scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

190 करोड़ एयर कंडिशनर पूरी धरती को कैसे कर रहे हैं गर्म? नई किताब में खुलासा

Air Conditioner heating World
  • 1/12

दुनिया भर में गर्मी बढ़ रही है. लोग घरों में एयर कंडिशनर (Air Conditioner - AC) लगवाते जा रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में 190 करोड़ एयर कंडिशनर का उपयोग हो रहा है. जिसकी वजह से वातावरण में गर्मी बढ़ जाती है. आमतौर पर ऐसा गर्मियों और मॉनसूनी सीजन में होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एयर कंडिशनर से निकलने वाली गर्म हवा से धरती के वायुमंडल का तापमान बढ़ रहा है. अब एक नई किताब में यह खुलासा किया गया है कि एयर कंडिशनर से क्या नुकसान है? इससे तापमान में कितनी बढ़ोतरी होती है. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 2/12

अमेरिकी वायुमंडलीय वैज्ञानिक एरिक डीन विल्सन ने 'ऑफ्टर कूलिंगः ऑल फ्रेयॉन, ग्लोबल वॉर्मिंग, एंड द टेरिबल कॉस्ट ऑफ कम्फर्ट' (After Cooling: on Freon, Global Warming, And The Terible Cost of Comfort)  नाम की किताब लिखी है. इस किताब में उन्होंने यह बताया है कि कैसे एयर कंडिशनर गर्मी से राहत देने का नया और बेहतरीन साधन बना. साथ ही यह बताया है कि इससे निकलने वाले नुकसानदेह रसायनों से जलवायु में कितना बदलाव आ रहा है. स्टेस्टिा वेबसाइट के मुताबिक दुनिया में पिछले साल 190 करोड़ एयर कंडिशनर थे. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 3/12

आधुनिक रेफ्रिजरेंट यानी ठंडा करने वाली गैस- फ्रिज, फ्रीजर्स और एयर कंडिशनर्स में होती है. इसे सबसे पहले 1930 में बाजार में लाया गया था. जिसे कहा जाता था क्लोफ्लोरोकॉर्बन (Chlorofluorocarbons - CFCs). इसमें फ्रेयॉन (Freon) के नाम से भी जानते हैं. यह रसायन कई दशकों तक वायुमंडल में जाता रहा, जिसकी वजह से ओजोन परत में छेद हो गया. 1987 में एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ कि अब CFCs का उत्पादन रोक दिया जाए. नहीं तो अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन लेयर हर साल अक्टूबर के महीने में कम हो जाती है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Air Conditioner heating World
  • 4/12

इसके बाद एक नया रसायन लाया गया जिसे हाइड्रोफ्लोरोकॉर्बन (HFCs) कहते हैं. इसने CFC की जगह ले ली. इससे ओजोन परत में छेद में कमी आई. अब उतना छेद नहीं होता जितना पहले होता था. लेकिन इसकी वजह से वायुमंडल में कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई. आजकल रेफ्रिजरेंट के नाम पर एयर कंडिशनर्स में HCFC का उपयोग किया जाता है, यह HFC का आधुनिक वर्जन है. इससे ओजोन परत पर दुष्प्रभाव नहीं कम पड़ता है. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 5/12

एरिक डीन विल्सन कहते हैं कि जीवन में AC की जरूरत है. क्योंकि जब ज्यादा गर्मी होती है, लू चलती है या फिर हीटवेव के समय यही एसी लाखों जान बचा लेते हैं. क्योंकि ज्यादा देर गर्मी में रहने से इंसान की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है, ग्लोबल वार्मिंग हो रही है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उस हिसाब से AC भी बाहर से हमें गर्म-जहरीली हवा खींचकर उसे ठंडा करके हमें राहत प्रदान कर रही है. जो कि लंबे समय में नुकसानदेह है. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 6/12

एरिक डीन विल्सन की किताब में यह बात लिखी गई है कि एसी बनाने वाली कंपनियां ये दावा करती हैं कि फ्रेयॉन (Freon) एसी से लीक नहीं होती. न ही वो सीधे तौर पर वायुमंडल में मिलती है. यह पूरी तरह से सुरक्षित होती है. असल में सबसे ज्यादा दिक्कत आती है कार के एयरकंडिशनर से. क्योंकि यहां पर रेफ्रिजरेंट एक तय सिस्टम में चार्ज्ड होते हैं. तब वह एयर कंडिशनर को ठंडा करते हैं. करीब 15 साल के बाद कारों के एयर कंडिशनर से फ्रेयॉन (Freon) गैस लीक होने की आंशका रहती है. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 7/12

