इंसान के दिमाग का अध्ययन अभी तक नहीं हो पाया है. यह इतना जटिल है कि कभी किसी हिस्से की स्टडी होती है तो कभी किसी अन्य हिस्से की. लेकिन पूरे दिमाग का नक्शा या उसके काम करने की बारीक जानकारी किसी भी वैज्ञानिक के पास नहीं है. इसलिए गूगल कंपनी ने इंसानी दिमाग के एक हिस्से का अब तक का सबसे विस्तृत नक्शा बनाया है. जिसमें उसके अंदर के न्यूरॉन्स, उनका आपसी कनेक्शन तक बारीकी से दिख रहा है. इसमें बताया गया है कि एक न्यूरॉन्स से करीब 4000 नर्व फाइबर जुड़े होते हैं. इस मैप की बदौलत न्यूरोसाइंटिस्ट्स को काफी मदद मिल सकती है. (फोटोः गूगल लिचमैन लेबोरेटरी)
गूगल ने दिमाग के एक बेहद छोटे हिस्से का नक्शा बनाया. इसमें 50 हजार कोशिकाएं थीं. ये सारी की सारी थ्री-डायमेंशनल थी. नक्शा भी थ्री-डायमेंशनल बनाया गया है. ये सारी तंत्रिका कोशिकाएं आपस में करोड़ों बारीक टेंड्रिल्स (Tendrils) के जाल से जुड़ी रहती हैं. इन ट्रेंडिल्स की वजह से 13 करोड़ कनेक्शन बने थे. जिन्हें सिनैप्सेस (Synapses) कहते हैं. इस छोटे से हिस्से के नक्शे को बनाने में जो डेटा लगा है, वह 1.4 पेटाबाइट्स यानी आम कंप्यूटर की स्टोरेज कैपेसिटी से 700 गुना ज्यादा. (फोटोःगेटी)
कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में स्थित गूगल रिसर्च के साइंटिस्ट विरेन जैन ने बताया कि यह डेटा इतना बड़ा था कि रिसर्चर इसका पूरा अध्ययन ही नहीं कर पाए. विरेन ने कहा कि यह इंसान के जीनोम की तरह है जो 20 साल बाद पहली बार डिकोड किया जा सका है. यानी एक जीनोम को डिकोड करने में उसे समझने में दुनिया के सबसे बुद्धिमान वैज्ञानिकों को दो दशक का समय लग गया. (फोटोःगेटी)
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की साइंटिस्ट कैथरीन डुलैक कहती हैं कि यह पहली बार है जब हमने दिमाग के किसी हिस्से की असली तस्वीर देखी है. इसे देखना भावनात्मक रूप से जोड़ता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ही साइंटिस्ट जेफ लिचमैन (Jeff Litchman) और उनकी टीम ने 45 वर्षीय महिला के दिमाग का छोटा सा हिस्सा स्कैन किया है. उस महिला मिर्गी के दौरे आते थे. यह एक अलग प्रकार की मिर्गी थी, जिसका दवाओं से इलाज नहीं हो रहा था. (फोटोःगेटी)
उस महिला की सर्जरी की गई. उसके दिमाग से हिप्पोकैंपस (Hippocampus) नाम का हिस्सा निकाल दिया गया, जो मिर्गी के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इस काम से पहले सर्जन को पहले उनके दिमाग से कुछ स्वस्थ ऊतकों यानी टिश्यू को निकालना था. ताकि बाद में हिप्पोकैंपस की जगह उनके प्रत्यारोपित कर सकें. यहीं पर जैफ लिचमैन की टीम का काम शुरु होता है. उन्होंने उन स्वस्थ ऊतकों में से कुछ हिस्सा काट कर रखा लिया. उसे ओसमियम (Osmium) जैसे हैवी मेटल से स्टेन किया. ताकि हर कोशिका की बाहरी परत इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के नीचे दिखाई दे. (फोटोःगेटी)
