scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

जापान समंदर में छोड़ेगा 'जहरीला' पानी, UN की एजेंसी से मिली अनुमति

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 1/9

जापान की सरकार फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रेडियोएक्टिव कचरे को प्रशांत महासागर में फेंकना चाहती थी. लेकिन लोगों के विरोध की वजह से ऐसा कर नहीं पा रही थी. फिर इस मामले की जांच संयुक्त राष्ट्र की इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने शुरु की. दो साल तक जांच चलती रही. (सभी फोटोः एपी/रॉयटर्स)

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 2/9

अब इस एजेंसी ने जापान की सरकार को रेडियोएक्टिव कचरा फेंकने की अनुमति दे दी है. एजेंसी की जांच में पता चला है कि प्रशांत महासागर में कचरा फेंकने से इंसानों, जीवों या पर्यावरण को मामूली सा नुकसान हो सकता है. लेकिन उससे घबराने की जरुरत नहीं है. 

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 3/9

IAEA के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को जांच की अंतिम रिपोर्ट देते हुए कहा कि आप कचरे को फेंक सकते हैं. हालांकि यह काम एजेंसी के कर्मचारियों की निगरानी में होगा. यानी जापानी सरकार फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से परमाणु कचरा एजेंसी के अधिकारियों के सामने ही समंदर में फेंक पाएगी. 

Advertisement
Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 4/9

इस रेडियोएक्टिव कचरे का असर 30-40 साल तक रहने की आशंका है. हालांकि जापान की सरकार ने कहा है कि उन्होंने 500 ओलंपिक स्वीमिंग पूल के आकार जितने रेडियोएक्टिव पानी की प्रोसेसिंग कर ली है. अब इस पानी को समंदर में फेंकना है. इसके अलावा ठोस परमाणु कचरा भी मौजूद है. उसे भी फेंका जाएगा. 

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 5/9

पिछले साल जापान को इस काम के लिए प्रारंभिक अनुमति मिली थी. जापान के न्यूक्लियर रेगुलेशन अथॉरिटी ने परमाणु संयंत्र के वेस्ट वॉटर को ट्रीट करके प्रशांत महासागर में फेंकने की अनुमित मांगी थी. जिसके लिए जापान सरकार की कैबिनेट ने एक बिल पास किया था. 

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 6/9

दिक्कत ये थी कि जापान में नियम है कि कोई भी नया काम करने से पहले, जिसमें लोगों के जनजीवन पर असर पड़ता हो, उसके बारे में लोगों से राय ली जाती है. लोगों ने अथॉरिटी के इस प्लान का विरोध किया था. जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के IAEA से मांग की गई कि उसके अधिकारी इसकी जांच करें. जबकि वो एक बार जांच करके जा चुके थे. 

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 7/9

रिएक्टर को संचालित करने वाली कंपनी टेप्को ने रेडियोएक्टिव वाटर का ट्रीटमेंट शुरू कर दिया था. अब जो भी पानी या ठोस कचरा वहां मौजूद है, उसे प्रशांत महासागर में धीरे-धीरे करके फेंका जाएगा. हालांकि इसके विरोध में स्थानीय मछुआरे हैं. क्योंकि मछलियों में रेडिएशन जाने की वजह से उनका व्यापार चौपट होगा. 

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 8/9

फुकुशिमा न्यूक्लियर रिएक्टर का हादसा दुनिया सबसे खतरनाक परमाणु हादसों में गिना जाता है. सुनामी के टकराने से प्लांट के तीन रिएक्टर बंद हो गए थे. बिजली नहीं होने की वजह से रिएक्टर्स के कूलर्स बंद हो गए. गर्मी से तीनों के कोर पिघल गए. जिसकी वजह से काफी ज्यादा मात्रा में रेडिएशन फैला था. 

Japan Fukushima Nuclear Plant
  • 9/9

इस काम को लेकर एक मॉडलिंग स्टडी आई थी. जिसमें कहा गया था. अगर रेडियोएक्टिव पानी को ट्रीट करके प्रशांत महासागर में डालेंगे तो यह 1200 दिनों में यह उत्तरी प्रशांत महासागर में फैल जाएगा. उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच जाएगा. 3600 दिन पूरा होते-होते रेडियोएक्टिव पानी में मौजूद पॉल्यूटेंट्स पूरे प्रशांत महासागर को घेर लेंगे. 

Advertisement
Advertisement
Advertisement