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साइंस न्यूज़

नेवी को मिलेगी स्वदेशी INS विक्रांत की ताकत, बराक मिसाइल-मिग-29K फाइटर और तोप से लैस

 INS Vikrant Rajnath Singh
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत अगले साल भारतीय नौसेना में कमीशन किया जाएगा. इसके शामिल होते ही भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. राजनाथ सिंह कोच्चि स्थित भारतीय नौसेना के बेस की यात्रा पर गए हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि वह दिन दूर नहीं है जब भारत की नौसेना दुनिया की  टॉप तीन नौसेनाओं में मानी जाएगी, यह मेरा विश्वास है. इतिहास के पन्नों में आप देखेंगे, तो पाएंगे कि वही राष्ट्र दुनिया भर में अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे, जिनकी नौसेनाएं सशक्त रही हैं. (फोटोः ट्विटर/राजनाथ सिंह)
 

 INS Vikrant Rajnath Singh
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पहले यह जानते हैं कि भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत (India's First Indigenous Aircraft Carrier - IAC) क्या है. इसकी ताकत कितनी है. इस पोत का नाम आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) है. यह 45 हजार टन का करियर है. ये पोत आधिकारिक तौर पर नेवी को अगले साल सौंपे जाएंगे लेकिन इस साल नौसेना इसे लेकर अलग-अलग तरह के परीक्षण करेगी. ताकि नौसेना इसे समुद्र में उतारकर यह देख सके कि यह कितनी ताकतवर, टिकाऊ, मजबूत और भरोसेमंद है. (फोटोः गेटी)

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कोचीन शिपयार्ड INS विक्रांत का परीक्षण करेगा ताकि नौसेना से पहले वह संतुष्ट हो जाए. इसके बाद नेवी इसका ट्रायल लेगी. INS विक्रांत (INS Vikrant) में जनरल इलेक्ट्रिक के ताकतवर टरबाइन लगे हैं. जो इसे 1.10 लाख हॉर्सपावर की ताकत देते हैं. इस पर MiG-29K लड़ाकू विमान और 10 Kmaov Ka-31 हेलिकॉप्टर के दो स्क्वॉड्रन होंगे. इस विमानवाहक पोत की स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर है. इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी. जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम हैं. (फोटोःगेटी)

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INS विक्रांत की लंबाई 860 फीट, बीम 203 फीट, गहराई 84 फीट और चौड़ाई 203 फीट है. इसका कुल क्षेत्रफल 2.5 एकड़ का है. यह 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र की लहरों की चीरकर आगे बढ़ सकता है. यह एक बार में 15 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. इसमें एक बार में 196 नौसेना अधिकारी और 1149 सेलर्स और एयरक्रू रह सकते हैं. इसमें 4 ओटोब्रेडा (Otobreda) 76 mm की ड्यूल पर्पज कैनन लगे होंगे. इसके अलावा 4 AK 630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन लगी होगी. (फोटोः गेटी)

 INS Vikrant Rajnath Singh
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INS विक्रांत पर एक बार में कुल 36 से 40 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं. 26 मिग-29 के और 10 कामोव Ka-31, वेस्टलैंड सी किंग या ध्रुव हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं. इसकी फ्लाइट डेक 1.10 लाख वर्ग फीट की है, जिस पर से फाइटर जेट आराम से टेकऑफ या लैंडिंग कर सकते हैं. इसे बनाने की प्रक्रिया की साल 2013 में शुरु हुई थी. इसमें अब तक 22 हजार करोड़ रुपये की लागत लग चुकी है. (फोटोः गेटी)

 INS Vikrant Rajnath Singh
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इस पोत की कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम को टाटा पावर स्ट्रैटेजिक इंजीनियरिंग डिविजन ने रूस की वेपन एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग और मार्स के साथ मिलकर बनाया है. इस पर तैनात होने वाले लड़ाकू विमानों को लेकर भी काफी जद्दोजहद हुई. शुरुआत में तेजस को तैनात करने की योजना थी, लेकिन वह करियर के हिसाब से भारी हो रहा था. इसके बाद DRDO ने एक प्लान बनाकर HAL को दिया. जिसके तहत अब वह ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर विकसित कर रहा है. तब तक के लिए मिग-29K फाइटर जेट इस पर तैनात रहेगा. (फोटोः पीटीआई)

 INS Vikrant Rajnath Singh
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फिलहाल INS विक्रांत के समुद्री परीक्षण शुरु हो चुके हैं. ऐसा माना जा रहा है कि नेवी ने इस पोत पर लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को इंटीग्रेट करने का काम भी शुरु किया है. नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने कहा कि विक्रांत को पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अगले साल तक का समय लगेगा. यह 2022 के अंत तक पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा. (फोटोः पीटीआई)

 INS Vikrant Rajnath Singh
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राजनाथ सिंह ने आईएनएस विक्रांत के दौरे के दौरान नौसैनिक अधिकारियों के साथ खाना खाया. उन्होंने कहा कि मुझे आप लोगों पर गर्व है. आज मैंने आप लोगों की ट्रेनिंग फैसिलिटी का दौरा किया. हमारी SNC ट्रेनिंग फैसिलिटी में दुनिया की बेहतरीन ट्रेनिंग सुविधाएं मौजूद है. (फोटोः ANI)

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राजनाथ सिंह ने कहा कि आप लोगों ने अगर गौर किया हो, तो दुनिया भर में एक ही ऐसा ‘महासागर’ है जिसका नाम किसी देश के नाम पर पड़ा हो. वह हमारे देश के नाम पर आधारित हिंद महासागर है. आज के बदलते हुए भू-राजनीतिक तथा आर्थिक परिप्रेक्ष्य में हिंद महासागर का महत्त्व लगातार बढ़ता जा रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया का 20% LNG, 80% तेल परिवहन, विश्व का आधा कंटेनर व्यापार और एक तिहाई बल्क कार्गो ट्रैफिक इस क्षेत्र से होकर गुजरता है. (फोटोः ट्विटर/राजनाथ सिंह)

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 INS Vikrant Rajnath Singh
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रक्षामंत्री ने कहा कि जब मैं हमारी नौसेना की बढ़ती शक्तियों की बात करता हूं तो उसका संबंध केवल हमारे टेरिटोरियल क्षेत्र तक सीमित नहीं होता है. हमारे हित इंडियन ओशन रीजन और उसके आगे के क्षेत्रों तक भी व्याप्त है. तमाम देशों के साथ हमारे आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध हैं. इस क्षेत्र में अक्सर तनावपूर्ण स्थितियां बनी रहती हैं, जिसके चलते यह एक कॉन्फ्लिक्ट हॉटस्पॉट बन गया है. हमें इस तनावपूर्ण स्थिति को संभालने और अपने हितों की रक्षा करने के लिए हमेशा सतर्क और तैयार रहना पड़ेगा. (फोटोः ट्विटर/राजनाथ सिंह)

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