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साइंस न्यूज़

भारत आएंगी विदेशी कोरोना वैक्सीन! जानिए इनकी कीमत और नाम

Foreign Corona Vaccines India
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देश में वैक्सीन्स की कमी की खबरों के आने के बाद भारत सरकार ने मंगलवार यानी 13 अप्रैल 2021 को कहा कि कोरोना की लड़ाई जीतने के लिए विदेशी वैक्सीनों को लाने की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है. भारत में अमेरिका, यूके और जापान में उपयोग की जा रही वैक्सीन्स को लाया जा सकता है. इसके अलावा सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्य टीकों को भी इमरजेंसी उपयोग के लिए देश में ला सकती हैं. आइए जानते हैं कि अगले कुछ महीनों में भारत में कौन-कौन सी विदेशी कंपनियों की वैक्सीन आ सकती हैं. इनकी कीमत क्या हो सकती है? (फोटोःगेटी)

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केंद्र सरकार ने कहा कि इस फैसले से विदेशी वैक्सीनों को भारत आने में सहूलियत होगी. देश में अभी सिर्फ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) की डोज लोगों को लगाई जा रही हैं. इसके अलावा देश की एक्सपर्ट कमेटी ने रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-V (Sputnik-V) के आपातकालीन उपयोग की सिफारिश भी की है. (फोटोःगेटी)

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भारत में वैक्सीन लाने का ये है नियम: द न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स-2019 के मुताबिक जब भी कोई विदेशी दवा निर्माता देश में आपातकालीन उपयोग के लिए वैक्सीन का नाम भेजता है, तब उसे अपने क्लीनिकल ट्रायल्स की रिपोर्ट भी देनी होती है. इन्हें ब्रिजिंग ट्रायल्स (Bridging Trials) कहते हैं. इसमें दवा निर्माता कंपनी वैक्सीन की सेफ्टी और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की विस्तृत रिपोर्ट पेश करती है. (फोटोःगेटी)

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दूसरे देश में वैक्सीन का सफल उपयोग हो रहा होता है तो देश में करीब 1000 लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति दी जाती है. परिणाम सकारात्मक आते हैं और लगता है कि ये वैक्सीन भारतीय आबादी के अनुसार सुरक्षित है तो वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी जाती है. (फोटोःगेटी)

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भारत में SII और डॉ. रेड्डी ने किया था ब्रिजिंग ट्रायलः इसी नियम के तहत ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी देश में ब्रिजिंग ट्रायल्स (Bridging Trials) किया था. क्योंकि उनकी वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया था. सिर्फ इतना ही नहीं रूस में बनाई गई कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-V (Sputnik-V) के ब्रिजिंग ट्रायल्स डॉ. रेड्डी ने करवाए थे. (फोटोःगेटी)

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कोई कोविड-19 वैक्सीन निर्माता कंपनी जिसे विदेशों में USFDA, EMA, UK MHRA या PMDA Japan से आपातकालीन उपयोग की अनुमति पहले से मिली हो. या फिर उसका नाम WHO की वैक्सीन सूची में है तो वह सीधे भारत में अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग की अनुमति मांग सकता है. इससे देश में विदेशी वैक्सीन लाने की प्रक्रिया में थोड़ी तेजी आती है. (फोटोःगेटी)

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भारत में विदेशी वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं इसके लिए दवा निर्माता कंपनी को 100 वॉलंटियर्स पर सात दिनों के लिए अपनी वैक्सीन का ट्रायल करना होता है. अगर ट्रायल्स के परिणाम सकारात्मक होते हैं तो वह आगे भारत में इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम चला सकता है. लेकिन इस सात दिन के ट्रायल्स के साथ ही उसे ब्रिजिंग क्लीनिकल ट्रायल्स भी करने होते हैं. ताकि वह एक्सपर्ट कमेटी और सरकार के सामने वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता की रिपोर्ट दे सके. (फोटोःगेटी)

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विदेशी वैक्सीन आने से भारतीय दवा कंपनियों को ये फायदाः अभी तक भारत में सिर्फ वहीं वैक्सीन उपयोग में लाई जा रही थीं, जिनका निर्माण या उत्पादन भारत में हो रहा है. लेकिन इस फैसले के बाद स्थानीय वैक्सीन निर्माता विदेशी वैक्सीनों को भारी मात्रा में मंगा सकते हैं. उनका उपयोग भारत में चल रही कोरोना वैक्सीन ड्राइव में कर सकते हैं. वैसे भी दुनिया में भारत को वैक्सीन की राजधानी कहा जाता है. अगर विदेशी कंपनियां भारत में अपनी वैक्सीन लाती हैं तो इससे वैक्सीन की उत्पादन क्षमता में इजाफा होगा. लोगों को जल्द वैक्सीन मिलेंगी. (फोटोःगेटी)

