scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

Earthquake In India: दो महीने में आए 166 भूकंप, एक्सपर्ट बोले- अर्ली वॉर्निंग सिस्टम की सख्त जरूरत

Earthquake today in India
  • 1/12

पिछले दो महीनों में देश का उत्तरी हिस्सा दो-तीन बार कांप चुका है. धरती हिलती है तो लोगों की हालत खराब हो जाती है. मन में दहशत फैल जाती है. जम्मू से लेकर जयपुर तक कांप चुका है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस साल के शुरुआत से 18 फरवरी 2022 तक देश और उसके आसपास के इलाकों में 166 बार भूकंप आए जो दर्ज किए गए हैं. यानी रिक्टर पैमाने पर 2 से लेकर 6 तीव्रता तक के. इनमें से सिर्फ 7 ही ऐसे हैं जो 5 से लेकर 6 तीव्रता के बीच हैं. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 2/12

रिक्टर पैमाने पर 5 से 6 की तीव्रता वाले 7 भूकंप भारत में आए ही नहीं. ये अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और म्यांमार में आए. चुंकि टेक्टोनिक प्लेट एक ही है इसलिए इनकी लहर भारत में भी महसूस की जाती है. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के डेटा के अनुसार 1 जनवरी 2022 से 18 फरवरी 2022 तक करीब 166 भूकंप आए. इनमें 32 से ज्यादा भूकंप रिक्टर पैमाने पर 2 से 3 तीव्रता के बीच थे. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 3/12

NCS के अनुसार 3 से 4 तीव्रता के बीच 79 से ज्यादा भूकंप आए. इस पैमाने से भूकंपों का महसूस होना शुरु हो जाता है. फिर 4 से 5 तीव्रता के करीब 54 भूकंप आए. ये भी पता चले. जिस समय ये खबर बन रही है, उस समय भी यानी 19 फरवरी 2022 की सुबह 9.01 बजे ताजिकिस्तान के दुशांबे से 130 किलोमीटर पूर्व में 5.1 तीव्रता का भूकंप आने की खबर मिली है. यानी 5 से 6 तीव्रता वाले भूकंपों की गिनती अब 8 हो गई है. 6 के ऊपर एक भी भूकंप नहीं आया है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Earthquake today in India
  • 4/12

IIT Roorkee के अर्थ साइंसेज विभाग के साइंटिस्ट और अर्थक्वेक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम फॉर उत्तराखंड (Earthquake Early Warning System For Uttarakhand) प्रोजेक्ट के इंचार्ज प्रोफेसर कमल ने इन भूकंपों के बारे में aajtak.in से बातचीत की. प्रो. कमल ने बताया कि इन छोटे-छोटे भूकंपों से घबराने की जरुरत नहीं है. ये किसी बड़े भूकंप के आने की कोई आशंका नहीं है. डरने की जरूरत नहीं है. छोटे भूकंपों का बड़े हादसे से सीधा कोई संबंध नहीं है. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 5/12

प्रो. कमल ने बताया कि जो खतरनाक जोन हैं, वहां पर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (Earthquake Early Warning System) लगाने की सख्त जरूरत है. ताकि लोगों को भूकंप आने से 1-2 मिनट पहले जानकारी मिल सके. वो सारा काम-धाम छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ भाग सकें. जो भूकंप के पांचवें और चौथे जोन में हैं, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि हम भूकंप को न रोक सकते हैं, न टाल सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाए जाएं. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 6/12

प्रो. कमल ने बताया कि बारिश का तो एक दिन पहले पता चल जाता है कि बारिश होगी. लेकिन देश में अभी वह तकनीक विकसित नहीं हो पाई है. न ही दुनिया में कहीं पर कि वो एक दिन पहले ये बता दे कि भूकंप आने वाला है. लेकिन अर्ली वॉर्निंग सिस्टम जो हैं वो समय रहते लोगों की जान बचा सकते हैं. यानी भूकंप आने से कुछ मिनट पहले उन्हें सूचना मिल जाएगी ताकि वो सुरक्षित स्थानों की तरफ जाकर खुद को और लोगों को बचा सकें. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 7/12

