लगातार छह साल से दुनिया का सबसे खुश देश (World's Happiest Country) फिनलैंड है. वर्ल्ड हैप्पीनेस सर्वे में यह देश फिर टॉप पर है. ये सर्वे कैंट्रिल लैडर लाइफ इवेल्यूएशन के जरिए लोगों से पूछे सवालों के आधार पर होता है. फिनलैंड के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर डेनमार्क और आइसलैंड हैं. (सभी फोटोः गेटी)
लोगों में खुशी का पैमाना आर्थिक असमानता, उच्च सामाजिक सहायता, फैसले लेने की आजादी और कम भ्रष्टाचार रखा गया था. ऊपर दिए ग्राफ में 44 देशों को दिखाया गया है. इसमें हैप्पीनेस डेटा और आर्थिक असमानता का डेटा दोनों दिखाए गए हैं. अलग-अलग रंगों से. सीधी खड़ी लाइनें औसत खुशी और आड़ी लाइनें आर्थिक असमानता दिखाता है.
ग्राफ ये बताता है कि जब आर्थिक असमानता ज्यादा होती है, तब लोगों के लिए पैसा अधिक मायने रखता है. लोग कम खुश रहते हैं. लेकिन फिनलैंड के मामले में अन्य फैक्टर्स भी लागू होते हैं. सबसे बड़ी खुशी की वजह है उनका हेल्थकेयर सिस्टम. वहां निजी अस्पताल बहुत कम हैं. यह दुनिया के अन्य देशों में मौजूद हेल्थ सिस्टम से बेहतर विकल्प है.
फिनलैंड का पब्लिक ट्रांसपोर्ट भरोसेमंद और किफायती हैं. हेलसिंकी एयरपोर्ट पूरे उत्तरी यूरोप का सबसे अच्छा एयरपोर्ट है. फिनलैंड में एक कहावत कहते हैं कि खुशी बहुत कम और बहुत ज्यादा के बीच का स्थान होता है. फिनलैंड, नॉर्वे और हंगरी में आर्थिक असमानता एक जैसा ही है. लेकिन बाकी दोनों देशों की तुलना में फिनलैंड ज्यादा खुश है.
फिनलैंड में सबसे ज्यादा कमाने वाले 10 फीसदी लोग अपने लिए सिर्फ 33 फीसदी ही अपने पास रखते हैं. यूके में 36 और अमेरिका 46 फीसदी अपने पास रखते हैं. यानी बचा हुआ पैसा बाकी लोगों के विकास में काम आता है. इससे भी लोगों के बीच खुशियां फैलती हैं. जहां खुशी कम है, वहां पर अमीर लोग डरे रहते हैं. क्योंकि वो गिनेचुने रईस लोगों में से एक होते हैं.
साल 2021 में एक स्टडी आई थी जिसमें कहा गया था फिनलैंड समेत जो नॉर्डिक देश हैं, वहां के लोग ज्यादा रीजनेबल उम्मीदें रखते हैं. फर्जी उम्मीद नहीं करते. इसलिए उम्मीद टूटती नहीं. दुखी नहीं होते. इस मामले में आप फिनलैंड, नॉर्वे और डेनमार्क जैसे देश के लोगों को एक जैसा ही पाएंगे.
फिनलैंड में ज्यादा न्यायसंगत स्कूल हैं. अच्छी शिक्षा दी जा रही है. यानी बच्चा जो पढ़ना चाहता है उसे पढ़ने दिया जा रहा है. पड़ोसी देश नॉर्वे से बेहतर स्कूली नीतियां हैं. सबके पास घर हैं. बेघर लोगों की संख्या बहुत ही कम है. अगर कोई होता भी है तो उसे सामुदायिक घरों में रखा जाता है.
आजादी किसी भी इंसान के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. डर से आजादी भी जरूरी है. शायद इसी वजह से तुर्की और भारत में खुशियों का स्तर कम है. जबकि इनसे कम आर्थिक रूप से कम संतुलित देश ज्यादा खुश हैं. दक्षिण अफ्रीका और चीन अपने आर्थिक असमानता की तुलना में थोड़े ज्यादा खुश हैं.
लोगों में खुशी की सबसे बड़ी वजह पैसा है. जहां पैसा ज्यादा है वो खुश हैं. जहां नहीं है वो दुखी हैं. सामाजिक सरंचनाएं और सरकारी नीतियों की वजह से भी लोगों में खुशी बढ़ती और घटती है. इसमें मायने रखते हैं स्कूल, घर, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार.