शरीर ज्यादा लचीला होगा... एक्सीडेंट, गिरना, पड़ना जैसे हादसों की वजह से हमारा शरीर लगातार विकास कर रहा है. न्यूरोसाइंटिस्ट डीन बर्नेट के मुताबिक भविष्य में हमारा शरीर ज्यादा लचीला होगा. हम ऐसे हादसों से नुकसान कम होगा. जैसे शार्क मछली के शरीर में कार्टिलेज लगातार बढ़ रहे हैं. भविष्य में हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है. हमारी हड्डियां ज्यादा लचीली और मजबूत होंगी. साथ ही ज्यादा कार्टिलेज की वजह से चोट कम लगेगी. (फोटोः गेटी)
हमारे दांत चोंच जैसे होंगे... शेफील्ड यूनिवर्सिटी के बायोलॉजिस्ट गैरेथ फ्रेजर का यह विचित्र अनुमान है. लेकिन वो मानते हैं कि भविष्य में इंसानों के दांत एकदूसरे से मिलने लगेंगे. अलग-अलग नहीं होंगे. भविष्य में इंसानों का मुंह पफरफिश की तरह चोंचनुमा हो सकता है. जो उस समय के मुताबिक ज्यादा मजबूत और प्रैक्टिकल होंगे. हमारे खान-पान की वजह से इस तरह का विकास होगा. (फोटोः गेटी)
इंसान ज्यादा लंबे होंगे... पिछले 100 सालों में इंसानों की हाइट बढ़ी है. यही उम्मीद अगले 100 सालों से भी है. एक स्टडी के मुताबिक अमेरिकी लोगों की औसत ऊंचाई 5.7 फीट थी. पिछले साल में औसत ऊंचाई बढ़कर 5.10 फीट हो चुकी है. अगर अगले 100 सालों तक यही स्थिति चलती रही तो भविष्य में आम इंसान भी किसी बॉस्केटबॉल खिलाड़ी की तरह दिखेगा. अब आपके इसके फायदे और नुकसान खुद ही सोच सकते हैं. (फोटोः गेटी)
ज्यादा मजबूत फेफड़े... हार्वर्ड के रिसर्चर जुआन एनरीकेज के मुताबिक भविष्य में हमे ऐसे फेफड़ों और मांसपेशियों की जरूरत होगी जो ज्यादा ऑक्सीजन खींच सकें. ताकि कम ऑक्सीजन वाले स्थानों पर भी सर्वाइव कर सकें. क्योंकि इंसान मंगल ग्रह पर भी रहना शुरू करेंगे. वहां ऑक्सीजन बहुत कम है. इससे हमारी सेहत सुधरेगी. भविष्य में यह व्यवस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग से भी हासिल की जा सकती है. (फोटोः गेटी)
उंगलियां लंबी और लचीली होंगी... डीन बर्नेट के मुताबिक लंबाई बढ़ती है तो उसका असर हर अंग पर होता है. हमारी उंगलियां ज्यादा लंबी और लचीली होंगी. इससे उंगलियों की सटीकता बढ़ जाएगी. फायदा टाइपिंग या टचस्क्रीन यंत्रों को ऑपरेट करने में मिलेगा. इतना ही नहीं आप किसी चीज को ज्यादा मजबूती से पकड़ पाएंगे. कई तरह के काम करने में ज्यादा मदद मिलेगी. (फोटोः गेटी)
दिमाग कंप्यूटर जैसा हो जाएगा... हर दिन हम नए और ज्यादा डेटा से सामना करते हैं. अगले कुछ सालों में इनकी मात्रा बढ़ेगी. जुआन एनरीकेज कहते हैं कि ज्यादा सूचनाओं को संभालने के लिए दिमाग बेहतर होता जाएगा. कंप्यूटर की तरह ज्यादा एनालिसिस और स्टोरज कर पाएगा. ज्यादा चीजें याद रख पाएंगे. हालांकि इससे मनोवैज्ञानिक बदलाव भी होंगे. लेकिन वो सकारात्मक होंगे या गलत... इसका अंदाजा अभी लगाना थोड़ा मुश्किल है. (फोटोः गेटी)
