आमतौर पर पांच-छह दिन काम करने के बाद आप एक या दो दिन वीकेंड मनाते हैं. धरती पर अंतरिक्षयात्री भी यही काम करते हैं. पांच दिन काम, दो दिन आराम. लेकिन अंतरिक्ष में उन्हें आराम करने के लिए बहुत कम समय मिलता है. उन्हें रिलैक्स करने के लिए मौके और तरीके भी कम होते हैं. आपको लगता होगा कि बिना ग्रैविटी वाले स्पेस स्टेशन पर हवा में तैरना मौज का काम होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. आइए जानते हैं कि वो एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में रिलैक्स करने के लिए क्या करते हैं? (फोटोः गेटी)
खूबसूरत नीली धरती को निहारना
स्पेस स्टेशन पर सबसे प्रसिद्ध और पसंदीदा रिलैक्सेशन का काम है खूबसूरत नीली धरती को निहारना. 450 किलोमीटर ऊपर से आप स्पेस स्टेशन की खिड़की से धरती पर होने वाली सारी गतिविधियों को देख सकते हैं. तूफान, हरिकेन, चक्रवात, नॉर्दन लाइट्स, बिजली का गिरना, सूर्योदय-सूर्यास्त या बड़े-बड़े देशों के नक्शे. उनमें होने वाले बड़े बदलाव. क्योंकि स्पेस स्टेशन एक दिन में धरती के 16 चक्कर लगाता है. (फोटोः NASA)
धरती के केंद्रों से बातचीत करते रहना
एस्ट्रोनॉट्स जब स्पेस स्टेशन पर कभी खाली टाइम पाते हैं तो वो अपने मिशन कंट्रोल सेंटर के साथियों से बात करते हैं. अपने परिवार या दोस्तों से बातें करते हैं. इसके लिए उनके देश की स्पेस एजेंसी या नासा व्यवस्था करता है. बातचीत के लिए ईमेल्स, इंटरनेट फोन, हैम रेडियो या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं. (फोटोः गेटी)
स्पेस स्टेशन पर भी होती है 'होम डिलीवरी'
हर मिशन से पहले एस्ट्रोनॉट्स के परिजन, रिश्तेदार और दोस्त उनके लिए इलेक्ट्रॉनिक फोटो, मैसेज, वीडियो क्लिप्स या पढ़ने लायक चीजें भेजते हैं. इसके अलावा जब भी कार्गो पैकेज धरती से स्पेस स्टेशन के लिए जाता है, तब इनके लिए धरती से मिठाइयां, किताबें, मैगजीन, फोटो, लेटर्स भी ले जाए जाते हैं. स्पेस स्टेशन पर दो लाइब्रेरी है, जहां पर किताबें, सीडी और डीवीडी रखे होते हैं. (फोटोः गेटी)
स्पेस स्टेशन से वेब पर अपना अनुभव शेयर करना
साल 2010 से स्पेस स्टेशन पर इंटरनेट की सुविधा मौजूद है. इसलिए एस्ट्रोनॉट्स इंटरनेट के जरिए अपना स्पेस का अनुभव परिवार, दोस्त, संस्थानों, स्कूलों आदि के साथ शेयर करते हैं. इसके अलावा खुद के लिए भी सर्फिंग करते हैं. ताकि कुछ सीख सकें. कुछ पता कर सके. ह्यूस्टन स्थित मिशन कंट्रोल सेंटर से इंटरनेट की लिंक सीधे स्पेस स्टेशन को रिले की जाती है. यहां कनेक्शन बेहद धीमा रहता है. वह भी दिन में बेहद सीमित समय के लिए. इसका उपयोग सिर्फ ईमेल्स चेक करने के लिए होता है और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए. (फोटोः गेटी)
अंतरिक्ष में सोशल मीडिया
एस्ट्रोनॉट क्रिस हैडफील्ड ने स्पेस स्टेशन में सोशल मीडिया को ले जाने का पुरजोर समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि दुनिया जानना चाहती है कि कैसे एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में काम करते हैं. उनके अनुभवों को साझा करना चाहिए. क्रिस की वजह से स्पेस स्टेशन पर फेसबुक, ट्विटर, टम्बलर, रेडिट और साउंडक्लाउड जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पहुंचे. इतना ही नहीं क्रिस खुद भी इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग काफी ज्यादा करते हैं. वो कनाडा के एस्ट्रोनॉट हैं. (फोटोः गेटी)
Mental health problems can affect people on Earth and also in space. 🧠🪐
— Canadian Space Agency (@csa_asc) January 26, 2022
Astronauts relax by doing a number of popular activities on the Space Station. https://t.co/a2KrCaNxi6
What do you do to feel better? #BellLetsTalk pic.twitter.com/qu4voi7n5Q
संगीत सुनना या बजाना
धरती के बाहर संगीत को सुनना या कोई यंत्र बजाना एस्ट्रोनॉट्स के लिए एक सुकून देने वाला काम होता है. क्योंकि आप बेहद गंभीर, तकनीकी और धैर्य रखने वाले मिशन पर काम कर रहे होते हैं. ऐसे में मानसिक सुकून बहुत जरूरी होता है. संगीत सुनना तो उनके लिए आसान होता है, लेकिन कम ग्रैविटी की वजह से वाद्य यंत्र बजाना बेहद मुश्किल. क्योंकि यंत्रों को पकड़ना, उनके कीबोर्ड्स या तारों को छेड़ना बेहद कठिन काम है. ऐसा करने के लिए एस्ट्रोनॉट्स अपने पैरों को नीचे से हुक कर लेते हैं. स्पेस स्टेशन पर बांसुरी, कीबोर्ड, सैक्सोफोन, एकॉस्टिक गिटार जैसे यंत्र हैं. (फोटोः NASA)
स्पेस स्टेशन पर रिकॉर्डिंग स्टूडियो
एक्सपीडिशन 34/35 के दौरान कनाडाई एस्ट्रोनॉट क्रिस हेडफील्ड जो कि एक गिटारिस्ट हैं. उन्होंने अंतरिक्ष में बनाए गए खास रिकॉर्डिंग स्टूडियो में म्यूजिक कंपोज किया था. परफॉर्म किया था. स्पेस में अपने अनुभवों के आधार पर नए गाने बनाकर उन्हें लोगों को सोशल मीडिया के जरिए सुनाया था. एक बार तो उन्होंने अंतरिक्ष से लाइव कंसर्ट किया था, जिसमें धरती से 10 लाख कनाडाई लोगों ने भाग लिया था. जिसमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स थे. (फोटोः गेटी)
खेल-खेल में विज्ञान
कम ग्रैविटी की वजह से एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में कई मौजू काम करने का मौका मिलता है. वो खेलते-खेलते ही विज्ञान के कई प्रयोग कर डालते हैं. जैसे हवा में तैरती हुई पानी की बूंदों से खेलना, उछल-कूद मचाना, पलटियां मारना, एक मॉड्यूल से दूसरे मॉड्यूल में ग्लाइड करना, जैसे सुपरमैन हवा में तैरता है. (फोटोः ESA/NASA)