भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) देश के 718 जिलों पर मॉनिटरिंग करता है. इनमें 500 से ज्यादा जिले इस समय सूखे जैसी हालात का सामना कर रहे हैं. इन जिलों में मध्यम दर्जे से लेकर अत्यधिक दर्जे का सूखा रिपोर्ट किया गया है. क्या इसकी वजह से खेती-बाड़ी पर असर पड़ सकता है? या और कोई नुकसान भी हो सकता है. (फोटोः AFP)
डाउन टू अर्थ की एनालिसिस रिपोर्ट के मुताबिक यह जानकारी 20 अगस्त 2023 से 24 सितंबर 2023 के बीच मौसम विभाग द्वारा जारी स्टैंडर्डाइज्ड प्रेसिपिटेशन इंडेक्स (SPI) के आधार पर तैयार की गई है. मौसम विभाग SPI के जरिए सूखे जैसे हालात की स्टडी करता है. यह एक टूल है. (फोटोः AFP)
देश के 53 फीसदी जिले मध्यम दर्जे के सूखे की श्रेणी में हैं. पूरा का पूरा उत्तर-पूर्वी भारत, पूर्वी भारत के कुछ हिस्से, जम्मू और कश्मीर, दक्षिणी प्रायद्वीप का ज्यादातर हिस्सा यानी महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके ये मॉडरेटली ड्राई या एक्सट्रीमली ड्राई सूखे की कैटेगरी में हैं. (फोटोः AFP)
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन के मुताबिक सूखे की मॉनिटरिंग के लिए SPI एक बेसिक टूल है. लेकिन इससे सूखे का अंदाजा लगाना थोड़ा ट्रिकी होता है. SPI का डेटा अलग-अलग इलाकों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. इसलिए सूखे की घोषणा करने से पहले काफी एनालिसिस जरूरी है. (फोटोः AFP)
जैसे- चेरापूंजी में मिडल ड्राई मौसम रहा. लेकिन ये इलाका हमेशा गीला रहता है. इसलिए इसे मध्यम दर्जे के सूखे से परेशान होने की जरूरत नहीं है. लेकिन महाराष्ट्र का विदर्भ का इलाका, जो हमेशा सूखा रहता है. ड्राई रहता है. वहां मध्यम दर्जे के सूखे से ज्यादा असर पड़ सकता है. (फोटोः AFP)
इस बार मॉनसून में रुक-रुक कर और छितराई हुई बारिश हुई है. साथ ही मॉनसून ने लंबा-लंबा ब्रेक लिया है. सबसे लंबा ब्रेक अगस्त महीने में था. जिसकी वजह से भारत के 70 फीसदी इलाके में सूखे जैसे हालात बन रहे हैं. मौसम विज्ञान के अनुसार मॉनसून में ब्रेक का मतलब होता है सामान्य बारिश के दौरान बीच में बारिश का न होना. (फोटोः AFP)
21वीं सदी में अगस्त 2023 में तीसरी बार सबसे लंबा मॉनसूनी ब्रेक हुआ था. 7 से 18 अगस्त के बीच बारिश में 36 फीसदी की कमी थी. इसकी वजह से अगस्त 2023 पिछले 123 साल का सबसे सूखा अगस्त का महीना था. इस बार का मॉनसून बुरी तरह से प्रभावित रहा है. छितराई हुई बारिश हुई है. जून में 10 फीसदी की कमी थी. जुलाई 13 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. (फोटोः रॉयटर्स)
अगस्त में कम बारिश होने का नुकसान खेती-बाड़ी को होगा. इसकी वजह से फसलों पर असर पड़ेगा. साल 2023 में पिछले साल की तुलना में 33 फीसदी ज्यादा फसल लगाई गई. लेकिन उत्पाद उसके अनुपात में नहीं मिला. इसलिए यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि इस बार खेती पर कितना नकारात्मक असर पड़ेगा. (फोटोः रॉयटर्स)
इस साल धान, गन्ना और दालों की ज्यादा फसलें लगाई गई है. लेकिन बारिश की स्थिति को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल है कि इनका उत्पादन पिछले साल की तुलना में ज्यादा होगा. अगर फसलों के पैदावार में कमी आती है तो इसकी बड़ी वजह बारिश की कमी ही मानी जाएगी. (फोटोः रॉयटर्स)