ज्यादा बेहतर दृष्टि और सुनने की क्षमता... जेनेटिक बीमारियां कम होंगे. सुनने की क्षमता बढ़ेगी. दृष्टिहीन लोग कम होंगे. तकनीकी सुधारों की वजह से आंख और कान के दिव्यांगों को नया जीवन मिलेगा. जर्मनी में वैज्ञानिक ऐसी आंखें तैयार कर रहे हैं जो दृष्टिहीनों के लिए वरदान साबित होगा. लोग अंधेरे में भी ज्यादा दूर और स्पष्टता से देख पाएंगे. अल्ट्रावायलेट किरणों को भी देख पाएंगे. ज्यादा रंगों को पहचान पाएंगे. (फोटोः गेटी)
ज्यादा एलर्जी होगी... जेनेटिक इंजीनियरिंग से फायदा तो होगा. लेकिन नुकसान भी होगा. अच्छी सेहत का मतलब नई बीमारियों से सामना करना होगा. क्योंकि पर्यावरण भी बदल रहा है. एलर्जी ज्यादा होगी. कीड़ों, पैथोजेंस, बैक्टीरिया और संक्रमण का ज्यादा सामना करना पड़ेगा. हम ऐसी चीजों से दूर होते चले जाएंगे जो हमारी इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं. लेकिन उस समय ऐसे समाज में रहेंगे, जहां पर ताकतवर इम्यूनिटी की शायद जरूरी न हो. (फोटोः गेटी)
हम यौन परिपक्वता पा लेंगे... ग्लोबल ब्रेन इंस्टीट्यूट में इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के शोधार्थी कैडेल लास्ट के मुताबिक इंसान धीरे-धीरे यौन परिपक्वता यानी सेक्सुअल मैच्योरिटी को हासिल कर लेगा. बायोलॉजिकल रिप्रोडक्शन देरी से होगा. इसका मतलब यह नहीं कि बच्चे देरी से होंगे. यानी जल्दी जीकर देर से मरने के बजाय हम धीमी गति में जीवन बिताएंगे और ज्यादा बुजुर्ग होकर मरेंगे. (फोटोः गेटी)
हम ज्यादा मोटे होते जाएंगे... लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर विकसित देशों के पिछले 100 सालों का इतिहास देखें तो पता चलता है कि लोग ज्यादा मोटे होते जा रहे हैं. किसी भी देश ने पिछले 33 साल में यह दावा किया हो कि उसके यहां मोटापा समस्या न हो. इसलिए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में हर देश में इंसान का मोटापा एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगी. (फोटोः गेटी)
मशीनों के साथ मिल जाएंगे... फ्यूचरिस्ट इयान पीयर्सन कहते हैं कि हमारे दिमाग कंप्यूटर की तरह काम करेंगे. यह तो 2050 तक ही देखने को मिल जाएगा. 2075 तक बहुत विकसित देशों में लोग मशीन ऑगमेंटेशन का इस्तेमाल करने लगेंगे. यह एक प्रकार का दिमाग होता है. सदी के अंत तक इसका इस्तेमाल ज्यादा होगा. फिर लोगों के बीच प्रतियोगिता ज्यादा होगी. खास तौर से दिमागी. (फोटोः गेटी)
जेनेटिकली मॉडिफाइड सेल्स होंगी... हम दूसरे ग्रहों पर जाकर रहने लगेंगे. ऐसे में हमें वहां पर सर्वाइव करने के लिए हमारे शरीर के पावर हाउस यानी कोशिकाओं को जेनेटिकली मॉडिफाइड करना होगा. मंगल ग्रह पर रहने के लिए यह बेहद जरूरी होगा. इससे हम ज्यादा खोजी बन सकते हैं, ज्यादा लंबा जी सकते हैं. विपरीत परिस्थितियों में सर्वाइव कर सकते हैं. हम खतरनाक जगहों पर जाकर रह सकते हैं. (फोटोः गेटी)
