आपने कोरोना की वैक्सीन लगवाई, इसके बाद आपको लगता है कि दो-तीन में आपका शरीर कोरोना वायरस से सुरक्षित हो गया. ऐसा नहीं है. कोविड-19 की वैक्सीन लगने के तीन हफ्ते यानी करीब 21 दिन बाद आपका शरीर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए तैयार होता है. लेकिन इन 21 दिनों के भीतर अगर आपने लापरवाही बरती तो संक्रमण हो सकता है. इंग्लैंड में हुई एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि आखिर पहली डोज के कितने दिन बाद कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. वहीं, दूसरी डोज के बाद क्या होता है? (फोटोः गेटी)
इंग्लैंड स्थित यूके ऑफिस ऑफ नेशनल स्टेटिस्टिक्स (ONS) के आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस की वैक्सीन का पहला डोज लेने के 21 दिन बाद आप सुरक्षित होते हैं. यानी तीन हफ्ते के बाद ही आपका शरीर इस स्थिति में पहुंचता है कि आपको कोरोना संक्रमण होने से बचा सके. अगर संक्रमण होता भी है तो उसका दुष्प्रभाव बेहद कम होगा. आपकी तबियत गंभीर नहीं होगी. न ही आपको अस्पताल जाना पड़ेगा. (फोटोः गेटी)
ONS का यह विश्लेषण 31 मई 2021 तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया है. इसमें कहा गया है कि वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद पहले 16 दिन तक कोरोना संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है. लेकिन इसके करीब एक हफ्ते के बाद ये तेजी से घटने लगता है. एक महीने बाद तो कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा स्तर पर कम हो जाता है. वैक्सीनेशन के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा लोगों में बहुत ज्यादा कम हो जाता है. (फोटोः गेटी)
इंग्लैंड में 297,493 लोगों के सैंपल वैक्सीनेशन के बाद लिए गए. इनमें से सिर्फ 0.5 फीसदी लोगों को ही कोरोना का नया संक्रमण हुआ. जिन्होंने फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन लगवाई है, उनमें से सिर्फ 0.8 फीसदी लोगों को ही कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ. जबकि जिन लोगों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाई थी, उनमें से 0.3 फीसदी लोगों को ही वैक्सीनेशन के बाद कोरोना संक्रमण हुआ. ये पहले डोज के बाद की स्थिति थी. (फोटोः गेटी)
Risk of covid-19 infection plummets 21 days after a vaccination https://t.co/ZFx1BjwVVF pic.twitter.com/mnNlPwiCuw
— New Scientist (@newscientist) June 18, 2021
जिन 210,918 लोगों ने दोनों वैक्सीन में से किसी की भी दोनों डोज ले ली थीं, उनमें 0.1 प्रतिशत लोग ही वैक्सीनेशन के बाद कोरोना संक्रमण की चपेट में आए. कुछ लोगों ने जिनको हाल ही में कोरोना की वैक्सीन लगी थी, वो भी कोविड-19 पॉजिटिव हुए, लेकिन उन्हें वायरस का संक्रमण इंजेक्शन से पहले ही हो चुका था. वो एसिम्प्टोमैटिक थे. या फिर वो वैक्सीनेशन सेंटर में किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए होंगे. (फोटोः गेटी)
इस स्टडी में युवाओं और बुजुर्गों के हिसाब से अलग-अलग आंकड़ें सामने आए हैं. इनमें एक स्टडी वो भी शामिल है जिसमें उन लोगों को भी शामिल किया गया है जिन्हें वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है. इंग्लैंड में 20 मई से 7 जून के बीच 110,000 स्वैब टेस्ट किए गए. इससे पता चला कि कोविड-19 का संक्रमण हर 11 दिन में दोगुना हो रहा था. यानी 670 में से कोई एक शख्स कोरोना की चपेट में आ रहा था. उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड में यह दर ज्यादा था. (फोटोः गेटी)
इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ता और स्टडी में शामिल स्टीवन रिले कहते हैं कि युवाओं के बीच कोरोना संक्रमण इस साल तेजी से फैला था. यह एक बुरी खबर है. यह बताता है कि यूनाइटेड किंगडम के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण का दर भी अलग-अलग है. इसलिए एक समय में पूरे देश का आंकड़ा निकालना लगभग असंभव है. (फोटोः गेटी)
इंपीरियल कॉलेज लंदन के दूसरे शोधकर्ता पॉल एलियट कहते हैं कि अगर हम ज्यादा डिटेल में एनालिसिस करें तो हमें चौंकाने वाले आंकड़ें देखने को मिलेंगे. जैसे- जिन बुजुर्गों ने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है, उनमें दोबारा कोरोना संक्रमण बहुत कम हो रहा है. वो ज्यादा सुरक्षित हैं. लेकिन 65 साल से कम उम्र के लोगों के साथ यह फायदा नहीं है. चाहे उन्होंने एक डोज ली हो या दोनों. उनमें से कई लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ है. हालांकि यह काफी कम है. (फोटोः गेटी)