Chandrayaan-3 अब दो टुकड़ों में बंट चुका है. प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल एकदूसरे से अलग हो चुके हैं. अब आगे की यात्रा विक्रम लैंडर को अकेले ही तय करनी है. अब सिर्फ छह दिन बचे हैं चांद की सतह पर विक्रम की लैंडिंग के लिए. 16 अगस्त की सुबह चांद की पांचवीं कक्षा में पहुंचा था. सिर्फ एक मिनट के लिए इंजन को ऑन किया गया था. अब वह 153 km x 163 km की ऑर्बिट में घूम रहा है. (सभी फोटो: ISRO)
इससे पहले चंद्रयान 150 km x 177 km की ऑर्बिट में था. ये बात 14 अगस्त 2023 की है. इस समय प्रोपल्शन मॉड्यूल रेट्रोफायरिंग करवा रहा है. यानी गति धीमी करने के लिए उलटी दिशा में यान चल रहा है.
17 अगस्त की दोपहर करीब एक बजे चंद्रयान-3 का इंटीग्रेटेड मॉड्यूल (Integrated Module) दो हिस्सों में बंट गया. इसका एक हिस्सा है प्रोपल्शन मॉड्यूल. दूसरा हिस्सा है लैंडर मॉड्यूल. दोनों अब तक जुड़कर एकसाथ यात्रा कर रहे थे. लेकिन अब दोनों अलग हो चुके हैं.
अलग होने के बाद प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल 153 km x 163 km ऑर्बिट में घूमना शुरू करेंगे. लेकिन थोड़ी दूरी के साथ. ताकि एकदूसरे से टकराए नहीं. इसके बाद 18 और 20 अगस्त को लैंडर की डीऑर्बिटिंग कराई जाएगी.
18 अगस्त 2023 की दोपहर करीब चार बजे एक मिनट के लिए लैंडर के थ्रस्टर्स को ऑन किया जाएगा. ताकि उसे सही दिशा में लाकर गति कम की जा सके. फिर 20 अगस्त की देर रात पौने दो बजे के आसपास भी यही काम किया जाएगा. अभी चंद्रयान-3 को 100 किलोमीटर वाली गोलाकार कक्षा में लाना बाकी है.
अब चंद्रयान-3 से संबंधित चार चरण पूरे हो चुके हैं. पांचवां चरण है प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल का अलग होना. फिर 23 तारीख की शाम पौने छह बजे लैंडिंग कराई जाएगी. यह आठवां चरण होगा. लैंडिंग के समय काफी धूल उड़ने की आशंका है. इसलिए धूल के छटने तक लैंडर से रोवर बाहर नहीं आएगा.
इसके बाद नौवें चरण में रोवर लैंडर के पेट से बाहर निकलेगा. बाहर निकलने के बाद रोवर प्रज्ञान लगातार लैंडर के आसपास के इलाके की जांच करेगा.
जांच करने के बाद वह लगातार अपना डेटा विक्रम लैंडर को भेजेगा. लैंडर अपनी जानकारी को चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊंचाई पर घूम रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल को देगा. यहां से डेटा बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) को मिलेगा.
मजेदार बात ये है कि चंद्रयान-3 जब चांद की सतह पर चलेगा, तब उसके पहियों में बनाए गए खास खांचों से जमीन पर राष्ट्रीय चिन्ह और इसरो का लोगो बनता रहेगा.