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साइंस न्यूज़

Cyclone Michaung: समंदर में कैसे बना साइक्लोन मिचौंग... क्यों जमीन पर आकर मचा रहा है तबाही?

Cyclone Michaung
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बंगाल की खाड़ी में पैदा होने वाला चक्रवाती तूफान मिचौंग (Cyclone Michaung) को नाम दिया म्यांमार ने. लेकिन ये पैदा कैसे हुआ? इस साल देश में कहर बरपाने वाला छठा तूफान. बंगाल की खाड़ी में आने वाला चौथा साइक्लोन. इस साइक्लोन की वजह से चेन्नई डूब गई. कई जगहों पर पानी जमा हो गया. 8 लोगों की मौत हो गई. (सभी फोटोः PTI)

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ये चक्रवाती तूफान अब चेन्नई से तो आगे बढ़ गया है. लेकिन आंध्र प्रदेश की ओर चला है. इसके रास्ते में गुंटूर और विशाखापट्टनम भी आ रहे हैं. हालांकि ये भी हो सकता है कि तटों तक पहुंचने पर तूफान की ताकत कम हो सकती है. या ये और ज्यादा मजबूत हो सकता है. ज्यादा तीव्र होने पर नुकसान होने की आशंका ज्यादा है. हालांकि तैयारी पूरी है. 

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बंगाल की खाड़ी आमतौर पर अरब सागर की तुलना में ज्यादा सक्रिय है. यहां पर ही ज्यादा तूफान आते हैं. लेकिन अब अरब सागर में भी ज्यादा तूफान आने लगे हैं. इसकी वजह है समुद्र के ऊपरी सतह का तेजी से गर्म होना. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तेजी से गर्म होते जा रहे हैं. जिससे ज्यादा तूफान बन रहे हैं. 

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40 सालों में हर मॉनसून से पहले अरब सागर का तापमान 1.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. यह वैश्विक गर्मी यानी ग्लोबल वार्मिंग से हो रहा है. अरब सागर में चक्रवातों के आने की फ्रिक्वेंसी और तीव्रता लगातार बढ़ रही है. बिपरजॉय और ताउते तूफान को कौन भूल सकता है. इन तूफानों की शुरूआत कमजोर होती है. बाद में ये तीव्र और भयावह हो जाते हैं.  

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अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले कमजोर तूफान अचानक अपनी गति बढ़ाते हैं. इसे रैपिड इंटेसीफिकेशन (Rapid Intensification) कहते हैं. यानी पहले तूफान की गति कम होती है, जो 24 घंटे में बढ़कर 2.5 से 3 गुना बढ़ जाती है. मिचौंग तूफान अब सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म (Severe Cyclonic Storm) बन चुका है. 

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आमतौर पर मॉनसून से पहले दोनों सागरों का सतही तापमान कम तेजी से बढ़ता है. बिपरजॉय तूफान के समय अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का तापमान 1.5 और 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ा था. लेकिन अब सर्दियां शुरू हो चुकी हैं. ऐसे में समुद्र का गर्म होना समझ नहीं आता. फिलहाल साइक्लोन मिचौंग 90 से 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से बढ़ रहा है. 

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जमीनी सतह के गर्म होने के बाद समुद्र का तापमान बढ़ने से साइक्लोन की ताकत और बढ़ जाती है. क्योंकि जितनी ज्यादा गर्मी बढ़ेगी, तूफान को उतना ज्यादा पानी मिलेगा. जिससे वह और मजबूत होता चला जाता है. ये पानी उसे समंदर से मिलता है. वह भी भाप के तौर पर. 

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IPCC की पांचवीं एसेसमेंट रिपोर्ट देखेंगे तो उसमें भी लिखा गया है कि ग्रीनहाउस गैसों से निकलने वाली अतिरिक्त गर्मी का 93% हिस्सा समंदर सोखते हैं. ऐसा 1970 से लगातार हो रहा है. इसकी वजह से सागरों और महासागरों का तापमान साल-दर-साल बढ़ रहा है. ऐसे माहौल की वजह से मिचौंग जैसे चक्रवाती तूफानों की आमद बढ़ गई है. 

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मिचौंग जैसे तूफान हमेशा सागरों के गर्म हिस्से के ऊपर ही बनते हैं, जहां पर औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है. ये गर्मी से ऊर्जा लेते हैं और सागरों से नमी खींचते हैं. अरब सागर और हिंद महासागर का पश्चिमी हिस्सा पिछली एक सदी से लगातार गर्म हो रहा है. गर्म होने का यह दर किसी भी अन्य उष्णकटिबंधीय इलाके से ज्यादा है. 

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वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत में मौसम संबंधी आपदाओं की जानकारी पहले ही सटीकता के साथ मिल जाती है. जिससे राहत एवं आपदा बचाव टीम लोगों को सही समय पर बचा लेती हैं. भारत में मैनग्रूव्स को बढ़ाना चाहिए. क्योंकि ये तूफानों के दौरान आने वाली बाढ़ और ऊंची लहरों से बचाते हैं. 

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