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साइंस न्यूज़

क्या इंसान कभी Star Trek फिल्म का अंतरिक्षयान USS Enterprise बना पाएगा?

Star Trek USS Enterprise
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ये बात है साल 1960 की जब कहानीकार जीन रोडेनबेरी ने यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) का डिजाइन हॉलीवुड मूवी स्टार ट्रेक (Star Trek) के लिए बनाया था. ऐसा यान जो प्रकाश की गति से भी तेज चलता हो. जो समय के विपरीत या उसके आगे निकल सके. चलते समय पूरी तरह से अदृश्य अंतरिक्षयान. तब उन्होंने इस यान को फिल्म के कथानक में साल 2245 के समय में दिखाया था. यानी आज से आज के समय से 223 साल बाद क्या इंसान यह अंतरिक्षयान बना लेगा. ऐसी कोई संभावना है क्या? (फोटोः पिक्साबे)

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Space.com में प्रकाशित खबर के अनुसार यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) अंतरिक्षयात्रा के लिए बनाया गया काल्पनिक यान है. काल्पनिक इंजीनियरिंग का नमूना. जिसका वजन करीब 40 लाख टन है. यह अपने अंदर 430 लोगों को लेकर यात्रा करने में सक्षम है. इसकी तुलना अगर वर्तमान समय में अंतरिक्ष में इंसानों द्वारा बनाए गए सबसे बड़े या वजनी यंत्र से करें तो वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) है. जो करीब 419 टन का है. यानी दोनों की तुलना फिलहाल तो नहीं की जा सकती. (फोटोः विकिपीडिया)

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ऐसा कहा जा रहा है कि चीन संभवतः एक ऐसा विशालकाय अंतरिक्षयान बना रहा है, जो करीब 960 मीटर यानी एक किलोमीटर लंबा होगा. जबकि ISS सिर्फ 360 फीट यानी 110 मीटर ही है. खैर इंसानों के पास अभी 223 साल हैं, अगर ये चाहें और कुछ देश मिलकर यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) बनाना चाहे, तो ऐसे यान बनाए जा सकते हैं. इस दौरान इंसान जीन रोडेनबरी की कल्पना को सच में बदल सकते हैं. (फोटोः विकिपीडिया)

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यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) जैसा स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए पैसे, विज्ञान, तकनीक और तीव्र बुद्धि वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की जरूरत पड़ेगी. साथ ही समय की भी. क्योंकि ऐसे यान अंतरिक्ष विशिष्ट प्रकार के सेंसर्स, इंजन और बॉडी के साथ जाते हैं. जो आकाशगंगाओं के बीच सेकेंडों में यात्रा कर सकें. जब कोई वस्तु प्रकाश की गति से तेज चलेगी तो उसे इतना मजबूत भी होना चाहिए कि वो घर्षण बर्दाश्त कर ले. (फोटोः गेटी)

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उसमें ऐसे सेंसर्स होने चाहिए जो कई हजार प्रकाशवर्ष दूर तक के अंतरिक्ष को स्कैन कर लें. बाधाओं को देख लें. ग्रहों और तारों की स्थितियों और उनकी ताकत का अंदाजा लगा लें. साथ ही यह भी बता सके कि अंतरिक्ष में किस ग्रह पर जीवन है. किस पर नहीं है. किस ग्रह से यान को खतरा है या किससे नहीं है. वैसे हैरान करने वाली बात ये है कि वैज्ञानिक इस यान को बनाने के लिए एक कदम आगे बढ़ गए हैं. (फोटोः विकिपीडिया)

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शोधकर्ताओं ने सभी जीवों की बायोकेमिस्ट्री खोज ली है जो प्रकाश के साथ संपर्क करने पर अलग-अलग तरह से रिएक्ट करती है. यानी प्रकाश किरणों से यह पता चल जाता है कि जीवन है या नहीं. जैविक पदार्थ अलग प्रकाश छोड़ता है और अजैविक यानी निर्जीव अलग तरह का प्रकाश. कहने का मतलब ये है कि अगर इस तकनीक से विकसित सेंसर्स का उपयोग ऐसे यान में हो तो जीवन का पता लगाया जा सकता है. (फोटोः गेटी)

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यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) जैसे यान पर लगाने के लिए भविष्य में लार्ज यूवी ऑप्टिकल इंफ्रारेड सर्वेयर (LUVOIR) टेलिस्कोप बना सकते हैं. जो सुदूर अंतरिक्ष में जीवन की तलाश करने में सक्षम होगा. अब बात करते हैं कि प्रकाश की गति से तेज चलने वाला यान कैसे बनेगा. पलक झपकने से पहले वह एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाए. यानी ब्रह्मांड के एक कोने से दूसरे कोने में. (फोटोः गेटी)

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यूएसएस एंटरप्राइज (USS Enterprise) से प्रेरित होकर इस गति से चलने वाले यान के लिए 1990 में एक थ्योरी आई थी. जिसे नाम दिया गया था वार्प ड्राइव (Warp Drive). इस समय इंसान ऐसी किसी भी तकनीक को विकसित करने से दशकों दूर हैं. वह एंटरप्राइज के वार्प ड्राइव तकनीक को विकसित करने की क्षमात नहीं रखता. थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट मिगउएल अल्कुबियर ने एक थ्योरी दी थी कि अगर हमें प्रकाश की गति से तेज चलना है तो हमें अंतरिक्ष के समय के तारों को मोड़ना होगा. यानी Fabric of Space Time को बदलना होगा. (फोटोः पिक्साबे)

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इसे ऐसे समझा जा सकता है... मान लीजिए अंतरिक्ष का समय (Space Time) एक रबर की शीट है. जिसपर किसी प्रकार का पदार्थ रखा है. जो अपने वजन के मुताबिक रबर की शीट पर लहरें पैदा कर रहा है. अगर ये लहर तेजी से यान के चारों तरफ से निकले तो यान प्रकाश की गति से तेज अंतरिक्ष में यात्रा कर सकता है. लेकिन फिलहाल इंसानों के पास ऐसी कोई तकनीक या प्रैक्टिल मॉडल नहीं है, जिससे इसे पूरा किया जा सके. (फोटोः गेटी)

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