4 मार्च 2022 यानी शुक्रवार को चांद की सतह से एक रॉकेट टकराने वाला है. ऐसा पहली बार होगा जब धरती से छोड़े गए किसी रॉकेट का कोई हिस्सा चांद की सतह से टकराएगा. पहले तो यह माना जा रहा था कि यह एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) के फॉल्कन-9 रॉकेट (Falcon-9 Rocket) का हिस्सा है. फिर यह ऑब्जरवेशन भी आया कि यह चीन के चांगई 5-टी1 मिशन (Chang'e 5-T1 Mission) का रॉकेट है. (फोटोः रॉयटर्स)
जब पूरी दुनिया में यह बात फैली की चीन का रॉकेट चांद से टकराने वाला है. असल में चांगई 5-टी1 मिशन (Chang'e 5-T1 Mission) साल 2014 में लॉन्च किया गया था. इसी मिशन ने चांद की मिट्टी का सैंपल दो साल पहले दिसंबर 2020 में धरती पर लेकर आया था. कुछ अन्य स्वतंत्र स्पेस ऑब्जर्वर ने भी इसे चीन का रॉकेट माना लेकिन 21 फरवरी 2022 को चीन ने इससे मना कर दिया. चीन ने कहा कि वह उनके रॉकेट का हिस्सा नहीं है. क्योंकि अंतरिक्ष में कचरा फैलाने के लिए फेमस चीन का दावा है कि वह अपने रॉकेट के बचे हुए हिस्सों को निस्तारण में काफी सख्त है. (फोटोः गेटी)
अब मामला यहां फंसा है कि कौन सा रॉकेट है, जो चांद की सतह से टकराने वाला है. इस रॉकेट के चांद से टकराने का सही अंदाजा वहां चक्कर लगा रहे भारतीय चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) या अमेरिकी लूनर रिकॉन्सेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter - LRO) लगा सकते हैं. क्योंकि ये दोनों ही स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह की बारीक फोटो लेने में सक्षम है. वह रॉकेट और उसके टकराव से बनने वाले इम्पैक्ट क्रेटर को देख सकते हैं. (फोटोः गेटी)
When a rogue rocket hits the moon March 4, NASA orbiter will hunt for its crater grave https://t.co/j88TNZ9yT6
— Live Science (@LiveScience) February 28, 2022
NASA ने कहा है कि जिस समय यह घटना होगी, उस समय LRO वहां मौजूद नहीं रहेगा. लेकिन घटना के बाद हुए इम्पैक्ट को वह आसानी से ट्रेस कर सकता है. नए और पुराने गड्ढों की पहचान कर सकता है. क्योंकि अगर रॉकेट का कोई हिस्सा चांद की सतह से टकराएगा तो वहां पर कोई न कोई गड्ढा जरूर बनेगा. साथ ही आसपास का इलाका छितराएगा या फिर रॉकेट के कुछ हिस्से इधर-उधर बिखरे हुए दिखेंगे. (फोटोः गेटी)
अब जिस समय यह रॉकेट का हिस्सा चांद से टकराएगा, तब उसकी गति करीब 9288 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. यह अनुमान खगोल विज्ञानियों ने लगाया है. यह रॉकेट सात साल पहले छोड़ा गया था. यह रॉकेट अंतरिक्ष में क्लाइमेट पर नजर रखने वाले सैटेलाइट को लेकर गया था. लेकिन उसके बाद यह अंतरिक्ष में अजीबोगरीब कक्षाओं में चक्कर लगाते हुए अब चांद की तरफ मुड़ गया है. (फोटोः गेटी)
पहले यह दावा किया गया था कि फरवरी 2015 में एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने फॉल्कन 9 रॉकेट से पर्यावरण पर नजर रखने वाले सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 15 लाख किलोमीटर दूर पहुंचाया था. उसके बाद रॉकेट का ईंधन खत्म हो गया. तब यह से 4400 किलोग्राम वजनी रॉकेट बूस्टर अंतरिक्ष में घूम रहा था. अब उम्मीद है कि 4 मार्च 2022 को यह रॉकेट चांद की सतह से 9288 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से टकराएगा. यह दावा किया है नीयर अर्थ ऑबजेक्ट्स को ट्रैक करने वाले एस्ट्रोनॉमर बिल ग्रे ने. (फोटोः गेटी)
