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साइंस न्यूज़

अंतरिक्ष में अदृश्य चीजों की खोज करेगा ESA का 'शरलॉक होम्स', जानिए Euclid मिशन के बारे में

ESA Euclid Sherlock Holmes
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दुनिया में पदार्थ यानी मैटर के पांच तरह के प्रकार होते हैं. लिक्विड, गैस, प्लाज्मा, बोस-आइंस्टीन कंडेंनसेट और बदलते प्रकार वाला पदार्थ. इन सबसे रोशनी निकलती है या अबजॉर्ब होती है. इन्हें देखा जा सकता है. महसूस किया जा सकता है. लेकिन अब वैज्ञानिक ऐसे पदार्थ की खोज करने जा रहे हैं, जो न दिखता है. न मिलता है. लेकिन मौजूद है. 

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उस पदार्थ को कहते हैं डार्क मैटर (Dark Matter). वैज्ञानिकों का मानना है कि पूरा ब्रह्मांड इसी पदार्थ से जुड़ा है. इसी की ऊर्जा से चल रहा है. अब इसे खोजने के लिए यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने नया मिशन तैयार किया है. जिसका नाम है यूक्लिड मिशन (Euclid Mission). इसके तहत अंतरिक्ष में एक यूक्लिड टेलिस्कोप लॉन्च किया जाएगा. 

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यूक्लिड टेलिस्कोप डार्क मैटर की खोज करेगा. इसी डार्क मैटर से ब्रह्मांड बना है. यानी हमारा यूनिवर्स. सिर्फ डार्क मैटर की ही खोज नहीं करेगा. बल्कि डार्क एनर्जी (Dark Energy) की भी खोज करेगा. इस मिशन की लागत है 89,148 करोड़ रुपए. डार्क मैटर शब्द 1998 में दिया गया था. जब यह पता चला था कि ब्रह्मांड को इसी ने बनाया है.

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ब्रह्मांड के 80 फीसदी हिस्से में डार्क मैटर है. जिसकी डार्क एनर्जी से सारी आकाशगंगाएं, ग्रह और सौर मंडल आपस में जुड़े हुए हैं. हैरानी की बात ये है कि डार्क मैटर और डार्क एनर्जी दोनों ही अदृश्य हैं. दिखते नहीं. वैज्ञानिकों ने इनके होने की बात सिर्फ इस बात से पुख्ता की है, क्योंकि इनका असर ग्रहों और आकाशगंगाओं के बदलाव पर दिखता है. 

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एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट प्रो. एंडी टेलर कहते हैं कि डार्क मैटर और उसकी एनर्जी ब्रह्मांड का ऐसा रहस्य है, जिसे सुलझा पाना बेहद मुश्किल है. लेकिन ये दोनों ही मिलकर पूरे ब्रह्मांड को चला रहे हैं. अगर यूक्लिड टेलिस्कोप ने हमें इन दोनों चीजों को समझने का सटीक सबूत या मौका दिया तो यह इतिहास बदलने जैसा होगा. 

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यूक्लिड को पिछले साल रूसी सोयूज रॉकेट से लॉन्च करने की तैयारी थी. लेकिन यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने रूस से सभी वैज्ञानिक संबंध खत्म कर दिए. अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने इस टेलिस्कोप को स्पेसएक्स के फॉल्कन-9 रॉकेट से छोड़ने का समझौता किया है.  

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यूक्लिड टेलिस्कोप सौर मंडल को पार करेगा. पार करने के बाद वह धरती से करीब 15 करोड़ किलोमीटर दूर रहेगा. इस दूरी सेकेंड लैरेंज प्वाइंट कहते हैं. वहां से बैठकर यह टेलिस्कोप हमारे गहरे अंतरिक्ष में सूरज, धरती, चंद्रमा जैसे अन्य ग्रहों की खोजबीन करेगा. इस टेलिस्कोप का वजन 2 टन है. इसकी ताकत हबल टेलिस्कोप से भी ज्यादा है.

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यूक्लिड टेलिस्कोप रात में भी अंतरिक्ष में गहरी निगरानी कर सकता है. यह एकसाथ तीनों आयामों का नक्शा बना सकता है. यानी हमारे पास स्टडी करने के लिए तीन डायमेंशन होंगे. ऐसी सटीकता से ही डार्क मैटर और एनर्जी के बारे में पता किया जा सकता है. 

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