अगर आपको बूढ़ा नहीं होना है. ज्यादा दिन युवा रहना है तो अंगूर के साथ-साथ उसके बीज भी खा जाइए. असल में वैज्ञानिकों अंगूर के बीज में एक ऐसा रसायन खोजा है, जो उम्र को बढ़ाने वाली कोशिकाओं को मार देता है. वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग चूहों पर किया, जो सफल रहा. चूहों की जिंदगी और युवावस्था में 9 फीसदी का इजाफा हुआ है. वो ज्यादा चुस्त, दुरुस्त हुए और शरीर में बनने वाले ट्यूमर्स भी कम हुए हैं. (फोटोः गेटी)
अंगूर के बीज में मिलने वाला यह रसायन अगर कीमौथैरेपी के साथ दिया जाए तो यह कैंसर के इलाज में कारगर साबित हो सकता है. यह स्टडी हाल ही में nature metabolism नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह रसायन भविष्य में लोगों को बुढ़ापे और कैंसर से बचाने वाली इलाज पद्धत्तियों का मुख्य हिस्सा बन सकती है. (फोटोः गेटी)
जैसे-जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारे शरीर में सेन्सेंट कोशिकाओं (Senscent Cells) की मात्रा बढ़ने लगती है. यह कोशिकाएं उम्र संबंधी बीमारियों को बढ़ावा देने लगती हैं. जैसे- दिल, फेफड़े संबंधी बीमारियां, टाइप-2 डायबिटीज और हड्डियों से संबंधित बीमारियां जैसे- ऑस्टियोपोरोसिस आदि. (फोटोः गेटी)
शंघाई स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी के साइंटिस्ट किसिया शू और उनके साथियों ने अंगूर के बीज में मौजूद इस रसायन के फायदों पर रिसर्च किया है. इस रसायन का नाम है प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1). इसे PCC1 भी कहते हैं. जब इस रसायन का असर सेन्सेंट कोशिकाओं पर देखा गया तो किसिया शू समेत अन्य वैज्ञानिक हैरान रह गए. (फोटोः गेटी)
किसिया शू कहते हैं कि सेन्सेंट कोशिकाओं (Senscent Cells) के ऊपर जब हमने कम कंसेंट्रेशन का प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1) रसायन डाला तो देखा कि इसने कोशिकाओं को सूजन बढ़ाने वाली प्रक्रिया को रोक दिया. जैसे ही कंसेंट्रेशन बढ़ाया गया इसने सेन्सेंट कोशिकाओं को खत्म कर दिया. जबकि, युवा कोशिकाएं सही सलामत थीं. (फोटोः गेटी)
इस रसायनिक प्रक्रिया की पुख्ता जांच करने लिए किसिया शू ने दो साल की उम्र वाले 171 चूहों में प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1) रसायन डाला. दो साल के चूहे यानी 70 साल का इंसान. उन्होंने देखा कि बाकी चूहों की तुलना में इन चूहों की उम्र में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. साथ ही वो ज्यादा चुस्त और फुर्तीले हो गए. उनके शरीर से बुढ़ापे की कोशिकाएं खत्म हो चुकी थीं. सिर्फ युवा कोशिकाएं ही बची थीं. (फोटोः गेटी)
किसिया शू और उनकी टीम ने 171 चूहों पर चार हफ्ते तक हर हफ्ते दो डोज प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1) रसायन डाला. उन्हें कई तरह की फिजिकिल एक्टिविटी से गुजारा गया. रसायन लेने वाले चूहों ने उन चूहों की तुलना में ज्यादा बेहतर परफॉर्म किया जिन्हें रसायन नहीं दिया गया था. उनकी भागने की गति ज्यादा थी. संवेदनशीलता बढ़ गई थी. (फोटोः गेटी)
कीमोथैरेपी की वजह से ट्यूमर के अंदर की कोशिकाओं की उम्र तेजी से बढ़ने लगती है. ऐसे में प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1) रसायन ऐसे ट्यूमर में मौजूद उम्र बढ़ाने वाली कोशिकाओं को मार देता है. इससे कीमोथैरेपी की ताकत और बढ़ जाती है. साथ ही अगर इसे मिटोजैनट्रोन (Mitoxantrone) के साथ दिया जाए तो कई तरह के कैंसर इलाज में मदद मिलेगी. जैसे- ब्रेस्ट कैंसर, नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा, एक्यूट माइलोब्लास्टिक ल्यूकीमिया और अन्य प्रकार के कैंसर. (फोटोः गेटी)
किसिया शू ने प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1) का प्रयोग उस चूहे पर भी किया जिसमें इंसानों को होने वाले प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाएं थीं. मिटोजैनट्रोन और प्रोसाइनीडिन सी1 के मिश्रण ने प्रोस्टेट ट्यूमर को 75 फीसदी घटा दिया. जबकि, सिर्फ कीमोथैरेपी से यह 44 फीसदी घटता है. यानी अगर दोनों तरीकों से इलाज किया जाए तो प्रोस्टेट कैंसर से भी निजात दिलाई जा सकती है. (फोटोः गेटी)
स्विट्जरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लाउसेन के साइंटिस्ट डोरियन जीगलर ने कहा कि अच्छी बात ये है कि प्रोसाइनीडिन सी1 (Procyanidin C1) स्वस्थ कोशिकाओं पर असर नहीं डालता. इसलिए इसे भविष्य में एंटी-एजिंग थैरेपीज में उपयोग किया जा सकता है. अगली स्टडी यह करनी होगी कि क्या यह रसायन जिस तरह चूहों को युवा बना रहा है. कैंसर का इलाज कर रहा है, वो इंसानों में भी सफल होता है या नहीं. (फोटोः गेटी)