नदियां सूख जाएंगी. प्रदूषण इतना होगा कि सांस लेना मुश्किल होगा. धरती पर इंसान एस्ट्रोनॉट्स की तरह अर्थ सूट (Earth Suit) पहनकर रहेगा. खेती-बाड़ी रोबोट्स करेंगे. एक पौधे में कई तरह की फसलें या फल होंगे. न जाने कैसा नजारा होगा साल 2100 से लेकर 2500 तक. वर्तमान जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति के आधार पर वैज्ञानिकों ने जो अनुमान लगाया है वो बेहद ही खतरनाक है. जिसे सोचकर डर लगता है. वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में कुछ तुलनात्मक तस्वीरें लगाई हैं...जो हम आपको दिखा रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
इन तस्वीरों में बताया गया है कि अमेरिका के मिडवेस्टर्न फार्म्स पर सबट्रॉपिकल पौधे उगे होंगे. जो पहले अमेजन के जंगलों में मिलते थे वो पौधे अमेरिका के सूखे इलाकों में पहुंच जाएंगे. वहीं, भारतीय उपमहाद्वीप भयानक गर्मी की मार झेल रहा होगा. यानी ओवन की तरह गर्म हो रहा होगा. खेतों में रोबोट्स काम कर रहे होंगे, क्योंकि बाहर जाना मुश्किल होगा. सांस लेने पर जहर ही शरीर में जाएगा. (फोटोः क्रिस्टोफर लियोन)
एनवायरमेंटल सोशल साइंटिस्ट क्रिस्टोफर लियोन और उनके साथियों ने ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में अपनी इस स्टडी से संबंधित भविष्यवाणियों की रिपोर्ट को रखा है. क्रिस्टोफर लियोन मॉन्ट्रियल स्थित मैक्गिल यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता हैं. उन्होंने कहा कि साल 2100 तो पता चलने से पहले आ जाएगा. तब तक ही दुनिया की रूपरेखा काफी ज्यादा बदल चुकी होगी. ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाएगा. क्लाइमेट चेंज होगा. नदिया सूखेंगी. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
यह पता करने के लिए किस तरह का असर होगा. उसे तीन तरह की भविष्यवाणियां की गईं. पहला कम दर्जे के नुकसान, दूसरा मध्यम और तीसरा तीव्र दर्जे का. यानी जितना ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, उतना ज्यादा नुकसान. इन वैज्ञानिकों ने यह अनुमान IPCC की रिपोर्ट के आधार पर बनाया है. जो साल 2500 तक की भविष्यवाणी करता है. इस रिपोर्ट का पूरा फोकस सभ्यता पर पड़ने वाला असर है. जैसे- गर्मी से तनाव, फसलों की बर्बादी, जमीन के उपयोग में बदलाव और पेड़-पौधों की स्थिति में परिवर्तन. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
इस स्टडी में बताया गया है कि कैसे साल 2100 तक अगर 2.2 डिग्री सेल्सियस का तापमान बढ़ता है तो क्या असर आएगा. अगर साल 2500 तक 4.6 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ता है तो किस तरह का नजारा दिखेगा. दुनिया भर के बायोम (Biome) में बदलाव आएगा. सबसे ज्यादा नुकसान अमेजन के जंगलों को होगा. फसलों की सेहत पर असर पड़ेगा और उष्णकटिबंधीय इलाके जैसे एशिया में गर्मी की वजह से रहना मुश्किल होगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों की इस टीम ने इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के साइंस कम्यूनिकेटर और आर्टिस्ट जेम्स मैक्के से संपर्क स्थापित किया. इसके बाद अपने डेटा के आधार पर उनसे कुछ फोटोग्राफ्स बनवाए. उन्होंने कई तस्वीरें बनाईं, जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे साल 2500 में दुनिया का रंगरूप बदल चुका होगा. क्रिस्टोफर लियोन कहते हैं कि भारत की एक तस्वीर में दिखाया गया है कि कैसे एक आदमी सील्ड सूट पहने हुए हैं. हेलमेट लगाए है. लेकिन साथ ही सिर को ऊपर एक गमछे जैसे कपड़ा भी लपेट रखा है. हालांकि रिपोर्ट में सारी तस्वीरें नहीं दिखाई गई हैं. (फोटोः जेम्स मैक्के)
साल 2500 तक दुनिया भर में ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति बहुत खराब होगी. औसत तापमान में 4.6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो चुकी होगी. इसकी वजह से भारत में तापमान बहुत ज्यादा हो चुका होगा. किसान और मवेशियों को पालने वालों की हालत बहुत खराब हो चुकी है. इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि बाईं तरफ सामान्य स्थिति में किसान काम कर रहा है. लेकिन बगल में दाहिनी तरफ आप एक ऐसे किसान को देखेंगे तो सूट पहनकर खेत में खड़ा है लेकिन उसका काम एक रोबोटिक मशीन कर रही हैं. (फोटोः जेम्स मैक्के)
दूसरी तस्वीर में अगर दिखाया गया है कि अगर इसी तरह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो अमेरिका का ब्रेडबास्केट कहलाने वाला मध्य-पश्चिम का इलाका सामान्य खेतों के बजाय सब-ट्रॉपिकल खेतों में बदल चुका होगा. यहां पर ऑयल पाम (Oil Palm) जैसे पेड़ों की मात्रा बढ़ सकती है. ऐसी फसलें लगाई जाएंगी जो ज्यादा तापमान को बर्दाश्त कर सके और कम पानी की जरूरत पड़े. (फोटोः जेम्स मैक्के)
एक तस्वीर और है जिसमें साइंटिस्ट ने यह दिखाने की कोशिश की है कि अमेजन के जंगल सूख चुके होंगे. वहां पर मौजूद नदियों का स्तर कम हो चुका होगा. यहां पर इंसान भी रहना पसंद नहीं करेंगे. क्योंकि या तो इंसान यहां से भाग चुके होंगे या रहने का मन भी नहीं बना रहे होंगे. क्योंकि यहां भी तापमान इतना ज्यादा होगा कि जीना मुश्किल होगा. साथ ही पानी की किल्लत भी बर्दाश्त करनी पड़ सकती है. दुनियाभर में खेती समेत कई कामों को सिर्फ रोबोट्स करेंगे. क्योंकि बाहर का मौसम इंसानों के लिए सही नहीं रहेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)