21 जनवरी को बिल ग्रे ने अपने ब्लॉग में लिखा कि 5 जनवरी को एक स्पेस जंक चांद के बगल से गुजरा. जो 4 मार्च 2022 को चांद की सतह से टकरा सकता है. इस बात की पुष्टि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट जोनाथन मैक्डॉवल ने अपने ट्वीट में भी किया. उन्होंने ट्वीट में लिखा इसे देखना एक हैरतअंगेज एहसास दिलाएगा. (फोटोः गेटी)
बिल ग्रे ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि यह पहली बार होगा जब गैर-इरादतन तरीके से कोई रॉकेट चांद की सतह पर जाकर टकराएगा. या यूं कहें कि इंसानों द्वारा अंतरिक्ष में फैलाया गया कचरा चांद की सतह से टकराने वाला है. SpaceX का यह पहला डीप स्पेस मिशन था. इसका रॉकेट बूस्टर अब काम नहीं करता. स्पेसएक्स ने पहली बार डीप स्पेस क्लाइमेट ऑब्जरवेटरी भेजी थी. (फोटोः गेटी)
डीप स्पेस क्लाइमेट ऑब्जरवेटरी एक खास तरह की सैटेलाइट है जो सौर तूफानों और धरती के वातावरण पर नजर रखती है. इसे सूरज और धरती के बीच ग्रैविटी मुक्त लैरेंज प्वाइंट पर तैनात किया गया है. अपना काम पूरा करने के बाद रॉकेट के दूसरे स्टेज का ईंधन खत्म हो गया. वह धरती के चारों तरफ चक्कर लगाने लगा. लेकिन पता नहीं कैसे वह चांद की कक्षा में अप्रत्याशित तौर से चला गया. (फोटोः गेटी)
बिल ग्रे की गणना के मुताबिक एक लंबा, सिलेंडर रॉकेट चांद की भूमध्यरेखा के आसपास कहीं गिरेगा. वह भी चांद के फार साइड की ओर. इसका मतलब ये है कि इसके टकराव का नजारा देखने को नहीं मिलेगा. हालांकि अभी तक इस रॉकेट की ट्रैजेक्टरी यानी दिशा और मार्ग दोनों ही तय नहीं है. इसके पीछे सौर रेडिएशन, दबाव भी काम करते हैं. इनमें से कोई फैक्टर ज्यादा या कम हुआ तो ये कहीं भी गिर सकता है. या फिर सुदूर अंतरिक्ष में गायब हो सकता है. (फोटोः गेटी)
बिल ग्रे कहते हैं कि अंतरिक्ष के कचरे ट्रिकी होते है. उनकी दिशा और मार्ग के बार में कोई गणना सटीक नहीं हो सकती. हालांकि बिल ने कहा कि उन्होंने सही गणितीय फॉर्मूला लगाकर यह पता लगाया है कि रॉकेट चांद पर कहां गिरेगा. उन्हें इस बात का मोटा-मोटा अंदाजा है कि सूरज की रोशनी, रेडिएशन और दबाव उसे कितनी दूर ले जा सकते हैं. चांद पर कहां गिरा सकते हैं. लेकिन ये फैक्टर्स भी तो गणना से बाहर है. कभी कम तो कभी ज्यादा. (फोटोः गेटी)
ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि चांद की सतह पर इंसानों द्वारा बनाया गया कोई रॉकेट टकरा रहा हो. इससे पहले भी इंसानों द्वारा बनाए गए सैटेलाइट चांद की सतह से टकरा चुके हैं. साल 2009 में अमेरिका का लूनर क्रेटर ऑब्जरवेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 9000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टकराया था. इसके टक्कर से ऐसा गुबार निकला था, जिससे वैज्ञानिकों को बर्फीले पानी का पता चला था. (फोटोः गेटी)