जेनेटिक बीमारियां खत्म हो जाएंगी... भविष्य में जेनेटिक बीमारियां खत्म हो जाएंगी. जैसे- सिस्टिक फाइब्रोसिस, हटिंग्टन सिंड्रोम आदि. क्योंकि इनका इलाज जेनेटिक इंजीनियरिंग से होगा. (फोटोः गेटी)
यादों को डाउनलोड कर सकेंगे... भविष्य में आप अपनी यादों को डाउनलोड कर सकेंगे. यानी पेन ड्राइव या मेमोरी कार्ड में. इस पर तो MIT में चूहों पर सफल प्रयोग भी हो चुका है. ये भी हो सकता है कि कुछ सालों में हम दूसरे इंसान की यादों को अपने दिमाग में या अपनी यादों को दूसरे के दिमाग में डाल दें. दूसरों की यादों को भी डाउनलोड करके रख लें. (फोटो- गेटी)
त्वचा गिरगिट जैसी होगी... जब हमारा मूड बदलेगा. खराब होगा. अच्छा होगा तब हमारी त्वचा का रंग बदल जाएगा. जैसे गिरगिट का बदलता है. ये अब भी होता है. क्योंकि खुशी में या शर्म में इंसान का चेहरा गुलाबी होने लगता है. भविष्य में त्वचा का रंग बदलना एक संदेश या आपके मानसिक व्यवहार का पता बता देगा. (फोटोः गेटी)
ज्यादा तापमान को सह लेंगे... क्लाइमेटोलॉजिस्ट मैथ्यू हबर के अनुसार ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है. तापमान बढ़ रहा है. जब इंसान विकसित होकर ज्यादा मजबूत बनेगा तो वह ज्यादा तापमान भी सह लेगा. गर्म इलाकों में रहने की आदत डालनी पड़ेगी. इंसान गर्म मौसम के साथ खुद को ढाल लेगा. (फोटोः गेटी)
हम ज्यादा युवा दिखेंगे... उम्र को पलटने की तकनीक पर काफी काम हो रहा है. यानी लोगों को बुजुर्ग बनने से रोकना. क्योंकि बूढ़ा होना सिर्फ शारीरिक प्रक्रिया नहीं है, वह एक बीमारी है. उसे ठीक किया जा सकता है. फिर लोग ज्यादा युवा दिखेंगे. 50-60 साल का इंसान 30-40 साल का दिखेगा. ऐसा कम बीमारियां, बेहतर सहनशक्ति आदि की वजह से होगा. (फोटोः गेटी)
हम अमर हो जाएंगे... अमर होने का मतलब ये नहीं कि आप हमेशा जिंदा रहेंगे. तकनीकी तौर पर आपको AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए जीवित रखा जाएगा. इसमें जेनेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी और AI मिलकर काम करेंगे. हमारी बुद्धिमत्ता को संभालकर हमारे ही रूप में रखा जाए
या अमरता के करीब पहुंचेंगे... हम हमेशा जिंदा नहीं रहेंगे. यानी हमारा शरीर खत्म होगा. जेनेटिक बदलाव से लोगों की उम्र थोड़ी बढ़ सकती है. इंसान अपनी उम्र को धीमे-धीमे पूरा करेगा. क्योंकि बीमार कम होगा. सेहत बेहतर रहेगी. बीमारियां खत्म हो जाएंगी. इसलिए हम थोड़ा ज्यादा साल जिंदा रहेंगे. (फोटोः गेटी)
टेलीपैथी से करेंगे बातें... पुरानी ऋषि-मुनियों की तरह दिमाग में संदेश सोचकर किसी के पास तक पहुंचा सकेंगे. लेकिन यह होगा सिंथेटिक टेलीपैथी. ऐसी तकनीकें आ जाएंगी कि जिनके जरिए आप दिमाग में सोच रहे आइडिया या संदेश को किसी अन्य व्यक्ति या समूह तक पहुंचा सकेंगे. फ्यूचर में संचार शब्दों से कम इलेक्ट्रिकल सिग्नल में ज्यादा होगा. (फोटोः गेटी)