हिंद महासागर के नीचे एक प्राचीन ज्वालामुखी की गहरी आंख दिखी है, जिसे आम भाषा में काल्डेरा (Caldera) कहते हैं. इस काल्डेरा को खोजने वाले वैज्ञानिकों ने जब इसका थ्रीडी मैप बनाया तो वह हॉलीवुड फिल्म द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स (The Lord of the Rings) के आई ऑफ सॉरोन (Eye of Sauron) की तरह दिखता है. इस ज्वालामुखी का काल्डेरा प्राचीन समय में लावा उगलता रहा होगा, जो अब ठंडा पड़ चुका है. इसके अलावा दो और समुद्री ढांचे दिखे हैं, जिन्हें टोलकीन्स मिडल अर्थ कहते हैं. (फोटोः CSIRO MNF)
द कन्वरसेशन के मुताबिक इस ज्वालामुखी की आंख करीब 6.2 KM लंबी और 4.8 KM चौड़ी है. इस काल्डेरा का निर्माण ज्वालामुखी के निष्क्रिय होने के बाद और लावा के बह जाने के बाद हुआ है. इस काल्डेरा के चारों तरफ दीवारें हैं, जिसकी अधिकतम ऊंचाई 984 फीट है. जो इसे आंखों की पलक जैसा आकार देती हैं. यह ज्वालामुखी ऑस्ट्रेलिया के मुख्य जमीन से 280 किलोमीटर दूर हिंद महासागर में करीब 10,170 फीट गहराई में स्थित है. (फोटोः गेटी)
इसकी खोज उन वैज्ञानिकों ने की है जो ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (CSIRO) के रिसर्च वेसल इन्वेस्टिगेटर पर समुद्र में गए थे. इस वैज्ञानिक खोज की यात्रा के 12वें दिन ऑस्ट्रेलिया के आसपास हिंद महासागर के क्षेत्रफल में इस ज्वालामुखी की खोज की गई. शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने इस ज्वालामुखी का थ्रीडी मैप बनाने के लिए मल्टीबीम सोनार तकनीक का उपयोग किया है. (फोटोः गेटी)
काल्डेरा का निर्माण तब होता है जब ज्वालामुखी का विस्फोट वाला ऊपरी हिस्सा पूरी तरह खत्म हो जाता है. यानी उसका लावा बह जाता या फिर बचा हुआ ठंडा हो जाता है. म्यूजियम्स विक्टोरिया इन ऑस्ट्रेलिया के सीनियर क्यूरेटर और प्रमुख वैज्ञानिक टिम ओ हारा ने कहा कि गर्म लावा ज्वालामुखी के नीचे से ऊपर की ओर तेजी से आता है. जिसकी वजह से एक कटोरीनुमा गड्ढे का निर्माण होता है. इसकी ऊपरी परत काफी मजबूत होती है. जिसके क्रेटर (Crater) भी कहते हैं. (फोटोः गेटी)
टिम ओ हारा ने बताया कि ज्वालामुखी के काल्डेरा यानी क्रेटर के चारों तरफ भी काफी महत्वपूर्ण ढांचों का निर्माण होता है. जब इस ज्वालामुखी के आसपास जांच की गई तो और भी कई ऐसे छोटे ज्वालामुखी देखने को मिले, जिनके ऊपर आंखों का निर्माण हुआ है. लेकिन दक्षिणी दिशा की तरफ जाने पर समुद्र के अंदर कई ऐसे ज्वालामुखीय पहाड़ देखने को मिले जिनका ऊपरी हिस्सा चिपटे मैदान जैसा था. (फोटोः गेटी)
हॉलीवुड मूवी द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के स्थानों के नाम पर दुनिया में कई भौगोलिक स्थानों को नाम दिया गया है. जैसे- कोन के आकार का बारैड-डुर (Barad-Dur), समुद्री पहाड़ एरेड लिथुई (Ered Lithui) और ऐश माउंटेन (Ash Mountains). समुद्र के भीतर ये सारे ढांचे आई ऑफ सॉरोन (Eye of Sauron) के आसपास ही हैं. जिन्हें नर्क के साम्राज्य मॉर्डोर (Mordor) के नाम से भी जाना जाता है. (फोटोः CSIRO MNF)
एरेड लिथुई (Ered Lithui) करीब 10 करोड़ साल पुराना ढांचा है. पहले यह कभी समुद्री के ऊपर था लेकिन धीरे-धीरे यह समुद्री के भीतर 2.6 KM नीचे चला गया. करोड़ों साल से पानी में दबे रहने की वजह से इसके ऊपर मिट्टी जम गई. समुद्री जीवों के मल पट गए. इसके अलावा अन्य जैविक पदार्थों का जमावड़ा हो गया. ये पूरी परत करीब 328 मोटी है. लेकिन इस ज्वालामुखी के काल्डेरा को पहली बार खोजा गया है. (फोटोः गेटी)
टिम ओ हारा ने बताया कि इस ज्वालामुखी के आसपास के पहाड़ों पर इस तरह की परतों के बनने की वजह से हमें यह काल्डेरा नहीं दिखा. इसे पहली बार खोजा गया है. हैरानी की बात ये है कि 10 करोड़ साल बाद भी यह पूरी तरह से सुरक्षित और अपने प्राकृतिक आकार व सेहत में है. (फोटोः गेटी)
'Eye of Sauron' volcano and other deep-sea structures discovered in underwater 'Mordor' https://t.co/HlPvAW9hpp
— Live Science (@LiveScience) July 23, 2021
टिम कहते हैं कि इस ज्वालामुखी के सुरक्षित और संरक्षित रहने की वजह ये भी हो सकती है कि यह बना हो. इसने लावा उगला हो और यह जल्द ही खत्म हो गया हो. इसलिए यह काफी युवावस्था में निष्क्रिय हो गया. लेकिन इसकी आकृति मजबूती से टिकी रही है. हालांकि ज्वालामुखियों की युवावस्था भी लाखों सालों तक मानी जाती है. क्योंकि हमारी धरती कभी रुकती नहीं, उसमें कुछ न कुछ हलचल होती रहती है, इसलिए यह ज्वालामुखी निष्क्रिय होने से पहले काफी ज्यादा सक्रिय रहा होगा. (फोटोः गेटी)