एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि अगर कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज देरी से दी जाए तो इससे कोविड-19 संक्रमण की वजह से मौतें कम होंगी. ये बात 65 साल से कम उम्र के लोगों के लिए कही गई है. हालांकि इसमें ये भी कहा गया है कि अगर परिस्थितियां अनुकूल हुईं तभी ये काम किया जा सकता है, क्योंकि ये एक संभावना मात्र है. (फोटोः रॉयटर्स)
कोरोना वायरस महामारी अभी खत्म नहीं हुई है. पूरी दुनिया में इस बात पर चर्चा चल रही है कि क्या पहले डोज के बाद दूसरे डोज के बीच में गैप बढ़ाया जाए. क्या इससे लोगों को सुरक्षा मिलेगी. या फिर दोनों डोज के बीच के समय में क्नीनिकल ट्रायल्स करके सटीक परिणाम निकाले जाएं. (फोटोः गेटी)
दवा कंपनी फाइजर ने कहा कि उसके पास ऐसे कोई क्लीनिकल सबूत मौजूद नहीं है कि दो डोज के बीच गैप बढ़ाया जाए. लेकिन ब्रिटेन का फैसला है कि दो डोज के बीच 12 हफ्ते का गैप होना चाहिए. क्योंकि इंग्लैंड में पहले डोज के बाद ही मौत से 80 फीसदी लोग बचे हैं. साथ ही संक्रमण में 70 फीसदी की गिरावट आई है. (फोटोः गेटी)
दूसरे डोज में देरी के लिए की गई स्टडी अमेरिका में हुई है. यह BMJ ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसमें 1 लाख अमेरिकी वयस्कों का सैंपल लेकर सिमुलेशन मॉडल बनाया गया है. इसमें ऐसा माहौल क्रिएट किया गया है जिसमें अलग-अलग परिस्थितियों में संक्रमण के स्थिति की जांच की जा सके. इसमें अलग-अलग एफिकेसी वाली वैक्सीन, वैक्सीनेशन दर आदि को शामिल किया गया है. (फोटोः गेटी)
इस स्टडी को करने वाले साइंटिस्ट्स की टीम के प्रमुख और मेयो क्लीनिक के साइंटिस्ट थॉमस सी. किंग्स्ले ने कहा कि हम कोरोना के दूसरे डोज को आगे बढ़ाने की बात विशेष परिस्थितियों में कह रहे हैं. इससे मृत्युदर, संक्रमण और अस्पतालों में भर्ती हो रहे लोगों की संख्या में कमी आएगी. साथ ही दवा कंपनियों को वैक्सीन बनाने का समय मिलेगा. (फोटोः गेटी)
Delaying second COVID-19 vaccine doses can help reduce deaths - study https://t.co/A5WaZ68orW pic.twitter.com/eJjttlbqQf
— Reuters (@Reuters) May 13, 2021
थॉमस ने बताया कि इस विशेष परिस्थितियों में शामिल हैं- पहली डोज की एफिकेसी 80 फीसदी से ज्यादा हो. देश की आबादी के अनुसार 0.1 से 0.3 फीसदी वैक्सीनेशन दर हो. अगर ये दोनों स्थितियां मिलती हैं तो वैक्सीन की दूसरी डोज में देरी की जा सकती है. इससे एक लाख में 26 से 47 लोगों के मरने का दर मिलेगा. जो अभी बहुत ज्यादा है. (फोटोः रॉयटर्स)
वहीं, दूसरी तरफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हो रही एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर दो अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी जाए तो उन्हें हाथ में दर्द, सर्दी और थकान जैसी दिक्कत हो सकती है. स्टडी में सामने आया है कि किसी को अगर पहली डोज फाइजर वैक्सीन (Pfizer Vaccine) की दी जाए और दूसरी डोज एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) वैक्सीन दी जाए या इसे उलट दिया जाए तो शख्स को सिर दर्द, सर्दी हो सकती है. या फिर दोनों लक्षण देखने को मिल सकते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ही ब्रिटेन में लगाई जा रही है. इसलिए इन दोनों को मिलाकर एक नई वैक्सीन बनाने की तैयारी चल रही है. इसके अलावा 'मिक्स एंड मैच' वैक्सीन बनाने के लिए नोवावैक्स (Novavax) और मॉडर्ना (Moderna) की वैक्सीन भी ट्रायल में है. (फोटोः रॉयटर्स)
वैक्सीन को मिलाने के लिए चल रही स्टडी के लीड रिसर्चर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मैथ्यू स्नैप ने कहा कि अगले कुछ महीनों में हम 'मिक्स एंड मैच' वैक्सीन के परिणाम सबके सामने रखेंगे. साथ ही ये भी बताएंगे कि दो डोज की जरूरत पड़ेगी या सिर्फ एक डोज से काम चल जाएगा. (फोटोः रॉयटर्स)