कुछ घंटे पहले यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्स्की (Volodymyr Zelenskyy) को जो आशंका थी, वह पूरी हो चुकी है. उन्हें डर था कि रूस (Russia) की सेना चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) पर कब्जा कर सकता है. जो अब हो चुका है. राष्ट्रपति ने कहा था कि हमारे सैनिक अपनी जान पर खेल कर इस इलाके को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि साल 1986 जैसा हादसा न हो. राष्ट्रपति ने इसकी जानकारी स्वीडेन के प्रधानमंत्री को भी दी थी. साथ ही कहा कि पूरे यूरोप के खिलाफ युद्ध का ऐलान है. (फोटोः एपी)
Російські окупаційні сили намагаються захопити #Чорнобильську_АЕС. Наші захисники віддають життя, щоб трагедія 86-го року не повторилася. Повідомив про це @SwedishPM. Це оголошення війни всій Європі.
— Володимир Зеленський (@ZelenskyyUa) February 24, 2022
पहले आपको बता दें कि साल 1986 में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) परमाणु रिसाव की वजह से भयानक हादसा हुआ था. Livescience.com में प्रकाशित एक खबर के अनुसार हादसे के बाद रेडिएशन का असर 2600 वर्ग किलोमीटर तक था. वैज्ञानिकों ने कहा था कि इस जगह पर कोई भी इंसान अगले 24 हजार साल तक नहीं रह सकता. अब यह परमाणु कचरे का स्टोरेज सेंटर है. यहां पर टनों परमाणु ईंधन रखा है. पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि इस प्लांट के अंदर ईंधन आज भी सुलग रहा है. जो किसी भी दिन विस्फोट कर सकता है. (फोटोः गेटी)
inews.com की खबर के मुताबिक चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) में इस समय यूक्रेन और रूस के परमाणु संयत्रों से निकला 22 हजार बोरी परमाणु कचरा रखा है. यहां पर किसी तरह का हमला बड़ी आपदा को बुला सकता है. यूक्रेन के साइंटिफिक एंड टेक्निकल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एंड रेडिएशन सेफ्टी के प्रमुख डिमित्रो गुमेनयुक ने कहा कि इस जगह पर एक भी बारूदी विस्फोट हुआ तो बड़ी आफत आ जाएगी. रेडिएशन हर जगह से फैलेगा. फिर इसे संभाल पाना मुश्किल होगा. (फोटोः एपी)
रूस और यूक्रेन की मीडिया में आई खबरों के अनुसार चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के बेसमेंट में मौजूद कमरा संख्या 305/2 में पहुंच पाना मुश्किल है. कुछ शोधकर्ताओं ने हिम्मत जुटाकर इसके बाहर तक पहुंचे. वहां पर उन्हें न्यूट्रॉन्स की मात्रा में बढ़ोतरी देखने को मिली. ऐसा कहा जाता है कि 305/2 नंबर कमरे में भारी मात्रा में पत्थर पड़े हैं. जिसके अंदर रेडियोएक्टिव यूरेनियम, जिर्कोनियम, ग्रेफाइट और रेत भरी पड़ी है. (फोटोः गेटी)
Chernobyl's nuclear fuel is 'smoldering' again and could explode https://t.co/CkLrUf3W3o pic.twitter.com/bHZTjhQOxU
— Live Science (@LiveScience) May 14, 2021
अगर 305/2 नंबर के कमरे में रिएक्शन ने रौद्र रूप लिया तो ये ज्वालामुखी के लावे की तरह फट पड़ेगा. एक्सपर्ट्स के अनुसार इस कमरे में रखे परमाणु पदार्थ लावा की तरह फटने के फ्यूल कंटेनिंग मटेरियल (FCM) में बदलेंगे. किसी जगह पर न्यूट्रॉन्स की मात्रा बढ़ती है तो ये माना जाता है कि FCM में फिशन रिएक्शन (Fission Reaction) हो रहा है. यानी न्यूट्रॉन्स की मात्रा बढ़ती है यानी यूरेनियम का केंद्रक टूट रहा है. इससे भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न हो रही है. (फोटोः गेटी)
अगर रूस की मिसाइलें या तोप के गोले चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) पर गिरते हैं, उसे ध्वस्त कर देते हैं, तो फिर से 1986 जैसा हादसा हो सकता है. यूके स्थित शेफील्ड यूनिवर्सिटी के परमाणु एक्सपर्ट नील हयात ने कहा कि इस समय चेर्नोबिल के कमरा नंबर 305/2 में जो स्थिति है वो ठीक वैसी ही है जैसे कोई भट्टी धीरे-धीरे गर्म हो रही हो. (फोटोः गेटी)
अगर युद्ध की वजह से यहां पर हमला होता है या प्लांट के बेसमेंट में सुराख होता है तो भयावह स्तर रेडिएशन फैल सकता है. इससे आसपास के इलाकों के लोगों के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी. साल 1986 में हुए विस्फोट की वजह से हजारों लोगों की मौत तो हुई ही थी, पूरे यूरोप के ऊपर रेडियोएक्टिव बादल छाए हुए थे. (फोटोः गेटी)
यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सेफ्टी प्रॉब्लम्स ऑफ न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स के सीनियर रिसर्चर मैक्सिम सेवलीव ने कहा कि अगर परमाणु ईंधन फिर से सुलगता है तो यह संयंत्र के अंदर बने यूनिट 4 रिएक्टर की पूरी इमारत को ध्वस्त कर देगा. क्योंकि ईंधन से निकली ऊर्जा इसे मजबूती से बंद रखने वाले स्टील और कॉन्क्रीट की दीवार को पिघला देगी. (फोटोः गेटी)
Fission reactions are smoldering again in uranium fuel masses buried deep inside a mangled reactor hall in Chernobyl. Now, Ukrainian scientists are scrambling to determine whether the reactions require extraordinary interventions to avert another accident. https://t.co/13cJjrWcS9
— AAAS (@aaas) May 7, 2021
परमाणु ईंधन को बंद करने वाले कमरे का ढांचा बहुत पुराना है. ये आसानी से टूट सकता है. यहां विस्फोट होते ही चारों तरफ भयानक रेडियोएक्टिव खतरा फैल जाएगा. साथ ही हजारों टन मलबा निकलेगा. बेसमेंट में मौजूद कमरा नंबर 305/2 में पिछले पांच साल से लगातार न्यूट्रॉन्स की मात्रा बढ़ रही है. अगर किसी तरह की घटना नहीं होती है, तो ये इसी तरह से निकलते रहेंगे. लेकिन एक स्तर के बाद ये फट पड़ेंगे. (फोटोः गेटी)
सर्दियों के मौसम में यहां पर बर्फ जमा हो जाती है, जिससे प्लांट काफी ज्यादा ठंडा हो जाता है. लेकिन युद्ध के माहौल में गर्मी बढ़ी तो बड़े हादसे से रोका नहीं जा सकेगा. सबसे बड़ी दिक्कत है कि कमरा नंबर 305/2 में रखे परमाणु ईंधन को संभालना और उसे निष्क्रिय करना मुश्किल है क्योंकि यहां पर इस समय जो रेडिएशन है वो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है. लेकिन रेडिएशन में काम करने वाले रोबोट्स ये काम कर सकते हैं. वो कमरे में ड्रिल करके न्यूट्रॉन्स को सोखने वाले पदार्थों को वहां पर रख सकते हैं. (फोटोः गेटी)