scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर...सूख जाएंगी गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु नदियांः स्टडी

Himalayan glaciers melting
  • 1/10

ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हिमालय के ग्लेशियर असाधारण गति से पिघल रहे हैं. यह गति इतनी ज्यादा हो गई है कि इससे भारत, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान समेत कई देश अगले कुछ सालों में पानी की भयानक किल्लत से जूझने वाले हैं. क्योंकि इन देशों की ज्यादातर नदियां तो हिमालय के ग्लेशियर से ही निकली हैं. चाहे वह गंगा, सिंध हो या फिर ब्रह्मपुत्र. हाल ही में हुई एक स्टडी में यह भयावह खुलासा हुआ है. (फोटोः गेटी)

Himalayan glaciers melting
  • 2/10

वैज्ञानिकों ने स्टडी के दौरान देखा कि हिमालय के ग्लेशियर पिछले कुछ दशकों में 10 गुना ज्यादा गति से पिघले हैं. जबकि, छोटा हिमयुग (Little Ice Age) यानी 400 से 700 साल पहले ग्लेशियरों के पिघलने की गति का औसत बेहद कम था. जबकि पिछले कुछ दशकों में यह बेहद तेजी से बढ़ा है. जिसकी मुख्य वजह ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज है.  (फोटोः नेचर)

Himalayan glaciers melting
  • 3/10

यह स्टडी Nature जर्नल में 20 दिसंबर को प्रकाशित हुई है. जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि कैसे हिमालय के ग्लेशियर दुनिया के अन्य ग्लेशियरों की तुलना में ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं. इंग्लैंड में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने यह स्टडी की है. इन वैज्ञानिकों ने छोटा हिमयुग (Little Ice Age) के बाद से अब तक हिमालय के 14,798 ग्लेशियरों का अध्ययन किया. उनकी सतह, बर्फ का स्तर, मोटाई, चौड़ाई और पिघलने के दर की स्टडी की गई.  (फोटोः गेटी)

Advertisement
Himalayan glaciers melting
  • 4/10

वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया कि इन ग्लेशियरों ने अपना 40% हिस्सा खो दिया है. ये 28 हजार वर्ग किलोमीटर से घटकर 19,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर आ गए हैं. इस दौरान इन ग्लेशियरों ने 390 क्यूबिक किलोमीटर से 590 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खोया है. इनके पिघलने की वजह से जो पानी निकला है, उससे पूरी दुनिया के समुद्री जलस्तर में 0.92 मिलीमीटर से 1.38 मिलीमीटर की बढ़ोतरी हुई है.  (फोटोः नेचर)

Himalayan glaciers melting
  • 5/10

यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के साइंटिस्ट और इस स्टडी के लेखक जोनाथन कैरिविक ने बताया कि हमारी स्टडी में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि पिछली कुछ सदियों की तुलना में वर्तमान कुछ सालों में हिमालय के ग्लेशियर के पिघलने का दर 10 गुना ज्यादा है. इंसानों द्वारा किए जा रहे जलवायु परिवर्तन और वैश्विक गर्मी की वजह से पिछले कुछ दशकों में हिमालय के ग्लेशियर ज्यादा तेजी से पिघले हैं.  (फोटोः गेटी)

Himalayan glaciers melting
  • 6/10

आर्कटिक और अंटार्कटिका के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा ग्लेशियर वाला बर्फ हिमालय पर है. इसलिए इसे कई बार तीसरा ध्रुव (Third Pole) भी कहा जाता है. जिस गति से हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं, उससे भविष्य में कई एशियाई देशों में पीने के पानी की किल्लत होगी. क्योंकि एशिया की कई प्रमुख नदियों की प्रणाली इन्हीं ग्लेशियरों से निकली है. इनमें सबसे प्रमुख हैं ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा नदी. (फोटोः गेटी)

Himalayan glaciers melting
  • 7/10

जोनाथन कैरिविक ने बताया कि उनके साथियों ने सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए और डिजिटल एलिवेशन मॉडल्स के जरिए हिमालय के सभी ग्लेशियरों की आउटलाइन बनाई. उसके बाद 400-700 साल पहले से लेकर अब तक के ग्लेशियरों की सतह का निर्माण किया. सैटेलाइट तस्वीरों से ग्लेशियरों के आउटलाइन से यह पता चल गया कि ग्लेशियर की शुरुआती बाउंड्री कहां थी. उससे यह पता चल जाता है कि ग्लेशियर कितना पीछे खिसका, कितना पिघला.  (फोटोः गेटी)

Himalayan glaciers melting
  • 8/10

ग्लेशियर के रीकंस्ट्रक्शन और वर्तमान ग्लेशियर की तुलना जब की गई तब पता चला कि छोटा हिमयुग (Little Ice Age) के बाद से अब तक कितना बदलाव आया है. हिमालय के ग्लेशियर सबसे ज्यादा नेपाल में पिघल रहे हैं. पूर्वी नेपाल और भूटान के इलाके में इनके पिघलने की दर सबसे ज्यादा है. इसके पीछे बड़ी वजह है हिमालय के पहाड़ों के दो हिस्सों के वातावरण, वायुमंडल में अंतर और मौसम में बदलाव. (फोटोः नेचर)

Himalayan glaciers melting
  • 9/10

सिर्फ ऊंचाई पर ग्लेशियर नहीं पिघल रहे. बल्कि ये वहां भी खत्म हो रहे हैं, जहां पर ये झीलों का निर्माण करते हैं. क्योंकि लगातार बढ़ते तापमान की वजह से झीलों का पानी तेजी से भाप बन रहा है. एक और समस्या सामने आई है. हिमालय पर ग्लेशियरों के पिघलने की तेज गति की वजह से कई झीलों का निर्माण हो गया है. जो कि खतरनाक है. अगर इन झीलों की बाउंड्रीवॉल टूटती है तो वह केदारनाथ और रैणी गांव जैसा हादसा कर सकती हैं.  (फोटोः गेटी)

Advertisement
Himalayan glaciers melting
  • 10/10

जोनाथन कहते हैं कि हमें तत्काल इंसानों द्वारा किए जा रहे जलवायु परिवर्तन को रोकना होगा. ग्लेशियर अगर पिघल गए तो आप नदियों की प्रणाली को खो देंगे. उसके बाद एकसाथ कई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी. जिससे हाहाकार मच जाएगा. खेती नहीं हो पाएगी. उपज खत्म हो जाएगी.  (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement