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साइंस न्यूज़

सूरज के गुस्से के शिकार SpaceX ने फिर लॉन्च किया Starlink सैटेलाइट्स

SpaceX starlinks satellites
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अमेरिकी स्पेस उद्योगपति एलन मस्क (Elon Musk ) 21 फरवरी 2022 यानी आज रात 8 बजे अपनी कंपनी SpaceX के प्रसिद्ध ब्रॉडबैंड इंटरनेट स्टारलिंक सैटेलाइट्स (Starlink Internet Satellites) को लॉन्च कर दिया. 3 फरवरी 2022 को स्पेसएक्स ने फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से फॉल्कन-9 (Falcon-9) रॉकेट में 49 स्टारलिंक सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च किए. दुर्भाग्य था कि 24 घंटे में ही यानी 4 फरवरी 2022 को सूरज से आए जियोमैग्नेटिक तूफान (Geomagnetic Storm) ने 49 में से 40 स्टारलिंक को अंतरिक्ष में खत्म कर दिया. ये सारे धरती की ओर जलते हुए आए थे. (फोटोः SpaceX)

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स्टारलिंक सैटेलाइट्स (Starlink Satellites) को फॉल्कन-9 (Falcon-9) रॉकेट से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. रॉकेट दो स्टेज का है. पहला स्टेज लॉन्चिंग के 9 मिनट बाद वापस धरती पर लौट आया. जबकि, दूसरा स्टेज सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित धरती की निचली कक्षा में स्थापित करेगा. पहले यह मिशन 20 फरवरी 2022 यानी रविवार को तय किया गया था, लेकिन खराब मौसम की वजह से लॉन्चिंग को टाल दिया गया था. यह जानकारी स्पेसएक्स ने अपने ट्विटर हैंडल पर दी थी. (फोटोः SpaceX)

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21 फरवरी 2022 को फॉल्कन-9 (Falcon-9) रॉकेट की ये 11वीं उड़ान है. इस साल SpaceX ने स्टारलिंक सैटेलाइट्स (Starlink Satellites) के तीन बैच लॉन्च किए हैं. दो जनवरी में और एक 3 फरवरी को. फरवरी वाला लॉन्च खराब हो गया था. जिसकी वजह से 49 में से 40 स्टारलिंक सैटेलाइट्स मौत की नींद सो गए थे. स्पेसएक्स अब तक 2100 स्टारलिंक सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में लॉन्च कर चुका है. उसका मकसद है 30 हजार और स्टारलिंक सैटेलाइट्स लॉन्च करने का. फिलहाल उसके पास 12 हजार सैटेलाइट्स लॉन्च करने की अनुमति है. (फोटोः SpaceX)

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इसके बाद SpaceX का प्लान है कि वह 25 फरवरी और 3 मार्च को स्टारलिंक सैटेलाइट्स (Starlink Satellites) के दो और बैच अंतरिक्ष में रवाना करेगा. हालांकि, इनकी लॉन्चिंग तकनीकी अपडेट्स और मौसम पर भी निर्भर करेगा. अगर किसी भी तरह की बाधा आती है तो लॉन्चिंग की तारीख में बदलाव होने की पूरी संभावना बनी रहती है. (फोटोः SpaceX)
यहां पर देखें लाइव लॉन्चिंग

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3 फरवरी की लॉन्चिंग के बाद SpaceX ने एक बयान में कहा था कि हमारे 40 स्टारलिंक सैटेलाइट्स पर जियोमैग्नेटिक तूफान का हमला हुआ है. जिसमें वह खराब हो गए. जांच में पता चला है कि इससे पहले कि वह सुरक्षित ऑर्बिट में पहुंचते या पहुंचाया जाता, सौर तूफान ने उन्हें नष्ट कर दिया. इसके बाद वह धरती के वायुमंडल में जलते हुए दिखाई दिए. सौर तूफान ने इन सैटेलाइट्स पर हमला तब किया जब वो धरती से ऊपर 210 किलोमीटर की कक्षा में चक्कर लगा रहे थे. (फोटोः सोसाइटी ऑफ एस्ट्रोनॉमी)

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स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट (Starlink Internet Satellite) की कक्षा को जानबूझकर काफी नीचे रखा गया है. ताकि लॉन्च के बाद अगर कोई हादसा हो तो ये सैटेलाइट धरती की ओर गिरते-गिरते खत्म हो जाएं. ऐसा नहीं है कि स्टारलिंक सैटेलाइट्स को सौर तूफान से बचने के लिए प्रोग्राम नहीं किया गया है. इन्हें एज-ऑन (Edge-on) पोजिशन में रहने के लिए सेट किया गया है. ताकि सौर तूफान का असर कम हो. लेकिन जब सौर तूफान आया तब इन्हें अपनी यह पोजिशन लेने का समय नहीं मिला. (फोटोः गेटी)

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SpaceX ने कहा कि 40 स्टारलिंक सैटेलाइट धरती पर आते समय वायुमंडल में ही जलकर खत्म हो गए. न ही अंतरिक्ष में कोई कचरा पैदा हुआ. न ही किसी सैटेलाइट ने धरती को हिट किया. साल 2019 से स्पेसएक्स से अब तक 2000 से ज्यादा स्टारलिंक सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में तैनात कर चुकी है. उसका प्लान है कि वह 42 हजार सैटेलाइट्स को धरती की कक्षा में तैनात करे. ताकि दुनियाभर के लोगों को अंतरिक्ष से इंटरनेट की सेवा मिल सके. (फोटोः SpaceX)

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सौर तूफान की वजह से धरती के ऊपर जियोमैग्नेटिक तूफान (Geomagnetic Storm) आता है. जब सूरज से आने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स धरती की चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तब जियोमैग्नेटिक तूफान आता है. इसकी वजह से धरती के चुंबकीय क्षेत्र में कुछ देर के लिए बाधा उत्पन्न होती है. जिससे लैटीट्यूट और लॉन्गीट्यूड समझने में दिक्कत होती है. इससे जीपीएस काम करना बंद कर देता है. (फोटोः SpaceX)

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इससे पहले भी सौर तूफान आए हैं. सबसे बड़ा डर ये है कि हमारे पास सौर तूफान और उससे पड़ने वाले असर को लेकर डेटा बहुत कम है. इसलिए हम ये अंदाजा नहीं लगा सकते कि नुकसान कितना बड़ा होगा. दुनिया में सबसे भयावह सौर तूफान 1859, 1921 और 1989 में आए थे. इनकी वजह से कई देशों में बिजली सप्लाई बाधित हुई थी. ग्रिड्स फेल हो गए थे. कई राज्य घंटों तक अंधेरे में थे. (फोटोः गेटी)

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