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कौन-कौन सी विदेशी वैक्सीन आ सकती हैं भारत में?- अमेरिका दवा कंपनी जॉन्सन एंड जॉन्सन इकलौती ऐसी कंपनी है जिसने अपनी वैक्सीन के ब्रिजिंग ट्रायल्स के लिए भारत सरकार से बात की है. मंगलवार को केंद्र सरकार के फैसले के बाद अब यह प्रक्रिया तेज हो सकती है. हालांकि जॉन्सन एंड जॉन्सन की वैक्सीन को अमेरिका में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है. क्योंकि वहां कुछ मामले ऐसे आए हैं, जिनमें वैक्सीन लेने के बाद लोगों के शरीर में खून के थक्के जमने लगे हैं. हालांकि यह भारत में लागू नहीं होता क्योंकि दवा कंपनी ने WHO से 12 मार्च को अपनी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति ले ली थी. इसके बाद उसे भारत में ब्रिजिंग ट्रायल्स भी करने होंगे. अगर ये ट्रायल्स सफल होते हैं इसके उपयोग की अनुमति मिल सकती है. (फोटोःगेटी)

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भारत सरकार के इस फैसले से फाइजर (Pfizer) दवा कंपनी भारत में अपने mRNA कोविड-19 वैक्सीन के आपाताकालीन उपयोग के लिए दोबारा अप्लाई कर सकता है. इससे पहले उसने अपनी वैक्सीन को भारत से वापस लेने का फैसला किया था क्योंकि रेगुलेटर्स ने उससे वैक्सीन के ट्रायल्स संबंधी और डेटा मांगे थे. अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना (Moderna) को भी इस फैसले से फायदा मिल सकता है. वह भी अपनी वैक्सीन के साथ भारत आ सकती है. (फोटोःगेटी)

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अमेरिकी वैक्सीन कंपनी नोवावैक्स (Novavax) भी भारत में अपनी वैक्सीन ला सकती है. इस वैक्सीन का उत्पादन भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ही करेगी. इस वैक्सीन का नाम है कोवोवैक्स (Covovax). इस कंपनी ने भी यूके, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन में अपनी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति के लिए आवदेन कर रखा है. (फोटोःगेटी)

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क्या हो सकती है विदेशी वैक्सीनों की कीमत?- भारत में अभी कोविशील्ड और कोवैक्सीन की डोज निजी अस्पतालों में 250 रुपए में दी जा रही हैं. सूत्रों की मानें तो जनवरी महीने में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि फाइजर की वैक्सीन की एक डोज 1431 रुपए में मिलेगी. ये कीमत बिना किसी टैक्स की है. इसके अलावा मॉडर्ना की वैक्सीन 2348 से 2715 रुपए प्रति डोज मिल सकती है. (फोटोःगेटी)

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चीनी कंपनी साइनोफॉर्म की वैक्सीन 5650 रुपए और साइनोवैक की वैक्सीन 1027 रुपए में मिल सकती है. वहीं, रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-V की कीमत 734 रुपए हो सकती है. जहां तक बात रही जॉन्सन एंड जॉन्सन की वैक्सीन की तो ये भी 734 रुपए में मिल सकती है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये कीमतें जनवरी महीने में जारी की थीं. साथ ही कहा था कि वैक्सीन की सही कीमत तब तक नहीं बताई जा सकती जब तक उसके देश में आने की पुख्ता जानकारी न हो. (फोटोःगेटी)

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WHO की सूची में कौन-कौन सी वैक्सीन? - WHO ने 31 दिसंबर को फाइजर/बायोएनटेक की वैक्सीन को अपनी सूची में शामिल किया था. 15 फरवरी को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड के दो वर्जन को सूची में शामिल किया. इसके साथ ही उसने वैश्विक स्तर पर COVAX मिशन की शुरुआत की. 12 मार्च को WHO ने जॉन्सन एंड जॉन्सन की वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दी गई. (फोटोःगेटी)

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ऐसा माना जा रहा है कि WHO की सूची में कुछ नई वैक्सीनों के नाम और जुड़ने वाले हैं. ये वैक्सीन है चीनी कंपनी साइनोफॉर्म की BBIBP-CorV. चीन की ही दूसरी कंपनी बायोफार्मास्यूटिकल्स की कोरोनावैक को भी अनुमति मिल सकती है. इसके अलावा EpiVacCorona नाम की वैक्सीन जिसे वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी ने बनाया है, उसे भी सूची में शामिल किया जा सकता है. (फोटोःगेटी)

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क्या बाजार में मिलेगी वैक्सीन? - फिलहाल नहीं. दुनिया के किसी भी बाजार में या खुदरा तौर पर दवा दुकानों पर इन वैक्सीन्स को बेचने की अनुमति फिलहाल किसी भी देश ने नहीं दी है. न ही WHO इसके लिए तैयार है. भारत की सरकार की तरफ से भी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इसका फैसला तब लिया जाएगा जब पूरी दुनिया में वैक्सीन के प्रभाव, वितरण प्रणाली में सहजता और कीमतों में कुछ सकारात्मकता देखी जाएगी. (फोटोःगेटी)

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