भारत में कोरोना की दूसरी लहर बेहद भयावह रूप ले रही है. दुनिया में इस समय भारत पांच सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देशों की सूची में है. ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि दूसरी लहर देश में ही विकसित हुए कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन्स यानी वैरिएंट की वजह से ज्यादा खतरनाक हो गई है. जीनोम सिक्वेंसिंग से पता चला है कि महाराष्ट्र में इसी देसी कोरोनावायरस की वजह से 61 फीसदी लोग संक्रमित हैं. आइए जानते हैं कि देश में आई कोरोना वायरस की दूसरी लहर पहली लहर से अलग और भयावह कैसे है? (फोटोःगेटी)
कोरोना से बचाव के लिए बताए गए तरीकों से लोगों ने दूरी बना ली और देश में विकसित हुए कोरोनावायरस के नए वैरिएंट्स ने ये हालत कर दी है. कई राज्यों में मुर्दाघरों में लाशें ही लाशें रखी हुई है. अस्पतालों में बेड नहीं है. ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो गई है. दवाइयां नहीं मिल रही हैं. ऐसी स्थिति पिछली बार नहीं थी. इस बार एक समस्या और है क्या नए कोरोना वैरिएंट्स देश में ही अलग-अलग इलाकों और मौसम व इंसानों के बीच बदलने का प्रयास कर रहा है. क्या वह फिर से म्यूटेट होगा. (फोटोःगेटी)
देश में आई कोरोना की दूसरी लहर में युवा लोग ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. दूसरी लहर की शुरुआत पिछले साल दिसंबर में हुई थी. दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित लोगों में से 60 फीसदी लोग 45 साल से कम उम्र के हैं. लेकिन इस उम्र के लोगों में मौत की संख्या कम है. कोविड-19 की दूसरी लहर से मरने वालों में 55 फीसदी मृतक 60 साल या उससे ऊपर के हैं. लेकिन अब स्थितियां और बिगड़ रही हैं. (फोटोःगेटी)
India's health care system and other essential services are close to collapse as a second coronavirus wave tears through the country with devastating speed.
— CNN International (@cnni) April 21, 2021
Here's what you need to know about the pandemic today: https://t.co/HrlJ5Hil8n
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र की बात करें तो वहां इस साल जनवरी से मार्च के बीच सामने आए कोरोना मामलों में 48 फीसदी केस 40 साल या उससे कम उम्र के हैं. लगभग यही आंकड़े पिछले साल नवंबर में भी थे. वहीं, कर्नाटक में 5 मार्च से 5 अप्रैल तक जितने केस आए हैं, उनमें से 47 फीसदी मरीज 15 से 45 साल के बीच के हैं. ये पिछले साल की तरह ही दिख रहा है. (फोटोःगेटी)
पिछले साल कोरोनावायरस की जो लहर थी उसमें भारत सरकार ने सितंबर के महीने में करीब 10 लाख एक्टिव केस बताए थे. जबकि इस समय कोरोनावायरस के करीब 14 लाख एक्टिव केस हैं. इसमें सबसे ज्यादा संक्रमित लोग युवा है. फिर सवाल ये भी उठता है कि पिछली बार बच्चों पर असर नहीं था. क्या इस बार कोरोनावायरस की दूसरी लहर बच्चों के लिए भी खतरनाक है. (फोटोःगेटी)
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को माने तो 1 मार्च से 4 अप्रैल के बीच महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली में करीब 80 हजार बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. इनमें से 60 हजार बच्चे तो सिर्फ महाराष्ट्र में संक्रमित हुए थे वह भी एक महीने के भीतर. यानी इस साल अब तक कितने बच्चे संक्रमित हुए इनका कोई डेटा तो नहीं है. लेकिन बच्चों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है. (फोटोःगेटी)
More coronavirus cases are being reported worldwide than ever before. A key factor in the rise: the ferocity of India’s second wave. https://t.co/w1qu0GODW2
— The Washington Post (@washingtonpost) April 19, 2021
अब सवाल ये उठता है कि क्या नया कोरोनावायरस ज्यादा संक्रामक है. तो जवाब है हां. क्योंकि नया कोरोना वायरस म्यूटेंट है. यानी प्रतिरोधक क्षमता, एंटीबॉडी और वैक्सीन को धोखा दे सकता है. ये कहना कि लोग लापरवाही बरत रहे हैं, ये पूरी तरह से सही नहीं है. लेकिन वायरस और ज्यादा भयावह हो गया है. पंजाब को ही ले लीजिए. वहां जीनोम सिक्वेंसिंग में पता चला कि 401 सैंपल में से 81 फीसदी यूके वैरिएंट से संक्रमित हैं. (फोटोःगेटी)
एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पहली लहर में कोई कोरोना संक्रमित मरीज 30 से 40 फीसदी संक्रमण अपने लोगों के बीच फैलाता था. लेकिन नए डबल और ट्रिपल म्यूटेंट कोरोनावायरस 80 से 90 फीसदी संक्रमण फैला रहा है. इसकी वजह से किसी संक्रमित व्यक्ति के पास जाने वाले ज्यादातर लोग भी कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं. (फोटोःगेटी)
पिछले साल मई में संक्रमण का दर 1.65 था जब हर दिन 3000 केस आ रहे थे. लेकिन इस समय देश के कुछ राज्यों में ये संक्रमण दर बढ़कर 2 हो गया है. इसकी वजह से लोगों को गंभीर समस्याएं हो रही हैं. अचानक से इतने मरीज बढ़ गए कि अस्पतालों में बेड्स, ऑक्सीजन की कमी होने लगी. राज्यों में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की कमी हो रही है. (फोटोःगेटी)
A second wave of coronavirus cases in India has seen a record surge in recent weeks, making the South Asian nation the new global epicentre of the virus.
— Bhat Burhan (@bhattburhan02) April 20, 2021
Latest for @AJEnglish. https://t.co/TXvyJYWL94
संक्रमण बढ़ने की वजह से क्या लोगों की मौत भी ज्यादा हो रही है. इस बारे में जो आंकड़े बता रहे हैं उसके मुताबिक पिछले साल जून में यह 3 फीसदी था. जो अभी 1.3 फीसदी है. एक्सपर्ट्स की माने तो ज्यादा संक्रमण होगा तो ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती होंगे. मौत का मामला अलग होता है. अगर मरीज पहले से किसी बीमारी से ग्रसित है और उसे कोरोना भी गंभीर है तो उसे बचाने की पूरी कोशिश की जाती है लेकिन कुछ कहा नहीं जा सकता. (फोटोःगेटी)
कुछ राज्यों से ये खबर भी आई कि नया कोरोनावायरस संक्रमण RT-PCR जांच में पकड़ नहीं आ रहा है. रिपोर्ट में पहले निगेटिव आता है. फिर 48 घंटे में ही इंसान पॉजिटिव हो जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि RT-PCR जांच में कुछ तो ऐसे लक्षण हैं जो पकड़े नहीं जा पा रहे हैं. इसलिए कुछ अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर मरीजों के फेफड़ों की स्कैनिंग भी कराई जा रही है ताकि सही रिपोर्ट पता चल सके. (फोटोःगेटी)
Quoted in this story by @BBCVikas
— Anant Bhan (@AnantBhan) April 21, 2021
Covid-19 in India: Why second coronavirus wave is devastatinghttps://t.co/wyUJWmKujr