क्या आपको पता है कि हमारी धरती कहां है? जवाब आसान है सौर मंडल में. सौर मंडल आकाशगंगा Milky Way में. मिल्की वे ब्रह्मांड का एक बेहद छोटा हिस्सा है. लेकिन हमारी धरती एक ऐसे बुलबुले के बीच फंसी है जो दर्जनों तारों के विस्फोट के बाद बना है. इस बुलबुले को वैज्ञानिक 'स्विस चीज' (Swiss Cheese) कह रहे हैं. यह बुलबुला कई सुपरनोवा विस्फोट के बाद निकले गैसों और बादलों का समूह है. (फोटोः ली हस्टैक/STScI)
धरती जिस 'स्विस चीज' (Swiss Cheese) बुलबुले के अंदर है, वह करीब 1000 प्रकाश वर्ष चौड़ा है. इसके अंदर कई बच्चे तारे हैं. यानी कुछ खत्म हुए तारों से निकली गैस के बीच धरती और कुछ नए छोटे तारे भी मौजूद हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार यह एक सुपर बुलबुला (Superbubble) है. यह सुपर बुलबुला कम से कम 15 ताकतवर तारों के विस्फोट के बाद बना है.
आपको बता दें कि इस बुलबुले के बारे में सबसे पहले 1970 में पता चला था. तब इसे स्थानीय बुलबुला (Local Bubble) नाम दिया गया था. क्योंकि तब वैज्ञानिकों को यह लगा था कि इस बुलबुले के अंदर किसी तरह के 1.40 करोड़ साल से तारों का विस्फोट नहीं हुआ होगा. इस बुलबुले के बाहर तारों का विस्फोट हुआ होगा. या फिर तारे इसके अंदर से आ-जा रहे होंगे. जैसे-हमारा सूरज इसके अंदर बाहर कहीं से आया है.
हालांकि, तब भी यह माना जा रहा था कि इस 'स्विस चीज' (Swiss Cheese) बुलबुले के बनने में सुपरनोवा का हाथ है. इस बुलबुले के अंदर हाइड्रोजन जैसी कई गैसें रही होंगी जिनकी वजह से तारों का निर्माण हुआ. लेकिन Nature जर्नल में 12 जनवरी 2022 को प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक यह कोई स्थानीय बुलबुला नहीं है. वैज्ञानिकों ने इस बुलबुले के अंदर और बाहर के नक्शे को मिलाया. उसके अंदर-बाहर मौजूद सुपरनोवा की स्टडी की. इसके बाद पता चला कि हमारी आकाशगंगा में ऐसे कई बुलबुले हैं, जो तारों का निर्माण करते हैं.
नासा (NASA) में हबल टेलिस्कोप टीम की सदस्य और मैरीलैंड स्थित स्पेस टेलिस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट की रिसर्चर कैथरीन जकर ने बताया कि जब हमने इस 'स्विस चीज' (Swiss Cheese) बुलबुले के अंदर और बाहर के तारों, ग्रहों, सुपरनोवा आदि का अध्ययन किया तो पता चला कि पिछले 1000 सालों में इसके आसपास कई नए तारों का जन्म हुआ है. इसकी वजह से हमारी आकाशगंगा में नया इतिहास बना है.
कैथरीन ने बताया कि यह बुलबुला किसी निश्चित आकार का नहीं है. यह फैल रहा है. यह किसी एक विस्फोट से बना नहीं है. यह एक जेली जैसा ढांचा है, जो अलग-अलग दिशाओं में फैलता और हिलता रहता है. जब कोई ताकतवर सुपरनोवा विस्फोट होता है तो वह शॉक वेव पैदा करता है. इस शॉक वेव के साथ ही आस-पास की गैस, धूल एक घेरे में धीरे-धीरे अंतरिक्ष में फैलना शुरु करती हैं. जो बाद में अलग-अलग विस्फोट से निकले गैसों और धूल के गुबार से मिलकर बुलबुला बना लेती हैं.
लगातार हो रहे सुपरनोवा विस्फोट की वजह से ऐसे गुबार निकलते रहते हैं. शॉक वेव निकलती रहती है. जिससे बुलबुले का आकार फैलता रहता है. शोधकर्ताओं को इस बुलबुले से संबंधित डेटा यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के गाइया स्पेस ऑब्जरवेटरी से मिला. जिसके बाद उन्होंने इस बुलबुले का थ्रीडी नक्शा तैयार किया. बुलबुले की दीवारों उसकी लंबाई-चौड़ाई का अध्ययन किया गया. साथ ही उसके अंदर और बाहर की सरंचना को भी पढ़ा गया.
कैथरीन ने बताया कि हम यह देखकर हैरान थे कि जब यह बुलबुला बनता है, तब यह कितनी तेजी से फैलता है. इसके फैलने का दर 6.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड है. 'स्विस चीज' (Swiss Cheese) बुलबुला इतनी ही तेजी से फैल रहा है. आप ही सोचिए कि यह बुलबुला 23,400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से फैल रहा है. इसकी गति कम ज्यादा होती रहती है. जैसे ही इसके अंदर कोई सुपरनोवा विस्फोट होता है, यह तेजी से फैलने लगता है. हमने स्टडी करके पता लगाया कि इस बुलबुले को बनने में कम से कम 15 ताकतवर सुपरनोवा विस्फोट की जरूरत पड़ी होगी.
कैथरीन जकर ने बताया कि हमारा सौर मंडल अभी इस बुलबुले के अंदर है. धरती तो एकदम केंद्र में स्थित है. लेकिन सौर मंडल हमेशा इसके अंदर नहीं रहेगा. हमारा सौर मंडल इस बुलबुले को अगले 80 लाख साल में पार कर जाएगा. उस समय तक यह बुलबुला खत्म हो जाएगा. क्योंकि यह धीरे-धीरे स्थानीय बुलबुले में बदल जाएगा और खत्म हो जाएगा.
स्थानीय बुलबुले एक समय के बाद फैलना बंद हो जाते हैं. क्योंकि वो अपनी अधिकतम सीमा तक पहुंच चुके होते हैं. इसके बाद इनका अंत शुरु हो जाता है. इसके बाद इनके गैस और धुएं के गुबार की दीवार टूटने लगेगी. यह पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा. हालांकि इस बुलबुले के अंदर रहने से हमारी धरती को कोई नुकसान नहीं है. (सभी फोटोः NASA/ESA/ESO/Getty)