इसके बाद जेफ लिचमैन की टीम ने इन ऊतकों को रेसिन में डालकर सख्त किया. उसके बाद इन ऊतकों के 30 नैनोमीटर चौड़ाई की बारीक परतों में काट दिया. यह इंसान के बाल के आकार का करीब एक हजारवां हिस्सा होता है. उसके बाद हर परत को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप ने नीचे डालकर उसे स्कैन किया. यहीं पर विरेन जैन की टीम गूगल की तरफ से आती है. उन्होंने टू-डायमेंशनल परतों से थ्री-डायमेंशनल नक्शा बनाना शुरू किया. उन्होंने मशीन लर्निंग के जरिए टेंड्रिल्स को फिर से बनाया. इन्हीं टेंड्रिल्स के जरिए एक न्यूरॉन सेल दूसरे से जुड़ता है. (फोटोःगेटी)
Google has mapped a piece of human brain in the most detail ever https://t.co/GdDEbfEC9d pic.twitter.com/eVIVDyQVOx
— New Scientist (@newscientist) June 9, 2021
विरेन जैन ने कहा कि यह दिमाग के बेहद छोटे हिस्से का नक्शा है. इसे बनाने के लिए हमने फंक्शनल मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (fMRI) का सहारा लिया है. इस तकनीक से दिमाग के अलग-अलग हिस्सों में क्या काम होता है उसका पता चलता है. दिमाग से मिलने वाले डेटा को हमने क्यूबिक मिलीमीटर में प्रोड्यूस किया. यानी MRI स्कैन के एक पिक्सल के बराबर होता है एक क्यूबिक मिलीमीटर. यह जटिल काम था क्योंकि एक पिक्सल के अंदर इतना बड़ा डेटा नहीं आ सकता था. (फोटोःगेटी)
कैथरीन डुलैक कहती हैं कि ये डेटा बताता है कि आगे और भी नए खुलासे होंगे. इस टीम ने यह बता दिया है कि दिमाग के अंदर की वायरिंग कैसे होती है. आमतौर पर एक टेंड्रिल एक न्यूरॉन से निकलकर दूसरे न्यूरॉन पर जाकर खत्म हो जाता है. यह एक सिनैप्सेस बनाता है. दुर्लभ मौकों पर दो या चार. लेकिन कुछ ऐसे टेंड्रिल्स भी होते हैं जो 20 सिनैप्सेस बनाते हैं वह भी एक ही न्यूरॉन पर. यानी एक इकलौता टेंड्रिल किसी भी न्यूरॉन को सक्रिय या निष्क्रिय करने में सक्षम होता है. (फोटोःगेटी)
इसी वजह से जेफ लिचमैन इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि मल्टी-सिनैप्स कनेक्शन की वजह से ही लोगों का व्यवहार बदलता है. या बुरा होता है. जेफ कहते हैं कि आपका दिमाग कई काम करता है. जैसे- संज्ञान लेना, तर्क करना, सोचना, पहेली में उलझना या निर्णय लेना. कई ऐसी चीजें होती हैं जो आप ऑटोमैटिकली करते हो. हालांकि वो चीजे आपको जेनेटिकली नहीं मिली होतीं. जैसे- ट्रैफिक सिग्नल पर लाल लाइट देख कर कार को रोक देना. यह एक अत्यधिक मजबूत कनेक्शन के द्वारा भेजा गया संदेश होता है, जिस पर हमारा शरीर अपने आप काम करता है. (फोटोःगेटी)
इस टीम ने रहस्यमयी न्यूरॉन्स के जोड़े को खोजा है. यह दिमाग के कॉरटेक्स हिस्से में काफी गहराई में था. जिसे अभी तक किसी भी वैज्ञानिक ने नहीं देखा. यह दोनों तंत्रिका कोशिकाएं एक दूसरे से विपरीत दिशा में थीं लेकिन एक ही धुरी पर. इसकी वजह क्या है यह किसी को नहीं पता. लेकिन उसकी जांच करने से दिमाग को लेकर एक बड़ा खुलासा हो सकता है. (फोटोःगेटी)
दिमाग का नक्शा बनाने की प्रक्रिया, उसके कनेक्शन को देखना या दिमाग के रहस्यों की जांच करने की शुरुआत 1980 से हुई थी. तब पहली बार वैज्ञानिकों ने एक वॉर्म कैनोरैबडिटिस इलिगेंस (Caenorhabditis elegans) के 302 न्यूरॉन्स का नक्शा बनाया था. विरेन जैन, कैथरीन डुलैक और जेफ लिचमैन उस ग्रुप का हिस्सा थे. साल 2020 में भी इन तीनों ने चूहे के पूरे दिमाग के नक्शा बनाने के पक्ष में आवाज उठा रहा था. नक्शा बनाया वह इंसान के अभी बनाए गए नक्शे से सिर्फ 1000 गुना ज्यादा बड़ा था. (फोटोःगेटी)