भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत (First Indigenous Aircraft Carrier) विक्रांत का दूसरा समुद्री ट्रायल हाल ही में शुरु हुआ है. इसके ट्रायल के दौरान पत्तन, बंदरगाह और जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल इसके दौरे पर पहुंचे. उन्होंने ट्रायल के दौरान इस पर समुद्री यात्रा की और उसकी ताकत को समझा. यह पहली बार 21 अगस्त को समुद्र की ट्रायल यात्रा पर निकला था. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने कहा है कि वह इसे अप्रैल 2022 में भारतीय नौसेना को हैंडओवर कर देगा. घातक हथियारों से लैस इस युद्धपोत के आते ही हिंद महासागर में भारत की ताकत में कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी. (फोटोः गेटी)
पहले ट्रायल में युद्धपोत और उसके पतवार, मुख्य प्रोपल्शन सिस्टम, पीजीडी और ऑक्सिलरी इक्विपमेंट ने शानदार परफॉर्मेंस दिखाया है. ट्रायल के दूसरे फेज में अब इस युद्धपोत के अन्य प्रोपल्शन मशीनरी, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सूट्स, डेक मशीनरी, जीवन बचाने वाले यंत्रों और जहाज के सिस्टम्स की जांच हो रही है. इस ट्रायल के दौरान ही केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल इस युद्धपोत पर गए. उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता है. इस पर कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने कहा कि वो तय समय पर इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना के हवाले कर देंगे.
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— PRO Defence Kochi (@DefencePROkochi) October 24, 2021
After having successfully completed the maiden sea trials earlier in Aug21 the #IndigenousAircraftCarrier, #Vikrant headed out for her 2nd SeaTrials.@SpokespersonMoD @DefenceMinIndia @cslcochin @shipmin_india pic.twitter.com/apMI3ljcQi
इससे पहले इस IAC Vikrant पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गए थे. तब उन्होंने कहा था कि वह दिन दूर नहीं है जब भारत की नौसेना दुनिया की टॉप तीन नौसेनाओं में मानी जाएगी, यह मेरा विश्वास है. इतिहास के पन्नों में आप देखेंगे, तो पाएंगे कि वही राष्ट्र दुनिया भर में अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे, जिनकी नौसेनाएं सशक्त रही हैं. (फोटोः PTI)
पहले यह जानते हैं कि भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत (India's First Indigenous Aircraft Carrier - IAC) क्या है. इसकी ताकत कितनी है. इस पोत का नाम आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant/IAC Vikrant) है. यह 45 हजार टन का करियर है. ये पोत आधिकारिक तौर पर नेवी को अगले साल अप्रैल में सौंपा जाएगा. तब तक नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड इसके अलग-अलग तरह के परीक्षण करेगी. ताकि नौसेना इसे समुद्र में उतारकर यह देख सके कि यह कितनी ताकतवर, टिकाऊ, मजबूत और भरोसेमंद है. (फोटोः गेटी)
कोचीन शिपयार्ड INS विक्रांत का परीक्षण करेगा ताकि नौसेना से पहले वह संतुष्ट हो जाए. इसके बाद नेवी इसका ट्रायल लेगी. IAC विक्रांत (IAC Vikrant) में जनरल इलेक्ट्रिक के ताकतवर टरबाइन लगे हैं. जो इसे 1.10 लाख हॉर्सपावर की ताकत देते हैं. इस पर MiG-29K लड़ाकू विमान और 10 Kmaov Ka-31 हेलिकॉप्टर के दो स्क्वॉड्रन होंगे. इस विमानवाहक पोत की स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर है. इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी. जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम हैं. (फोटोः गेटी)
INS विक्रांत की लंबाई 860 फीट, बीम 203 फीट, गहराई 84 फीट और चौड़ाई 203 फीट है. इसका कुल क्षेत्रफल 2.5 एकड़ का है. यह 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र की लहरों की चीरकर आगे बढ़ सकता है. यह एक बार में 15 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. इसमें एक बार में 196 नौसेना अधिकारी और 1149 सेलर्स और एयरक्रू रह सकते हैं. इसमें 4 ओटोब्रेडा (Otobreda) 76 mm की ड्यूल पर्पज कैनन लगे होंगे. इसके अलावा 4 AK 630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन लगी होगी. (फोटोः गेटी)
The IAC-1 #INSVikrant is India's might and is a glowing example of indigenous capabilities. Proud to make a tour of the aircraft carrier. pic.twitter.com/xqMapMLdRh
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) November 1, 2021
INS विक्रांत पर एक बार में कुल 36 से 40 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं. 26 मिग-29 के और 10 कामोव Ka-31, वेस्टलैंड सी किंग या ध्रुव हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं. इसकी फ्लाइट डेक 1.10 लाख वर्ग फीट की है, जिस पर से फाइटर जेट आराम से टेकऑफ या लैंडिंग कर सकते हैं. इसे बनाने की प्रक्रिया की साल 2013 में शुरु हुई थी. इसमें अब तक 22 हजार करोड़ रुपये की लागत लग चुकी है. (फोटोः PTI)
इस पोत की कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम को टाटा पावर स्ट्रैटेजिक इंजीनियरिंग डिविजन ने रूस की वेपन एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग और मार्स के साथ मिलकर बनाया है. इस पर तैनात होने वाले लड़ाकू विमानों को लेकर भी काफी जद्दोजहद हुई. शुरुआत में तेजस को तैनात करने की योजना थी, लेकिन वह करियर के हिसाब से भारी हो रहा था. इसके बाद DRDO ने एक प्लान बनाकर HAL को दिया. जिसके तहत अब वह ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर विकसित कर रहा है. तब तक के लिए मिग-29K फाइटर जेट इस पर तैनात रहेगा. (फोटोः PTI)
फिलहाल INS विक्रांत के समुद्री परीक्षण शुरु हो चुके हैं. ऐसा माना जा रहा है कि नेवी ने इस पोत पर लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को इंटीग्रेट करने का काम भी शुरु किया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस युद्धपोत पर ब्रह्मोस मिसाइल (BraHmos Missile) से भी लैस किया जाएगा. ब्रह्मोस और बराक मिसाइलों को लगाने के बाद यह युद्धपोत दुनिया के खतरनाक विमानवाहक पोतों में शामिल हो जाएगा. (फोटोः PTI)
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मढवाल ने इस साल अगस्त के महीने में कहा था कि यह भारत के लिए ऐतिहासिक मौका है. इसी नाम से 1971 के युद्ध में युद्धपोत का उपयोग किया गया था. यह भारत का बड़ा और जटिल युद्धपोत है. इसका डिजाइन और निर्माण दोनों भारत में ही हुआ है. इसे बेहतरीन ऑटोमेटेड मशीनों, ऑपरेशन, शिप नेविगेशन और बचाव प्रणाली से लैस किया गया है. यह युद्धपोत पर कई विमान और हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं.
कमांडर विवेक ने कहा कि इसे बनाने में कोचीन शिपयार्ड के साथ-साथ 550 भारतीय कंपनियों ने मदद की है. इसके अलावा 100 MSME कंपनियां भी शामिल थी. इस युद्धपोत के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग कंपनियों ने बनाया है. हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है. (फोटोः PTI)