जैसे हिंदूकुश में भूकंप आता है तो पांच मिनट बाद हमें पता चलता है कि भूकंप आया है. यानी एक लहर आती है. अगर हमारे पास एक सिग्नल आता है कि भूकंप आ गया है, इस इलाके को यह इतनी देर में हिला देगा. तो इसे कहते हैं अर्ली वॉर्निंग. हम इसके जरिए लोगों को बचा सकते हैं. उत्तराखंड में हमने पहला ऐसा सिस्टम लॉन्च किया है. सरकार ऐसे सिस्टम लगाने का प्रयास पूरी तरह से कर रही है. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 8/12

प्रो. कमल से जब यह पूछा गया कि क्या बिल्डर्स जो दावा करते हैं कि हमारी इमारत भूकंप रोधी है. ये भूकंप से लोगों को सेफ रखेगा. क्या इनकी कोई वैज्ञानिक जांच होती है. तब उन्होंने बताया कि Delhi-NCR और अन्य इलाकों में बनने वाली इमारतों की भूकंप रोधी सुरक्षा को लेकर सरकार और बिल्डर के एप्लीकेशन आते हैं. इसकी जांच के लिए IIT रूड़की में अर्थक्वेक इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट है. ये लोग इसका पूरा काम देखते हैं. ऑन साइट विजिट करके इमारतों को सर्टिफिकेट देते हैं कि ये किस स्तर के भूकंप को सुरक्षित रख पाएंगी. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 9/12

प्रो. कमल ने बताया कि IIT Roorkee ने उत्तराखंड में 167 स्थानों पर अर्थक्वेक सेंसर्स लगाए हैं. तब जाकर एक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम तैयार हुआ है. सिर्फ पहाड़ों पर ही हजारों की संख्या में सेंसर्स लगाने होंगे. पूरे देश में तो लाखों की संख्या में लगाना होगा. ताइवान उत्तराखंड से छोटा है. लेकिन वहां पर 6000 सेंसर्स लगे हैं. जापान में भी हजारों सेंसर्स लगे हैं. हिमालय में ही दसियों हजारों सेंसर्स लगाने होंगे. मैदानों पर तो अलग से लगाना होगा. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Earthquake today in India
  • 10/12

IIT Roorkee ने अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को लेकर एक एप विकसित किया है. इसका नाम है उत्तराखंड भूकंप अलर्ट (Uttarakhand Bhookamp Alert). इस एप के जरिए हम हर महीने की एक तारीख को अलार्म बजता है. जो असली भूकंप आने पर बजेगा. यानी जैसे ही अलार्म बजे आप तुरंत सुरक्षित स्थानों पर चले जाइए. इसके अलावा अर्ली वॉर्निंग नोटिफिकेशन मैसेज भी आएंगे. क्योंकि उत्तराखंड में अगर भूकंप आता है तो Delhi-NCR के लोगों को असर हो सकता है. इसलिए उनके लिए तो यह एप बेहद जरूरी है. लोग इस एप को एंड्रॉयड या iOS से डाउनलोड कर सकते हैं. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 11/12

आपको बता दें कि पिछली साल लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कैबिनेट मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया था कि भारत का 59% हिस्सा भूकंप रिस्क जोन में है. पांच जोन हैं. पांचवां जोन सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय है. इस जोन में देश का 11 फीसदी हिस्सा आता है. चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे और दूसरे जोन में 30 फीसदी. सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है. आइए जानते हैं कि किस जोन में देश का कौन सा हिस्सा है. (फोटोः गेटी)

Earthquake today in India
  • 12/12

पांचवें जोन में जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी इलाका, उत्तराखंड का पूर्वी इलाका, कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, सारे उत्तर-पूर्वी राज्य और अंडमान निकोबार. चौथे जोन में जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड का बाकी हिस्सा, हरियाणा-पंजाब-दिल्ली-सिक्किम का कुछ हिस्सा, उत्तरी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा सा हिस्सा और गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिमी राजस्थान का कुछ हिस्सा शामिल हैं. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement