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साइंस न्यूज़

चांद पर उगा सकते हैं चने...वैज्ञानिकों ने बताया तरीका

Growing Chickpeas on moon
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चांद पर इंसान खाएंगे क्या? ये एक बड़ा सवाल है? चांद पर इंसान पहले भी गए थे, अब फिर जाने की तैयारी चल रही है. स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में बायोफिजिक्स के Ph.D शोधकर्ता योंटान वाइनट्रॉब ने जब अपनी मां को बताया कि नासा कुछ लोगों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है. तब उनकी मां का पहला सवाल था कि बेटा वहां पर जाने वाले लोग खाएंगे क्या. इस पर योंटान के दिमाग में आइडिया आया. उन्होंने अपना आइडिया नासा के वैज्ञानिकों से शेयर किया. जिसे काफी सराहा गया है. योंटान कहते हैं कि उनकी तकनीक से चांद पर चने उगाए जा सकते हैं. (फोटोःगेटी)

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इसके बाद इजरायली नागरिक 34 वर्षीय योंटान वाइनट्रॉब (Yontan Winetraub) ने एक ऐसा मैकेनिज्म बनाया जिससे चांद पर चने उगाए जा सकते हैं. योंटान ने इस मैकेनिज्म को मिनिएचर ग्रीनहाउस (Miniature Greenhouse) नाम दिया है. यह एक प्रकार का छोटा डिवाइस है, जिसके अंदर चने उग सकते हैं. योंटान ने कहा कि स्पेस स्टेशन या चांद पर फसलों को उगाने के लिए सिंथेटिक बायोलॉजी की जरूरत है. (फोटोःयोंटान वाइनट्रॉब)

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सिंथेटिक बायोलॉजी की मदद से स्पेस स्टेशन या चांद पर फसलों के अंकुरण और फसल बनाने की प्रक्रिया आपके कमांड में रहेगी. इससे आपको भरोसेमंद फसल या खाने की वस्तु मिल सकती है. आपको बता दें कि साल 2022 में द स्पेस ह्युमस एक्सपेरीमेंट (The Space Humus Experiment) किया जाएगा. इसमें एलन मस्क (Elon Musk) के स्पेसएक्स रॉकेट के जरिए एक्सिोम स्पेस (Axiom Space) नाम की कंपनी स्पेस स्टेशन तक निजी यात्रा करेगी. (फोटोःगेटी)

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योंटान का डिवाइस इस यात्रा में स्पेस स्टेशन तक जाएगा. वहां पर चने पैदा किए जाएंगे. अगर इसमें सफलता मिलती है तो चांद पर भी ऐसे ही बड़े डिवाइस के अंदर बड़ी मात्रा में चने की फसल उगाई जा सकेगी. फसल कितने समय और मात्रा में उगानी है, इसका नियंत्रण स्पेस स्टेशन या चांद पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स के हाथ में होगा. जब योंटान से पूछा गया कि आपने परीक्षण के लिए चना ही क्यों चुना, तो उन्होंने ये जवाब दिया. (फोटोःगेटी)

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योंटान ने कहा कि हरे चने तेजी से उगते हैं. इनके लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती. योंटान वाइनट्रॉब पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर भी रह चुके हैं. योंटान के आइडिया से ही चांद पर एक निजी लैंडर भेजा गया था, इसके स्पेस आईएल नाम की गैर-सरकारी संस्था ने भेजा था. इसका नाम था बेरेशीट लैंडर (Beresheet Lander). इसे 2019 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह चांद पर क्रैश लैंडिंग की वजह से खराब हो गया था. (फोटोःगेटी)

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द ह्युमस एक्सपेरीमेंट में ह्युमस (Humus) क्या होता है. ह्युमस मिट्टी की सबसे ऊपरी पतली परत को कहते हैं. यह जैविक पदार्थों से भरपूर होती है. इतना ही नहीं, तैयार किए गए कम्पोस्ट खाद और वनों से प्राप्त प्राकृतिक कम्पोस्ट को भी ह्युमस कहते हैं. ये किसी भी फसल को तेजी से उगाने में मदद करती है. साथ ही फसल में जरूरी पोषक तत्वों का संचार करती हैं. (फोटोःगेटी)

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योंटान ने बताया कि द ह्युमस एक्सपेरीमेंट को स्ट्रॉस ग्रुप में सपोर्ट कर रहा है. वो सिर्फ फंडिंग ही नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने एक्सपर्ट से मदद भी दिलवा रहे हैं. ह्युमस एक्सपेरीमेंट के साथ पहली बार स्पेस स्टेशन पर कोई निजी यात्रा संचालित होगी. इसमें इजरायल के व्यवसायी और पूर्व फाइटर पायलट ईटन स्टिबे भी जा रहे हैं. जिन्होंने इस यात्रा के लिए 55 मिलियन डॉलर्स यानी 408 करोड़ रुपए दिए हैं. (फोटोःगेटी)
 

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योंटान ने कहा कि वो पिछले 6 महीने से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. उन्हें खुशी है कि उनका प्रोजेक्ट इस मिशन में स्पेस स्टेशन तक ले जाया जाएगा. वहां पर चने की फसल उगाकर उसकी जांच की जाएगी. यानी फसल कितनी तेजी से उगती है. कितने समय तक सुरक्षित रहती है. कितनी पौष्टिक होती है. इसके उपयोग से एस्ट्रोनॉट्स को कोई दिक्कत तो नहीं आएगी. (फोटोःगेटी)

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