ये बात है साल 1976 की जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA का वाइकिंग मिशन मंगल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाने पहुंचा. लेकिन उसकी तस्वीरों में कुछ ऐसी चीजें दिखाई दीं, जिसे देख नासा क्या, पूरी दुनिया के वैज्ञानिक हैरान रह गए. वहां इंसानी चेहरे की आकृति दिखाई दी साथ ही एक पिरामिड भी. नासा के तीन पूर्व वैज्ञानिकों ने यह पुष्टि की है कि वाइकिंग द्वारा ली गई चेहरे और पिरामिड की तस्वीरें और जगह असली हैं. (फोटोः NASA)
1970 के दशक में नासा ने मंगल ग्रह की सतह की तस्वीरें लेने के लिए दो स्पेसक्राफ्ट भेजे थे. वाइकिंग-1 और वाइकिंग-2. दोनों ने जो फोटोग्राफ्स लीं उसने मंगल ग्रह के बारे में वैज्ञानिकों की सोच बदल दी. इन रहस्यमयी आकृतियों की वजह से वैज्ञानिक ये सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या मंगल ग्रह पर जीवन है. या इन आकृतियों का मंगल ग्रह के जीवन से कोई लेना-देना है. (फोटोः गेटी)
नासा का वाइकिंग-1 ऑर्बिटर 1976 में जब मंगल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा था, तब उसे एक ऐसी तस्वीर दिखी जो ऐतिहासिक बन चुकी है. इस तस्वीर में मंगल ग्रह की सतह पर इंसानी चेहरा (काले घेरे में) दिखाई दे रहा है. अगर आपके पास कलात्मक दिमाग है तो आप सतह पर इस घेरे के अंदर दो आंखें, एक नाक, एक मुंह और अजीब हेयरस्टाइल भी देख पाएंगे. ये इंसानी चेहरे जैसी आकृति मंगल ग्रह के सिडोनिया (Cydonia) नाम के स्थान पर है. (फोटोः NASA)
यह इंसानी चेहरा 3.21 किलोमीटर लंबा है. इस चेहरे के पास ही पिरामिड जैसा ढांचा भी मिला है. यह ढांचा इंसानी चेहरे वाली आकृति से बहुत दूर नहीं है. नासा के पूर्व साइंटिस्ट डॉ. जॉन ब्रांडेनबर्ग ने कहा कि ये जगहें असलियत में मंगल ग्रह पर मौजूद हैं. इनकी तस्वीरें और ये स्थान असली हैं. ऐसा हो सकता है कि यहां पर कभी इंटेलिजेंट लाइफ रही हो. (फोटोः गेटी)
डॉ. जॉन ने कहा कि इंसानी चेहरे की आकृति और पिरामिड के बीच मात्र पांच किलोमीटर की दूरी है. किसी भी वैज्ञानिक को यह समझने में देर नहीं लगेगी कि इनके बीच क्या गणित है. ऐसा हो सकता है कि लोग ये न माने कि यहां पर Alien जीव रहते हैं. लेकिन ऐसा संभव है कि पहले कभी रहते रहे हों. इस मुद्दे पर दुनिया भर के वैज्ञानिक अलग-अलग दलीलें देते हैं. गौरतलब है इसके बाद भी मंगल ग्रह पर कई अजीबो-गरीब चीजें देखी गईं थीं. (फोटोः गेटी)
मंगल ग्रह पर इंसान के पुट्ठे (Butt) जैसी आकृति का एक पत्थर मिला था. इसे मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने खोजा था. अब इंसानी पुट्ठे की तरह दिखने वाला यह पत्थर इकलौता नहीं है, जिसके बारे में लोग चर्चा करते हैं. इससे पहले भी लाल ग्रह पर हरा पत्थर दिखा था. डायनासोर के मुंह जैसा पत्थर दिखा था. मछली के आकार और इंसानी चेहरे जैसी आकृतियां दिखाई दी थीं. (फोटोः केविन एम. गिल)
Three Former NASA Scientists Confirm: Giant Face and Pyramid On Mars Are Real https://t.co/0ou1C5cec2
— Physics & Astronomy Zone (@zone_astronomy) December 2, 2021
नासा के पर्सिवरेंस रोवर को जून में यह पत्थर दिखा था. रोवर ने इसकी तस्वीर जब नासा हेडक्वार्टर्स में भेजी तो साइंटिस्ट हैरान रह गए. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने इसे बट क्रैक रॉक (Butt Crack Rock) नाम दिया है. असल इस फोटो को सबसे पहले जेपीएल में काम करने वाले डेटा और सॉफ्टवेयर इंजीनियर केविन एम. गिल ने देखा था. उन्होंने ट्वीट किया था कि हमें बट क्रैक रॉक मिला है. (फोटोः केविन एम. गिल)
इससे अलावा लाल ग्रह यानी मंगल पर जब किसी भी अन्य रंग के होने की उम्मीद नहीं होती, तब नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने एक हरे पत्थर की खोज की थी. नासा के मार्स पर्सिवरेंस रोवर को यह पत्थर तब दिखा जब वह इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर को सतह पर उतारने के बाद आगे बढ़ रहा था. इस रहस्यमयी हरे रंग के पत्थर की असलियत का खुलासा अभी नहीं हुआ है. ये कहां से आया है. (फोटोः NASA)
ये किस चीज से बना है. लेकिन इसमें छोटे-छोटे गड्ढे हैं और बीच-बीच में चमकदार हरे रंग के क्रिस्टल जैसी वस्तु. यह रोशनी पड़ने पर तेजी से चमक जाती है. NASA पर्सिवरेंस रोवर ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा है कि इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर को मंगल की सतह पर उतारने के बाद हमारी टीम ने इस हरे पत्थर (Martian Green Rock) को देखा. इसी तस्वीरें रोवर पर लगे अलग-अलग कैमरों से ली गई. फिलहाल हमारे पास इसे लेकर सिर्फ हाइपोथीसिस है. (फोटोः NASA)