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साइंस न्यूज़

भारत में पहली बार मिला 'थाली' जैसे पैरों वाला दुर्लभ चमगादड़, क्या इसमें कोरोना है?

Disk Footed Bat Meghalaya
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भारत में पहली बार दुर्लभ 'थाली' जैसे पैरों वाला चमगादड़ (Disk Footed Bat) खोजा गया है. वैसे ये चमगादड़ आमतौर पर वियतनाम में पाया जाता है. 'थाली' जैसे पैरों वाला चमगादड़ मेघालय के एक वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में मिला है. ये आमतौर पर बांस के जंगलों में मिलता है. इसे खोजा है जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने. आइए जानते हैं इस नए चमगादड़ के बारे में और यह भी क्या इससे भी कोरोना वायरस फैलने का खतरा है? (फोटोः ट्विटर/एवरीबैट)

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के साइंटिस्ट डॉ. उत्तम सैइकिया और यूरोपियन नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के कुछ वैज्ञानिकों ने मिलकर मेघालय के नॉन्गखिलेम वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी के लाईलाड इलाके में बांस के झुरमुटों के बीच इस थाली जैसे पैरों वाले चमगादड़ को खोजा है. इस चमगादड़ की प्रजाति को यूडिसकोपस डेंटिकुलस (Eudiscopus denticulus) कहते हैं. (फोटोः ट्विटर/समीर पटेल)

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'थाली' जैसे पैरों वाला चमगादड़ (Disk Footed Bat) अपने नारंगी रंग और अंगूठों में थाली जैसा आकार होने की वजह से पहचाना जाता है. इस चमगादड़ को खोजने की स्टडी रिपोर्ट स्विट्जरलैंड के जर्नल Revue Suisse de Zoologie में प्रकाशित भी हुई है. डॉ. उत्तम और उनकी टीम हैरान तब हुई जब इन्होंने इस चमगादड़ के DNA की जांच की. (फोटोः ट्विटर/सुसैन सांग)

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इस चमगादड़ का DNA वियतनाम में मिलने वाले इसी तरह के चमगादड़ से मिलते हैं. हैरानी इस बात की हो रही है कि मेघालय से वियतनाम की दूरी करीब 3000 किलोमीटर है. इतनी दूर तक यह चमगादड़ आया कैसे? हालांकि ये वियतनाम में मौजूद थाली जैसे पैरों वाले चमगादड़ों की ही प्रजाति है. इस बात की खोज अब भी जारी है कि इतनी दूरी के बावजूद यह चमगादड़ यहां आया कैसे? (फोटोः ट्विटर/सुसैन सांग)

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डॉ. उत्तम और उनकी टीम ने उच्च स्तर के फ्रिक्वेंसी इकोलोकेशन कॉल्स के जरिए इसके रहवास की जांच की. तो पता चला कि इन चमगादड़ों को बांस के झुरमुट में रहना अच्छा लगता है. डॉ. उत्तम ने बताया कि ये बांस की टहनियों और शाखाओं के जोड़ पर अपने थाली जैसे पैरों से चिपककर रहते हैं. साथ ही बांस के झाड़ इन्हें शिकारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं. (फोटोः गेटी)

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डॉ. उत्तम ने बताया कि इस जीव की अन्य प्रजातियां दक्षिणी चीन, वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार में पाई जाती है. लेकिन मेघालय में इसका मिलना हैरानी वाली बात है. क्योंकि अगर दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो मेघालय के सबसे नजदीक म्यांमार या चीन ही हैं. अगर ये वहां से नहीं आया है तो ये भारत में इस प्रजाति के चमगादड़ की नई प्रजाति कहलाएगी. (फोटोः गेटी)

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डॉ. उत्तम सैइकिया और उनकी टीम पिछले कुछ सालों से भारत के चमगादड़ों पर रिसर्च कर रहे हैं. इन्होंने देश के कई अलग-अलग जगहों से चमगादड़ों की रोचक जानकारियां निकाली हैं. इन्होंने सिर्फ मेघालय से ही 66 प्रजातियों के चमगादड़ खोजे हैं. मेघालय में जंगल काफी है लेकिन अब यहां भी पर्यावरण परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है. मुद्दा ये है कि क्या इस चमगादड़ में कोरोनावायरस पाया जाता है. (फोटोः गेटी)

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'थाली' जैसे पैरों वाला चमगादड़ (Disk Footed Bat) यानी यूडिसकोपस डेंटिकुलस (Eudiscopus denticulus) चमगादड़ों की फैमिली वेस्परिटिलियोनिडे (Vespertilionidae) की सब-जीनस है. वेस्पर चमगादड़ों में भी कोरोना वायरस पाया जाता है. इन्हें अल्फा-कोरोना वायरस (Alphacoronavirus) कहते हैं. इनकी वजह से ट्रांसमिसिबल गैस्ट्रोएंटेराइटिस वायरस (TGEV), पोर्सिन एपिडेमिक डायरिया वायरस (PEDV) हो सकता है. (फोटोः गेटी)

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इसके अलावा इनके अंदर कोरोना वायरस के ये रूप और मिल सकते हैं. ये हैं- bat coronavirus 1, BtCoV 512, BtCoV-HKU8, BtCoV-HKU2, human coronavirus HCoV-NL63 and HCoV-229E. लेकिन अभी तक डिस्क फुटेड चमगादड़ से कोरोना वायरस फैलने की कोई खबर नहीं मिली है. इसलिए इस चमगादड़ की खोज से परेशान होने की जरूरत नहीं है. (फोटोः गेटी)

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वेस्पर चमगादड़ों में कोरोना वायरस के 9 अलग-अलग रूप मिल सकते हैं. फिलहाल दुनियाभर में जो कोरोना वायरस फैला है, वो हॉर्स-शू चमगादड़ (Horseshoe Bats) से फैला है. इसलिए इस थाली जैसे पैरों वाले चमगादड़ से घबराने की आवश्यकता नहीं है. (फोटोः गेटी)

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