एरिक ने बताया कि लोगों के साथ एक दिक्कत और है. अमेरिका में लोग खराब एयर कंडिशनर को कबाड़ी के यहां भेज देते हैं. या फिर किसी सुनसान जगह पर छोड़ देते हैं. या फिर अपने घरों के सामने या पीछे कबाड़ बनाकर रखते हैं. जो कि तकनीकी तौर पर गैर-कानूनी है. ये कबाड़ बनाकर छोड़े गए एसी, फ्रिज या फ्रीजर्स होते हैं, उनमें HFC ही आमतौर पर पाया जाता है. जो खुले में पड़े होने के नाते और अलग-अलग तापमान में रहने की वजह से लीक होने की आशंका ज्यादा रहती है. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 8/12

एरिक ने खुलासा किया है कि HFO यानी हाइड्रोफ्लोरोओलेफिंस जो ओजोन परत को नुकसान नहीं पहुंचाते, उनका विकल्प नहीं है. कई बार वैज्ञानिकों ने प्रयास किया कि कोई ऐसा रेफ्रिजरेंट बनाएं जो जलवायु और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए ठंडक दे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है. यानी फिलहाल इसका कोई विकल्प नहीं है. AC का सबसे बड़ा फायदा है लोगों को हीटवेव से बचाकर रखना. ताकि लोग बीमार न पड़े. गर्मियों से संबंधित बीमारियों से दूर रहें. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 9/12

सबसे ज्यादा गर्मी उन इलाकों में महसूस होती है, जहां पर प्राकृतिक छांव की व्यवस्था नहीं होती. पेड़ कम होते हैं. पार्क नहीं होते. ज्यादा कॉन्क्रीट होता है और जल के स्रोत नहीं होते. इन स्थानों पर 10 से 12 डिग्री सेल्सियस तक अंतर आ जाता है. जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, उन्हें इस तापमान का खामियाजा भुगतना पड़ता है. अगर वो एसी का एक यूनिट घर में लगवा भी लें, तो बिजली के बिल से उनकी हालत खराब हो जाती है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Air Conditioner heating World
  • 10/12

जब गर्मी बढ़ती है, हीटवेव चलती है तब ज्यादातर लोगों के घरों में AC ऑन हो जाता है. बिजली का लोड बढ़ जाता है. जिसकी वजह से ग्रिड पर भार बढ़ता है, इससे कई बार शहरों या देशों में ब्लैकआउट हो जाता है. एरिक ने AC के उपयोग को लेकर कुछ सुझाव भी दिए हैं ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो. गर्मी कम होनी शुरु हो. एरिक ने कहा कि लोगों को कम्यूनिटी सोलर या कम्यूनिटी कंट्रोल्ड एनर्जी पर फोकस करना चाहिए. ताकि जरूरत पड़ने पर ही एसी को चलाया जाए. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 11/12

AC के दुष्प्रभावों से बचने का सबसे सस्ता तरीका है पौधरोपण. जितने ज्यादा पौधे उगाए जाएंगे, उतनी ज्यादा राहत मिलेगी. खासतौर से वो शहरी इलाके जहां पर सिर्फ दफ्तर ही दफ्तर हों. या फिर पेड़-पौधे कम हों. इससे कॉन्क्रीट की गर्मी को पेड़ों की छांव का संतुलन मिलेगा. दूसरा तरीका है सस्टेनेबल डिजाइन के साथ पैसिव कूलिंग की व्यवस्था हो. यानी इमारतें ऐसी बने जिनमें रोशनी और हवा का समुचित प्रसार हो. आजकल कई आर्किटेक्ट प्रकृति आधारित डिजाइन बना रहे हैं, जिनसे इमारतों को कम ऊर्जा में भी संचालित किया जा सकता है. (फोटोः गेटी)

Air Conditioner heating World
  • 12/12

एरिक ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि कहां पर छांव की व्यवस्था कैसे की जाए. रोशनी कितनी और कैसे आएगी, इसका फैसला किया जाए. रोशनी तो पूरी आए ही...लेकिन इमारत गर्म न हो. निर्माण सामग्री ऐसी हो जो ज्यादा गर्मी न सोखती हो. लेकिन ये सारी तकनीक लगाने पर निर्माण की कीमत बढ़ जाती है. भविष्य में जब सस्टेनेबल निर्माण होंगे तो इन चीजों की कीमत कम होगी. फिर एसी की जरूरत में कमी लाई जा सकती है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement