कॉक्रोच (Cockroaches) धरती पर 6.60 करोड़ साल पहले हुए एस्टेरॉयड हमले में बच गए थे. जबकि, इस हमले में डायनासोरों की सारी आबादी खत्म हो गई. धरती पर हजारों किलोमीटर दूर तक ज्वालामुखी फट पड़े. प्रलय आ गया था. धरती से तीन-चौथाई पेड़-पौधे और जानवर मारे गए थे. कॉक्रोच बच गए. सवाल ये है कि क्या अगले प्रलय में जब धरती पर से इंसानों की प्रजाति खत्म हो जाएगी, तो क्या कॉक्रोच तब भी जीवित रहेंगे? (फोटोः एरिक कारिट्स/पिक्सेल)
ये बड़ी हैरानी की बात है कि जिस धमाके से सारे जीव मारे गए, उससे ये एक-दो इंच लंबे जीव बच कैसे गए. स्टडी में पता चला कि कॉक्रोच (Cockroaches) इस तरह की प्राकृतिक तकनीक से विकसित हुए हैं कि वो विषम परिस्थितियों में खुद को बचा लेते हैं. आपने अगर कॉक्रोच को ध्यान से देखा तो आपको दिखेगा कि उनका शरीर बेहद फ्लैट होता है. यह किसी हादसे की वजह से नहीं हुआ है. फ्लैट यानी चिपटे जीव खुद को बेहद संकरी जगह पर छिपा लेते हैं. ये कहीं भी छिप सकते हैं. शायद इसी वजह से डायनासोर के खात्मे के समय बचे हों. (फोटोः पिक्साबे)
जब धरती से उल्कापिंड टकराया, तब धरती का तापमान तेजी से बढ़ा. उस समय मौजूद जीव-जंतुओं के पास भागने के लिए कोई जगह नहीं बची. छिपने के लिए कोई जगह नहीं बची. लेकिन कॉक्रोच (Cockroaches) को जमीन में पतली से पतली जगहों में छिपने की जगह मिल गई. जिससे उन्हें उस भयानक गर्मी से बचाव मिल गया. (फोटोः मेहमत तुरगुत किरकोज/अनस्प्लैश)
उल्कापिंड की टक्कर से आसमान में धूल के काले बादल छा गए. सूरज की रोशनी कम होती चली गई. तापमान पहले तो बढ़ा फिर तेजी से घटने लगा. पूरी धरती पर सर्दी का माहौल हो गया. पौधे और कई जीव सूरज की रोशनी की कमी में मारे गए. खासतौर से वो शाकाहारी जीव जो पेड़-पौधों को खाते थे. लेकिन कॉक्रोच (Cockroaches) तो सर्वाहारी होते हैं. कुछ भी खा लेते हैं. इसलिए उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई. (फोटोः इगोर कामेलेव/पिक्सेल)
कॉक्रोच (Cockroaches) कपड़े, कार्डबोर्ड और मल भी खा लेते हैं. उनकी इस खासियत की वजह से उन्हें इस प्रलय में जीवित रहने की क्षमता मिली. कॉक्रोच के पास एक और खासियत होती है, जिससे वो काफी ज्यादा समय तक अपनी अगली पीढ़ी को सुरक्षित रख सकते हैं. कॉक्रोच अपने अंडों को सूखे हुए बीन्स जैसे आकार वाले केस में रखते हैं. इस केस को ऊथेसी (Oothecae) कहते हैं.
ऊथेसी इतने मजबूत होते हैं कि उनके अंदर मौजूद अंडे बाहर होने वाली किसी भी विषम परिस्थितियों और आपदाओं से सुरक्षित रहते हैं. ये सूखे, बाढ़, बर्फीली आंधी या बर्फ से भी बच जाते हैं. कॉक्रोच (Cockroaches) धरती की सूखी से सूखी और गीली से गीली जगह पर भी जीवित रहते हैं. गर्म स्थान हो या सर्दी वाला, वहां भी खुद को बचा लेते हैं. इसीलिए धरती पर कॉक्रोच के चार हजार से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. (फोटोः इगोर कामेलेव/पिक्सेल)
कॉक्रोच (Cockroaches) की इन चार हजार से ज्यादा प्रजातियों में से कुछ ही प्रजातियां ऐसी हैं जो इंसानों के आसपास रहती हैं. इमारतों में, खेतों और टॉयलेट में. यहां तक कि आपकी रसोई में भी. ये किसी भी तरह की बीमारी को फैलाने में सक्षम होते हैं. इंसानों को कॉक्रोच की वजह से सबसे ज्यादा जो बीमारी होती है वो है पेट संबंधी दिक्कतें और दमा जैसी समस्याएं. (फोटोः एरिक कार्टिस/पिक्सेल)
कॉक्रोच (Cockroaches) को पेस्ट कंट्रोल से भी नहीं मारा जा सकता. क्योंकि ये कई तरह के रसायनों से भी खुद को बचा लेते हैं. इन्हें ये क्षमता डायनासोरों को मारने वाले उल्कापिंड हमले के समय निकले रसायनों से बचते समय मिली. अब वैज्ञानिक कॉक्रोच से प्रेरित होकर ऐसे रोबोट्स बनाने में लगे हैं, जो खोजबीन और बचाव कार्यों में मदद कर सकते हैं.
वैज्ञानिक यह मानते हैं कि छह पैरों वाले इन छोटे जीवों के पास बचाव संबंधी अबूझ ताकत है. ये किसी भी तरह की विपरीत परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं. हो सकता है कि अगले प्रलय के समय जब इंसान अपनी खत्म होती हुई प्रजाति को देखेंगे, तब कॉक्रोच जीवित रह जाएं. (फोटोः ब्लाटेला जर्मैनिका/पिक्साबे)