवेश अमेरिकन रेस्क्यू प्लान में करने का फैसला किया है. ताकि कोविड-19 महामारी के खिलाफ एंटीवायरल ड्रग्स को लेकर रणनीति बनाई जा सके, दवाएं बनाई जा सकीं. यानी कोरोना से बचाने वाली गोलियां. (फोटोःगेटी)
राष्ट्रपति जो बाइडन के चीफ मेडिकल एडवाइजर डॉ. एंथोनी फाउची ने कहा कि भविष्य में ऐसी दवाएं आएंगी जो मुंह से खाई जा सकेंगी. इनसे कोविड-19 से बचाव मिलेगा. साथ ही लोग गंभीर संक्रमण या मौत से बचेंगे. इन दवाओं को आप आराम से घर में रखकर खा सकेंगे. क्योंकि किसी भी बीमारी के लिए गोलियां सबसे बेहतरीन दवाएं होती हैं. (फोटोःगेटी)
Can a simple pill treat COVID? A new initiative from the NIH wants to find one https://t.co/wye9hQ1QPv pic.twitter.com/zVMwwQDU0Q
— Popular Science (@PopSci) June 19, 2021
अमेरिकन रेस्क्यू प्लान का बड़ा हिस्सा कोविड-19 ड्रग्स के रिसर्च और निर्माण में खर्च किया जाएगा. 3 बिलियन डॉलर्स में से करीब 1.2 बिलियन डॉलर्स यानी 8897 करोड़ रुपये एंटीवायरल ड्रग थैरेपी को विकसित करने के लिए दिए गए हैं. ये थैरेपी सिर्फ कोविड-19 के लिए ही नहीं, इसमें भविष्य में आने वाली संभावित महामारियों को रोकने से संबंधित दवाओं को विकसित करने का काम होगा. (फोटोःगेटी)
अब तक जितना भी पैसा एंटीवायरल ड्रग के विकास में लगाया गया वो कम पड़ गया. यहां तक कि FDA से मान्यता प्राप्त रेमडेसिवर दवा भी फेल हो गई. उसे उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी कि वैज्ञानिकों को उम्मीद थी. ये दवाएं इतनी आसानी से नहीं बनती. जितना कि आम लोग सोचते हैं. क्योंकि ऐसी महामारियों से बचने और उनके इलाज के लिए काफी ज्यादा रिसर्च की जरूरत पड़ती है. अगर कोई दवा नसों के जरिए दी जाती है तो वह और मुश्किल काम होता है. (फोटोःगेटी)
रीजेनरॉन (Regeneron) कंपनी द्वारा बनाई गई मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज भी इंजेक्शन के जरिए नसों में डाली जाती हैं. अगर यह कोविड संक्रमण के पहले लक्षण दिखते ही दे दिए जाएं तो Delta और Kappa वैरिएंट से बचाव संभव है. अच्छी थैरेपी वो होती है जो कोविड-19 के संक्रमण को शुरुआती लक्षण दिखते ही ठीक कर दे. लेकिन ऐसी थैरेपीज को लेकर अरबों रुपयों की जरूरत होती है, जिसकी कमी हो गई थी. (फोटोःगेटी)
द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दो दवाइयां बनाई गईं जो कोविड-19 संक्रमण से बचाने में मदद कर सकती है. पहली दवा AT-527 है जिसे आटिया फार्मास्यूटिकल ने बनाया है. इसे पहले हेपटाइटिस-सी को ठीक करने के लिए बनाया गया था. प्राथमिक स्टडी के अनुसार यह दवा कोरोना वायरस से लड़ने में मदद कर सकती है. (फोटोःगेटी)
दूसरी दवा PF-07321332 है. इसे फाइजर ने बनाया था. फाइजर ने इस दवा को SARS के इलाज के लिए बनाया था. जिसे बाद में कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए अपडेट किया गया. फिलहाल फाइजर के रिसर्चर्स इस वैक्सीन को गोलियों में बदलने का प्रयास कर रहे हैं. इसमें समय और पैसे दोनों लगेंगे. क्लीनिकल ट्रायल्स करने पड़ेंगे. ऐसे रिसर्च में राष्ट्रपति बाइडन की तरफ से जारी किए गए पैसों से मदद मिलेगी. (फोटोःगेटी)
अभी की महामारी ने यह बात तो स्पष्ट कर दी है कि वायरस से लड़ाई के लिए हमें ज्यादा प्रभावी वैक्सीन चाहिए. क्योंकि कोई भी वैक्सीन 100 फीसदी प्रभावी या मारक नहीं होती, इसलिए दुनिया को अलग-अलग प्रकार की थैरेपी की जरूरत है. लेकिन इन थैरेपीज को विकसित होने में समय लगेगा. तब तक वैक्सीन लगवाकर लोगों को अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखना होगा. सुरक्षित रहने का प्रयास करना होगा. (फोटोःगेटी)