भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत (India's First Indigenous Aircraft Carrier - IAC) को ट्रायल्स के लिए समुद्र में उतार दिया गया है. यह देश का सबसे बड़ा और जटिल विमानवाहक पोत युद्धपोत है. अगले साल अगस्त के महीने में इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. इस युद्धपोत को बनाने की लागत करीब 23 हजार करोड़ रुपए आई है. यह भारत का पहला स्टेट-ऑफ-द-आर्ट विमानवाहक पोत है. (फोटोः PTI)
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत 40 हजार टन का करियर है. इस पोत का नाम आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) है. ये पोत आधिकारिक तौर पर नेवी को अगले साल सौंपा जाएगा लेकिन इस साल नौसेना इसे लेकर अलग-अलग तरह के परीक्षण करेगी. ताकि नौसेना इसे समुद्र में उतारकर यह देख सके कि यह कितनी ताकतवर, टिकाऊ, मजबूत और भरोसेमंद है. (फोटोः PTI)
INS विक्रांत (INS Vikrant) में जनरल इलेक्ट्रिक के ताकतवर टरबाइन लगे हैं. जो इसे 1.10 लाख हॉर्सपावर की ताकत देते हैं. इस पर MiG-29K लड़ाकू विमान, 10 Kmaov Ka-31 और MH-60R मल्टीरोल हेलिकॉप्टर्स स्क्वॉड्रन तैनात होंगे. इस विमानवाहक पोत की स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर है. इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी. जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम हैं. (फोटोः PTI)
Proud & historic day for India as the reincarnated #Vikrant sails for her maiden sea trials today, in the 50th year of her illustrious predecessor’s key role in victory in the #1971war
— SpokespersonNavy (@indiannavy) August 4, 2021
Largest & most complex warship ever to be designed & built in India.
Many more will follow... pic.twitter.com/6cYGtAUhBK
INS विक्रांत की लंबाई 860 फीट, बीम 203 फीट, गहराई 84 फीट और चौड़ाई 203 फीट है. इसका कुल क्षेत्रफल 2.5 एकड़ का है. यह 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र की लहरों की चीरकर आगे बढ़ सकता है. यह एक बार में 15 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. इसमें एक बार में 196 नौसेना अधिकारी और 1149 सेलर्स और एयरक्रू रह सकते हैं. इसमें 4 ओटोब्रेडा (Otobreda) 76 mm की ड्यूल पर्पज कैनन लगे होंगे. इसके अलावा 4 AK 630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन लगी होगी. (फोटोः PTI)
INS विक्रांत पर एक बार में कुल 36 से 40 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं. 26 मिग-29 के और 10 कामोव Ka-31, वेस्टलैंड सी किंग या ध्रुव हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं. इसकी फ्लाइट डेक 1.10 लाख वर्ग फीट की है, जिस पर से फाइटर जेट आराम से टेकऑफ या लैंडिंग कर सकते हैं. इसे बनाने की प्रक्रिया की साल 2009 में शुरु हुई थी. इसमें अब तक 23 हजार करोड़ रुपये की लागत लग चुकी है. (फोटोः गेटी)
इस पोत की कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम को टाटा पावर स्ट्रैटेजिक इंजीनियरिंग डिविजन ने रूस की वेपन एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग और मार्स के साथ मिलकर बनाया है. इस पर तैनात होने वाले लड़ाकू विमानों को लेकर भी काफी जद्दोजहद हुई. शुरुआत में तेजस को तैनात करने की योजना थी, लेकिन वह करियर के हिसाब से भारी हो रहा था. इसके बाद DRDO ने एक प्लान बनाकर HAL को दिया. जिसके तहत अब वह ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर विकसित कर रहा है. तब तक के लिए मिग-29K फाइटर जेट इस पर तैनात रहेगा. (फोटोः गेटी)
फिलहाल INS विक्रांत के समुद्री परीक्षण शुरु हो चुके हैं. ऐसा माना जा रहा है कि नेवी ने इस पोत पर लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को इंटीग्रेट करने का काम भी शुरु किया है. नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने कहा कि विक्रांत को पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अगले साल तक का समय लगेगा. यह 2022 के अंत तक पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा. (फोटोः गेटी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड को बधाई देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक मौका है. यह युद्धपोत नौसैनिक इतिहास को बदल देगा. इसे भारतीय नौसेना की डिजाइन टीम ने डिजाइन किया है. जबकि, कोचीन शिपयार्ड ने बनाया है. यह मेक इन इंडिया का बेहतरीन उदाहरण है. (फोटोः गेटी)
The Indigenous Aircraft Carrier 'Vikrant', designed by Indian Navy's Design Team and built by @cslcochin, undertook its maiden sea sortie today. A wonderful example of @makeinindia. Congratulations to @indiannavy and @cslcochin on this historic milestone. pic.twitter.com/AjnafkxOaT
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2021
INS विक्रांत (INS Vikrant) का नाम 50 साल पहले 1971 की लड़ाई में उपयोग किए गए एक युद्धपोत के नाम पर है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का बेहतरीन उदाहरण है. इस युद्धपोत पर 76 फीसदी हिस्सा स्वदेशी है. अगले साल तक यह पूरी तरह से तैयार युद्धपोत होगा, यानी इसमें हथियारों, मिसाइलों आदि की तैनाती हो जाएगी. (फोटोः PTI)
कुछ हफ्तों पहले राजनाथ सिंह ने कहा कि जब मैं हमारी नौसेना की बढ़ती शक्तियों की बात करता हूं तो उसका संबंध केवल हमारे टेरिटोरियल क्षेत्र तक सीमित नहीं होता है. हमारे हित इंडियन ओशन रीजन और उसके आगे के क्षेत्रों तक भी व्याप्त है. तमाम देशों के साथ हमारे आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध हैं. इस क्षेत्र में अक्सर तनावपूर्ण स्थितियां बनी रहती हैं, जिसके चलते यह एक कॉन्फ्लिक्ट हॉटस्पॉट बन गया है. हमें इस तनावपूर्ण स्थिति को संभालने और अपने हितों की रक्षा करने के लिए हमेशा सतर्क और तैयार रहना पड़ेगा. (फोटोः PTI)
The commencement of sea trials of Indigenous Aircraft Carrier (IAC(P71)) ‘Vikrant’.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 4, 2021
The Indigenous construction of Aircraft Carrier is a shining example in the Nation’s quest for ‘AtmaNirbhar Bharat’ and ‘Make in India Initiative’. pic.twitter.com/bLHMAv4XPx
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मढवाल ने कहा कि यह भारत के लिए ऐतिहासिक मौका है. इसी नाम से 1971 के युद्ध में युद्धपोत का उपयोग किया गया था. यह भारत का बड़ा और जटिल युद्धपोत है. इसका डिजाइन और निर्माण दोनों भारत में ही हुआ है. इसे बेहतरीन ऑटोमेटेड मशीनों, ऑपरेशन, शिप नेविगेशन और बचाव प्रणाली से लैस किया गया है. यह युद्धपोत पर कई विमान और हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं. (फोटोः PTI)
कमांडर विवेक ने कहा कि इसे बनाने में कोचीन शिपयार्ड के साथ-साथ 550 भारतीय कंपनियों ने मदद की है. इसके अलावा 100 MSME कंपनियां भी शामिल थी. इस युद्धपोत के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग कंपनियों ने बनाया है. हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है. (फोटोः PTI)