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साइंस न्यूज़

Death Valley में प्रचंड गर्मी, पारा 54.4 डिग्री सेल्सियस पार

Death Valley temperature
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दुनिया में इस समय सबसे ज्यादा गर्मी अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित डेथ वैली (Death Valley) हो रही है. यहां पर पारा गर्मी का नया रिकॉर्ड बनाने वाला है. यहां पर इस वीकेंड तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. यानी इस जगह पर अगर आपने खुले में अंडा फोड़ा तो उसका ऑमलेट बनना तय है. आइए जानते हैं कि इस गर्मी के पीछे की वजह क्या है? डेथ वैली में और दुनिया में इससे पहले कितना ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया है? (फोटोः गेटी)

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द वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक 7 जुलाई 1931 में ट्यूनीशिया के केबिलि में पारा 55 डिग्री सेल्सियस तक गया था. डेथ वैली में इससे पहले सबसे ज्यादा गर्मी 10 जुलाई 1913 में रिकॉर्ड की गई थी. तब यहां के ग्रीनलैंड रैंच (Greenland Ranch) जिसे अब फर्नेस क्रीक (Furnace Creek) कहते हैं, वहां पर पारा 56.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. लेकिन कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि यह आंकड़ा सही नहीं है. जबकि, यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है.  (फोटोः गेटी)

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पिछले साल ही 16 अगस्त को डेथ वैली में पारा 54.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. डेथ वैली (Death Valley) दुनिया की सबसे गर्म और सूखी हुई जगह है. इस जगह की बनावट और पहाड़ों से घिरने की वजह से यहां की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती. जब भी प्रशांत महासागर में तूफान उठता है वह पहाड़ियों की रेंज को पार करके पूर्व की तरफ बढ़ता है. भाप से भरे तूफानी बादल इन पहाड़ों से टकराते हैं. ऊपर उठते हैं और ठंडे हो जाते हैं. फिर वहां पर बारिश होती है या बर्फ गिरती है.  (फोटोः गेटी)

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जब ये बादल पहाड़ों की दूसरी तरफ पहुंचते हैं तब इनमें नमी कम बचती है. इस कहते हैं ड्राई रेनशैडो (Dry Rainshadow). डेथ वैली और प्रशांत महासागर के बीच में पहाड़ों की चार रेंज हैं. जिसकी वजह से बादल यहां तक पहुंच ही नहीं पाते. इसलिए यहां का तापमान कभी कम नहीं हो पाता. जब सूरज की गर्मी से डेथ वैली की सतह सूखती है तो रेडिएशन वहीं जकड़ कर रह जाती है. क्योंकि पहाड़ों के इस तरफ बारिश आती नहीं और गर्मी दूसरी तरफ जाती नहीं.  (फोटोः गेटी)

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हालांकि, डेथ वाली (Death Valley) दुनिया में इकलौती ऐसी जगह नहीं है, जहां पर गर्मी सबसे ज्यादा है. पिछले महीने उत्तर-पश्चिम अमेरिका और कनाडा में करीब 3 करोड़ लोगों को हीटवेव का सामना करना पड़ा है. नेशनल वेदर सर्विस के मुताबिक इन इलाकों में अत्यधिक उच्च स्तर का हीट अलर्ट जारी किया गया है. यानी कैलिफोर्निया, नेवादा, एरिजोना और उटाह में यह अलर्ट जारी है. यह अलर्ट तब जारी किया जाता है, जब गर्मी से सेहत को सीधे खतरा होता है.  (फोटोः गेटी)

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पश्चिमी अमेरिका में इस समय चल रहे हीटवेव को हीट डोम (Heat Dome) कहा जा रहा है. क्योंकि यहां पर गर्म हवा का एक गुंबद बन गया है, जो टूट नहीं पा रहा है. गर्मी किसी भी दिशा में निकल नहीं पा रही है. इसकी वजह से बादलों का निर्माण भी नहीं हो रहा है कि बारिश हो. अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम रेगिस्तान और मध्य कैलिफोर्निया में औसत तापमान 43.33 डिग्री सेल्सियस चल रहा है. वहीं ग्रेट बेसिन में 37.77 डिग्री और प्रशांत महासागर के पास उत्तर-पश्चिम इलाके में 32 डिग्री सेल्सियस पर पारा अटका हुआ है.  (फोटोः गेटी)

