जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के बीच नेशनल इलेक्ट्रिसिटी पॉलिसी (NEP) 2021 के तहत भारत कोयला ईंधन आधारित नए पावर प्लांट्स बना सकता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक उसने भारत की बिजली नीति के दस्तावेज देखे हैं जिसमें इसका जिक्र है. हालांकि इस पॉलिसी में पावर प्लांट्स की टेक्नोलॉजी को सुधारने पर जोर भी है ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके. (फोटोःगेटी)
NEP के ड्राफ्ट में लिखा है कि भारत नॉन-फॉसिल स्रोतों से बिजली उत्पादन के लिए कटिबद्ध है. उसमें और इजाफा कर रहा है. लेकिन हो सकता है कि कोयला आधारित पावर प्लांट्स की जरूरत पड़े. इससे देश की बिजली की आवश्यकता पूरी होगी, साथ ही यह बिजली उत्पादन का एक सस्ता जरिया भी है. (फोटोःगेटी)
फरवरी में तैयार 28 पेज के ड्राफ्ट के मुताबिक कोयला ईंधन आधारित भविष्य में आने वाले सभी पावर प्लांट्स अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल होंगी. यानी ऐसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिससे प्रदूषण कम हो और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा की सप्लाई हो. (फोटोःरॉयटर्स)
EXCLUSIVE India may build new coal plants due to low cost despite climate change https://t.co/Os35ST2i5b pic.twitter.com/gIFe1qzaIN
— Reuters (@Reuters) April 19, 2021
गौरतलब है कि सरकारी ऊर्जा निर्माण कंपनी NTPC ने पिछले साल सितंबर में कहा था कि वह कोयला आधारित परियोजनाओं की शुरुआत के लिए और जमीन अधिग्रहण नहीं करेगा. इतना ही नहीं कई निजी कंपनियां और राज्य कोयला पावर प्लांट्स में निवेश करने से बच रहे हैं. उनका मानना है कि कोयले वाले पावर प्लांट्स आर्थिक रूप से उतने फायदेमंद नहीं हैं, जितने होने चाहिए. (फोटोःगेटी)
रॉयटर्स ने कहा है कि एक सरकारी सूत्र ने बताया कि इस ड्राफ्ट पर पहले देश के ऊर्जा उत्पादन से संबंधित सर्वोच्च अधिकारियों की बैठक होगी. उसमें बदलाव किए जाएंगे उसके बाद इसे कैबिनेट में ले जाया जाएगा. समाचार एजेंसी को बिजली मंत्रालय की तरफ से इस बारे में कोई जवाब या प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं मिली है. (फोटोःरॉयटर्स)
ड्राफ्ट में यह भी लिखा गया है कि रीन्यूएबल ऊर्जा के व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए. इसके लिए अलग बाजार खड़ा करना होगा. साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बनने वाले चार्जिंग स्टेशंस के लिए अलग टैरिफ रेट निर्धारित करना होगा. साथ ही कई बिजली वितरण कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की योजना भी है. (फोटोःगेटी)
गौरतलब है कि साल 2005 में बनी बिजली नीति को साल 2021 में बदला गया है. इसलिए इसका नाम NEP 2021 रखा गया है. हालांकि साल 2005 में देश में रीन्यूएबल एनर्जी को लेकर नाम मात्र का काम हुआ था. (फोटोःगेटी)
ड्राफ्ट के मुताबिक एक्सपर्ट कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन के तरीकों को खत्म करना चाहते हैं. वे रीन्यूएबल एनर्जी के लिए लगातार आवाज उठा रहे हैं. क्योंकि कोयले की कमी से देश की बिजली ग्रिड पर असर पड़ता है और देश के कई राज्यों में ब्लैकआउट हो जाता है. (फोटोःगेटी)
हालांकि ड्राफ्ट में यह भी सलाह दी गई है कि कोयले से संचालित और प्राकृतिक गैसों से संचालित बिजली परियोजनाओं की अभी कुछ सालों तक जरूरत है. ताकि बिजली ग्रिड पर अस्थिरता का माहौल न बने. इसके साथ ही देश में रीन्यूएबल एनर्जी के स्रोतों को तेजी से विकसित करने की जरूरत है. (फोटोः रॉयटर्स)
ड्राफ्ट में यह भी लिखा गया है कि प्राकृतिक गैसों से चलने वाली बिजली परियोजनाओं को सहायता भी दी जाए ताकि वह कम क्षमता में उत्पादन करते हुए बिजली ग्रिड की स्थिरता को बनाए रखें. इससे फायदा ये होगा कि फ्ल्क्चुएशन की दिक्कत नहीं होगी. देश में लगातार बिजली की सप्लाई बनी रहेगी. (फोटोः रॉयटर्स)
रॉयटर्स के मुताबिक भारत में लगातार पिछले दो साल से बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी में कमी आई है. इसके बावजूद देश की सालाना बिजली उत्पादन के तीन चौथाई पावर प्लांट्स में बतौर ईंधन उपयोग होता है. फिलहाल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. (फोटोः रॉयटर्स)
इस महीने अमेरिकी राष्ट्रपति के पर्यावरण संबंधी मामलों के दूत जॉन केरी (John Kerry) ने कहा था कि भारत ने पर्यावरण को लेकर अपने काम को पूरा किया है. उन्होंने इस बारे में देश के आला सरकारी अधिकारियों से कार्बन उत्सर्जन को कम करके ग्लोबल वार्मिंग की मात्रा को घटाने की अपील की थी. (फोटोःगेटी)