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साइंस न्यूज़

दुश्मन की सीमा में घुसकर कैसे ऑपरेशन करेंगे एयरट्रूपर्स... पोकरण में हुआ बड़ा अभ्यास

Indian Army Airborne Exercise Pokaran
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भारतीय सेना (Indian Army) ने 1 अप्रैल 2022 को राजस्थान को पोकरण (Pokaran) में एयरबॉर्न एक्सरसाइज (Airborne Exercise) की है. इस दौरान भारतीय सेना के जवानों ने यह बताया कि वो कैसे कम समय में तैयारी करके दुश्मन की सीमा में घुसकर उनके अड्डों को बर्बाद कर सकते हैं. विमान से कूदकर सीधे दुश्मन के घर में घुसकर उनकी नापाक हरकतों को रोक सकते हैं. (फोटोः भारतीय सेना)

Indian Army Airborne Exercise Pokaran
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भारतीय सेना के एडिशनल डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन ने ट्वीट करके यह जानकारी दी. ट्वीट में लिखा गया है कि भारतीय सेना ने पोकरण में एयरबॉर्न एक्सरसाइज की है. जिसमें उसने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता (Rapid Response Capabilities) को दर्शाया. इस अभ्यास के दौरान कॉम्बैट फ्री-फॉल जंप यानी आसमान से सीधी छलांग लगाई गई. काफी दूर फ्री-फॉल करने के बाद पैराशूट खोला गया. (फोटोः भारतीय सेना)

Indian Army Airborne Exercise Pokaran
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इस युद्धाभ्यास के दौरान गाइडेड प्रेसिशन एरियल डिलिवरी सिस्टम (GPADS) का प्रदर्शन भी किया गया है. यानी ऐसी तकनीक से सैन्य वाहनों को तय जगह पर गिराना, जहां उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो. इसके अलावा दुश्मन से घिरने के बावजूद किस तरह से उनपर फतह हासिल करनी है, वह तय करना. युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस, फुर्ती, तीव्रता और तकनीकी कौशल प्रदर्शित किया. (फोटोः भारतीय सेना)

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इससे कुछ दिन पहले ही भारत की पूर्वी सीमा के पास यानी चीन की सीमा के पास भी रैपिड रेसपॉन्स कैपेबिलिटीज वाला एयरबॉर्न एक्सरसाइज किया गया था. यह सिलिगुड़ी कॉरीडोर में हुआ था. सिलिगुड़ी कॉरीडोर उत्तर-पूर्व की सीमा से सटा हुआ इलाका है. यहां से तिब्बत पर आसानी से नजर रखी जा सकती है. (फोटोः भारतीय सेना)

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सिलिगुड़ी कॉरिडोर से नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन चारों स्थानों पर सीधी नजर रखी जाती है. यहीं पर भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन के पास साल 2016 में चीन ने डोकलाम विवाद खड़ा किया था. 24 से 25 मार्च के बीच हुए इस एयरबॉर्न एक्सरसाइज में 600 पैराट्रूपर्स ने भाग लिया था. (फोटोः भारतीय सेना)

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उस समय भारतीय सेना ने कहा था कि इसका मकसद फ्री-फॉल तकनीक पर महारत हासिल करना. घुसपैठ करना. निगरानी करना. टारगेट प्रैक्टिस. जरूरी सामानों को कब्जे में करना. यह सब सैनिकों को इसलिए कराया जाता है ताकि आतंकी अड्डों और दुश्मन के इलाकों में चुपचाप घुसकर उन्हें पूरी तरह से नष्ट किया जा सके. साथ ही युद्ध के समय सही जानकारी पीछे से आने वाले सैनिकों को मिल सके. (फाइल फोटोः गेटी)

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पिछली साल भारतीय सेना ने 14 हजार फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में एयरबॉर्न एक्सरसाइज किया था. मई 2020 के बाद से भारतीय सेना ने चीन सीमा के पास सैनिकों, हथियारों की संख्या बढ़ा दी है. 15 राउंड बातचीत के बाद भी अब तक लद्दाख के पास की सीमा को लेकर किसी तरह का समाधान नहीं निकला है. बस दोनों तरफ से एक शांति बरकरार है. दोनों देशों की तरफ से कोई भी सेना और हथियार कम करने के पक्ष में नहीं दिख रहा है. (फोटोः भारतीय सेना)

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चीन के साथ गलवान, गोगरा, पैंगॉन्ग सो, पीपी 15 के पास वाले हॉट स्प्रिंग एरिया में अब भी तनाव का माहौल बना रहता है. चीन लगातार पाकिस्तान को कई मामलों में सपोर्ट करता है. इसलिए पूर्वी इलाके के पास हवाई युद्धाभ्यास करने के बाद भारतीय सेना के जवानों ने पश्चिमी सीमा की तरफ भी एयरबॉर्न एक्सरसाइज की. ताकि दोनों तरफ से पड़ोसी मुल्क इस बात का ख्याल रखें कि भारतीय सेना कमजोर नहीं है. (फाइल फोटोः गेटी)

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भारतीय सेना के एडिशनल डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन ने ट्वीट करके दोनों ही एयरबॉर्न एक्सरसाइज की सूचना जनता को दी थी. दोनों ही ट्वीट्स पर लोगों ने काफी ज्यादा लाइक्स भेजे. पोकरण वाला ट्वीट खबर लिखे जाने तक 170 बार रीट्वीट किया जा चुका था. 1082 लाइक्स मिल चुके थे. जबकि, सिलिगुड़ी एयरबॉर्न एक्ससाइज को 3993 लाइक्स मिले थे. इसके अलावा 695 रीट्वीटस किए गए थे. (फाइल फोटोः गेटी)

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