वैज्ञानिकों ने प्रशांत महासागर में सबसे गहरा छेद कर दिया है. ये किसी भी सागर में किया गया इतिहास का सबसे गहरा छेद है. इस छेद की गहराई 8 किलोमीटर है. छेद करने के पीछे मकसद है भूकंप का इतिहास जानना. आइए जानते हैं कि इस गहरे छेद को करने के पीछे कौन से वैज्ञानिक लगे थे. क्या इतने गहरे छेद से भविष्य में धरती के अंदर का लावा बाहर तो नहीं आ जाएगा. कहीं इससे समुद्री जीवन को कोई नुकसान तो नहीं होगा. (फोटोःगेटी)
IODP एक्पेडिशन 8386 जापान ट्रेंच पैलियोसीस्मोलॉजी के अनुसार 14 मई को साइंटिफिक रिसर्च वेसल कैईमेई (Research Vessel Kaimei) ने 2 घंटे 40 मिनट में 8 किलोमीटर गहरा ड्रिल किया. ये ड्रिल किया गया है प्रशांत महासागर में स्थित जापान ट्रेंच (Japan Trench) के पास. इस दौरान वैज्ञानिकों ने समुद्र के नीचे से 120 लंबा सेंडिमेंट कोर भी निकाला. वैज्ञानिकों ने यह छेद पतले, मजबूत और ताकतवर ड्रिल मशीन जायंट प्रिस्टन कोरेर (Giant Priston Corer) से किया है. (फोटोःECORD/IODP/JAMSTEC)
जिस जगह ये ड्रिलिंग की गई उसी जगह पर साल 2011 वाला भूकंप आया था, इसकी तीव्रता 9.1 थी. जिसकी वजह से जापान में जलजला आ गया था. इस भूकंप को तोहोकुओकी भूकंप (Tohokuoki Earthquake) कहा जाता है. इस भूकंप की वजह से इतनी बड़ी सुनामी आई थी कि उससे जापान समेत कई देशों की हालत खराब कर दी थी. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस इलाके के सेडिमेंट का अध्ययन करके वो भूकंप के प्राचीन इतिहास की जानकारी जुटा पाएंगे. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
रिसर्च वेसल काईमेई ने जो छेद किया है वह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इससे पहले 1978 में दुनिया की सबसे गहरी जगह मरियाना ट्रेंच (Mariana Trench) में ग्लोमार चैलेंजर नाम के वेसल ने 7 किलोमीटर गहरा छेद किया था. हालांकि जापान ट्रेंच में किया गया सबसे गहरा छेद 8 किलोमीटर का है. लेकिन जमीन या पानी में अब तक का सबसे गहरे छेद का रिकॉर्ड कोला सुपरडीप बोरहोल (Kola Superdeep Borehole) के नाम जाता है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
कोला सुपरडीप बोरहोल को रूस वैज्ञानिकों ने बनाया था. 1970 में रूस के उत्तरी प्रायद्वीप कोला में ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ जो 1989 में जाकर पूरा हुआ. ये छेद जमीन में किया गया है. इसकी गहराई 12,200 मीटर है यानी 12 किलोमीटर 200 मीटर गहरा. इस प्रोजेक्ट से कई भूगर्भीय सैंपल्स जुटाए गए. ये सैंपल महाद्वीपों के नीचे धरती के अंदर से जुटाए गए थे. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)
तोहोकुओकी भूकंप (Tohokuoki Earthquake) 9.1 तीव्रता का था. इसका कंपन लगभग पूरी दुनिया ने महसूस किया था. नॉर्वे से लेकर अंटार्कटिका तक. अमेरिका के तटों पर तो कई सालों तक सुनामी के बहा कचरा आता रहा. उस हादसे में 1.50 लाख लोग बेघर हो गए थे. 50 हजार लोग तो आज भी अस्थाई घरों में रह रहे हैं. करीब 1.20 लाख इमारतें ध्वस्त हो गई थीं. 2.78 लाख घर आधे टूट गए थे. हजारों लोग मारे गए थे. (फोटोःगेटी)
जिस जगह इस भूकंप की शुरुआत हुई यानी जापान ट्रेंच के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट के हिलने से. ठीक उसी जगह के पास रिसर्च वेसल काईमेई के वैज्ञानिकों ने 8 किलोमीटर गहरी ड्रिलिंग की है. जो सेडिमेंट उन्होंने निकाले हैं, उनसे भूकंप के इतिहास का पता किया जाएगा. इससे यह भी पता लग सकता है कि अगला भयानक भूकंप या सुनामी कब आ सकती है. (फोटोःगेटी)