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ऐसा कहा जा रहा है कि 12 जुलाई यानी आज के बाद कनाडा और मोंटाना के मौसम में कुछ बदलाव आएगा. क्योंकि ठंडी हवा के एक झोंका प्रशांत महासागर से पूर्व की तरफ बढ़ रहा है. इससे कैलिफोर्निया के उत्तरी इलाकों में राहत मिलने की उम्मीद है. लेकिन ये कितने दिन तक राहत देगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. (फोटोः गेटी)

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उत्तर-पश्चिम अमेरिका और कनाडा में पिछले 15 दिन पड़ी भीषण गर्मी की वजह से प्रशांत महासागर और आसपास के सागरों में 100 करोड़ से ज्यादा समुद्री जीव मारे गए हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक अधिक तापमान को ये जीव बर्दाश्त नहीं कर पाए. इस इलाके में इतनी गर्मी पड़ी थी कि सड़कों पर दरारें आ गई थीं. खुले में रखे अंडों से ऑमलेट बन जा रहा था. कनाडा में तो एक कस्बा जलकर खाक हो गया. और तो और घरों की दीवारें तक पिघल गई थीं. (फोटोः क्रिस्टोफर हार्ले)

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अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में पड़ी भीषण गर्मी की वजह से पश्चिमी अमेरिका और कनाडा के आसपास मौजूद सागरों में 1 बिलियन यानी 100 करोड़ से ज्यादा समुद्री जीवों की मौत हुई है. घोंघे (Mussels) अपने सेल में पक गए. समुद्री किनारों और पत्थरों पर मृत और सूखे हुए सी स्टार (Sea Stars) देखे गए. इतना ही नहीं गर्मी की वजह से पक रही नदियों में सालमन मछली (Salmon Fish) को तैरने में दिक्कत हो रही थी. (फोटोः क्रिस्टोफर हार्ले)

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यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के मरीन बायोलॉजिस्ट क्रिस्टोफर हार्ले कहते हैं कि यह उन हॉलीवुड फिल्मों जैसा नजारा था, जिनमें प्रलय आने के बाद की स्थिति दिखाते हैं. इन मृत जीवों की संख्या पता करने के लिए क्रिस्टोफर हार्ले ने कहा समुद्री तटों का सहारा लिया. उससे एक मॉडल बनाया. उन्होंने बताया कि एक समुद्री तट पर कितने मरे हुए घोंघे और सी स्टार दिखे, उससे अंदाजा लगता है कि उनके निवास स्थान पर कितने और ऐसे जीव मारे गए होंगे.  (फोटोः क्रिस्टोफर हार्ले)

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कुछ सरकारी संस्थान गर्म इलाकों से समुद्री जीवों को उठाकर ठंडे पानी में छोड़ने का प्रयास भी कर रहे हैं. उदाहरण के लिए इडाहो फिश एंड गेम एजेंसी गर्म नदियों से सालमन मछली को पकड़कर ठंडे हैचरी में स्थानांतरित कर रहे हैं. लेकिन हर मछली की किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती. कैलिफोर्निया के सेंट्रल वैली में स्थित चिनूक सालमन मछलियां (Chinook Salmon Fish) लाखों की संख्या में मारी गईं. कइयों के तो अंडे ही खराब हो गए.  (फोटोः गेटी)

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आपको बता दें कि जून महीने के आखिरी दो हफ्तों में कनाडा और उत्तर-पश्चिम अमेरिका में भीषण गर्मी पड़ी थी. पारा 49.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. जो कि एक नया रिकॉर्ड था. वर्ल्ड मेटरियोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक इसे 'प्रेशर कूकर' हीटवेव कहा जा रहा था. इस गर्मी की वजह से कनाडा और उत्तरी-पश्चिम अमेरिका में स्कूलों को बंद कर दिया गया था. कोरोना जांच केंद्रों को भी बंद कर दिया गया था. क्योंकि गर्मी की वजह से सड़कों पर दरारें आ चुकी थी. अंडे को बाहर रख दो तो वो ऑमलेट बन जा रहा था. घरों के बाहर लगे धातु के कवर पिघल कर अपना आकार बदल रहे थे. कई स्थानों पर धातुओं से बने ढांचे पिघले हुए और टेढ़े-मेढ़े देखे गए थे. (फोटोः गेटी)

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